आगरा. मोबाइल और अविश्वास के कारण पवित्र दांपत्य जीवन का नेटवर्क टूट रहा है. यानी पति-पत्नी का अनमोल रिश्ता मामूली बातों पर उलझकर बिखर रहा है. मायके वालों के हस्तक्षेप भी इसमें बड़ा कारण है. तलाक के लिए दंपति फैमिली कोर्ट पहुंच रहे हैं. यह सिर्फ पढ़े लिखे और शहरी आबादी में ही नहीं बल्कि गांवों में भी हो रहा है.

काउंसलिंग से पटरी पर आ रहे रिश्ते
वरिष्ठ अधिवक्ता हेमंत भारद्वाज ने बताया कि रिश्ता को साथ निभाने के बजाय अलग होने के लिए कोर्ट की चक्कर लगा रहे हैं। जबकि फैमिली कोर्ट रिश्तों में एक फीसदी के भी गुंजाईश रहने पर उन्हें बचाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। वहीं परिवार परामर्श केन्द्र पर की जा रही काउंसलिंग के कारण 70 फीसदी मामले पटरी पर आ जाती है। हालांकि फिर भी 30 प्रतिशत दंपति एक दूसरे से अलग हो जाते हैं।

मायके वालों का हस्तक्षेप टूटने की वजह
पुलिस लाइन में फैमिली को टूटने से बचाने के लिए दंपतियों के बीच काउंसलिंग के जरिए सुलह को कोशिश की जाती है। पहले सिर्फ बड़े शहरों का यह मामला माना जाता था, लेकिन हर वर्ग के परिवार काउंसलिंग के लिए पहुंच रहे हैं। रविवार को मधुनगर और ट्रांसयमुना कॉलोनी में रहने वाले दांपत्य के रीच काउंसलिंग के बाद समझौता कराया, उनको विदा कर दिया गया। जबकि शेष 58 मामलों में आगे की डेट दी गई। इस दौरान पहुंचे अधिकतर मामले मोबाइल फोन पर शक के पाए गए।

फोन से पनप रहा अविश्वास
25 से 30 उम्र वाले दंपतियों में एक दूसरे के प्रति मोबाइल फोन के कारण विश्वास से ज्यादा अविश्वास पैदा हो रहा है। अधिकतर देखा गया है कि सबसे ज्यादा नौकरी पेशा वाले दंपतियों में यह शिकायत है। अगर पत्नी नौकरी में है तो पति को अविश्वास है। अगर पति नौकरी में है तो पत्नी को उस पर शंका। मामूली शंका में पहले मोबाइल फोन चेक किया जाता है। जिस पर विवाद होता है और बाद में यह विवाद बड़ा रूप लेकर थाना, कोर्ट तक पहुंच जाता है।


दंपति मामूली बात को करें इग्नोर
परिवार परामर्श केन्द्र प्रभारी नीलम राणा ने बताया कि केन्द्र में काउंसलिंग में दंपत्य के बीच समझौते के प्रयास किए जाते हैं। पति-पत्नी का रिश्ता एक कोमल डोर की तरह है। जो भरोसे के साथ पर टिका है। यह रिश्ता अनमोल है। तोडऩे के बजाय, इसे संजोना चाहिए। दंपति को चाहिए कि वे एक दूसरे पर भरोसा करें। शंका और मतलब निकालने के बजाय, एक-दूसरे पर अटूट भरोसा कर साथ निभाना चाहिए। मामूली बातों को इग्नोर करना चाहिए। अगर थोड़ी परेशानी है तो परिवार में मिल बैठकर हल निकालना चाहिए।


पुलिस लाइन में स्थिति
-नियत तिथि पर बुलाए गए जोड़ों की संख्या
60
-काउंसलिंग को दोनों पक्ष रहे उपस्थित
20
-काउंसलिंग नहीं होने पर की एफआईआर
02
-अन्य कारणों से निस्तारित पत्रावली
12
-दोनों पक्षों को दी गई आगे की डेट
30
-दोनों पक्ष अनुपस्थित की संख्या
10

Posted By: Inextlive