इंडिया में रास्ता तो हर कोई दिखाता है. लेकिन ताजनगरी में टूरिस्ट को डेस्टिनेशन तक पहुंचाने से लेकर घर विदा कराने तक की जिम्मेदारी ली जाती है. और ऐसा हो भी क्यों न? जब रास्ता बताने शॉपिंग कराने खाना खिलाने के लिए मोटा कमीशन मिल जाता हो. कोई अच्छा टूरिस्ट का दल मिल जाए तो यह कमीशन लाखों तक पहुंच जाता है.


आगरा.(ब्यूरो): मॉल रोड, फतेहाबाद रोड और ताजमहल के आसपास टूरिस्ट को देखते ही मदद करने वाले दसियों लोग आ जाते हैैं। यदि कोई दूसरा मदद करते हुए दिखे तो वह कहता है कि दूर हट, ये मेरा क्लाइंट है। फतेहाबाद रोड पर जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम पहुंची तो वहां पर हैैंडीक्राफ्ट शोरूम, पेठे की दुकान, रेस्टोरेंट्स आदि के बाहर टूरिस्ट की मदद करने वाले ऐसे कई लोग दिखे।

मदद करने वाले लोग आ जाते हैं

एक महिला पर्यटक से मदद करने वाले सहायक ने कहा कि मैडम क्या चाहिए? हूबहू ताजमहल वाली पच्चीकारी का टेबल टॉप दिला दूं? लेदर का कोई आइटम लेंगी, शू या बैग। प्योर लेदर का दिला दूंगा। मैडम-मैडम। लेकिन महिला टूरिस्ट आगे निकल जाती है। ऐसे ही कई नजारे यहां पर और भी देखे गए। आपको भी ऐसे कई नजारे देखने को मिल जाएंगे।

विदेशी टूरिस्ट मिलने पर होता है मोटा खेल
टूरिस्ट के खर्च करने पर कमीशन मिलने वाले खेल में विदेशी टूरिस्ट का अलग ही रोल है। नाम न बताने की शर्त पर इंडस्ट्री के जानकारों ने बताया कि विदेशी टूरिस्ट के दल को घुमाने में असली कमाई होती है। यह पूरा मामला दिल्ली से ही सेट हो जाता है। बड़ी-बड़ी टै्रवल एजेंसिया ताजमहल घुमाने के लिए टूरिस्ट के दल को आगरा लाती हैैं। जब यह दल दिल्ली से चलता है तो सबका कमीशन पहले से ही सेट होता है। एजेंसी का अलग, बस ड्राइवर और कंडक्टर का अलग और टूरिस्ट को फेसिलिटेट करने वाले लोगों का अलग कमीशन सेट होता है। टूरिस्ट को तो इस बारे में जानकारी भी नहीं होती है। इस दल का टूरिस्ट एक रूमाल भी खरीदता है तो उसमें भी सबका हिस्सा पहुंच जाता है। यदि टूरिस्ट के दल को ब्रेकफास्ट भी करना हो तो ड्राइवर अपनी सेटिंग के रेस्टोरेंट पर बस रोकता है। यदि लंच या डिनर किया तो और भी वारे न्यारे हो जाते हैैं। बिल लाखों में पहुंच जाता है। इसमें 30 परसेंट कमीशन फिक्स होता है।
40 परसेंट तक हो जाता है कमीशन
विदेशी टूरिस्ट्स को ताजमहल की पच्चीकारी काफी पसंद आती है। आगरा में इस पच्चीकारी का अच्छा काम होता है। पच्चीकारी के टेबल टॉप से लेकर अन्य पीस बनाए जाते हैैं। यह काफी खूबसूरत होते हैैं। इनकी कीमत लाखों में होती है। विदेशी टूरिस्ट इनमें काफी इंटरेस्ट दिखाते हैैं। एक बस में से किसी ने अपनी पसंद का सामान भी खरीदा तो बिल भी लाखों में पहुंचता है और साथ में कमीशन भी लाखों में मिल जाता है। कमीशन को मांगने की जरूरत नहीं पड़ती है। कमीशन का ये खेल पूरी ईमानदारी के साथ होता है। बिना कहे सबका हिस्सा मिल जाता है।
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कई बार हुई भी है शिकायत
कई बार टूरिस्ट को पता चला जाता है कि उनके साथ में कमीशन का खेल हो चुका है लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है। ऐसे में कई टूरिस्ट छोड़ देते हैं। क्योंकि उन्हें वापस अपने देश जाना होता है। लेकिन कई टूरिस्ट इनकी शिकायत भी कर देते हैैं। पर्यटन पुलिस से शिकायत करने पर पर्यटन थाने में ऐसे मामलों की शिकायत दर्ज की जाती है। लेकिन इनकी संख्या काफी कम होती है। क्योंकि बार-बार आगरा आना टूरिस्ट के लिए पॉसिबल नहीं होता है।
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ये हैं कमीशन दर
फूडिंग में 30 परसेंट तक
शॉपिंग में 40 परसेंट तक
टै्रवल में 20 परसेंट तक
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लपकों की काफी शिकायत आती हंै। शनिवार को भी पूर्वी गेट पर कई लपकों पर कार्रवाई की गई है। टूरिस्ट के साथ ऐसी कोई घटना होती है तो पर्यटन पुलिस उनकी मदद करती हैै। पर्यटन थाने में शिकायत दर्ज की जाती है।
- सैय्यद अरीब अहमद, डीसीपी ताज सुरक्षा

Posted By: Inextlive