Ganesh Chaturthi 2024: ताजनगरी में 378 वर्ष पुराना है गणेशोत्सव का इतिहास
आगरा। Ganesh Chaturthi 2024: शनिवार को गणेश चतुर्थी है। देवों में प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश घर-घर में विराजेंगे। आगरा में गणेशोत्सव का इतिहास 378 वर्ष पुराना है। गोकुलपुरा स्थित सिद्धि विनायक मंदिर में गणेशोत्सव की शुरुआत मराठा सरदार महादजी सिंधिया द्वारा कराई गई थी। इसके लिए उन्होंने आठ आना रोज की सनद दी थी।
मुगलकाल में हुई स्थापना
राजा की मंडी में गोकुलपुरा में गणेशजी का एकमात्र ऐतिहासिक सिद्धि विनायक मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना मुगल काल में वर्ष 1646 में हुई थी। गुजराती नागर और मराठा परिवारों की आस्था का केंद्र रहे मंदिर से ग्वालियर के शासक महादजी सिंधिया का इतिहास जुड़ा है। आगरा प्रवास के दौरान महादजी सिंधिया ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। इस मंदिर को डेरा गणेश का नाम दिया था। वो यहां नियमित पूजा-अर्चना कराते रहे। ग्वालियर राज्य का विस्तार होने पर उन्होंने मंदिर की देखभाल व नियमित खर्च को प्रतिदिन आठ आना की सनद मराठा शासन के नाम जारी की थी। मंदिर के पुजारी के पाास यह धरोहर आज भी सुरक्षित है। कालांतर में यह मंदिर सिद्धि विनायक के नाम से प्रसिद्ध हो गया। पुजारी पं। मनीश शर्मा बताते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन मंदिर से शाही संरक्षण में गणेश जी की शोभायात्रा की शुरुआत महादजी सिंधिया ने ही कराई थी। वर्ष 1860 तक निरंतर शोभायात्रा जारी रही। एक हमले में यह बंद हो गई। देश की आजादी के बाद वर्ष 1959 से यात्रा की दोबारा शुरुआत हुई। शनिवार शाम मंदिर से धूमधाम से शोभायात्रा निकाली जाएगी।
आगरा के मंदिरों में हनुमान जी और भैंरों बाबा को सिंदूर चढ़ाया जाता है। सिद्धि विनायक मंदिर ऐसा है, जहां गणेश जी की प्रतिमा को सिंदूर चढ़ाया जाता है। चंदन की बनी है प्रतिमा
सिद्धि विनायक मंदिर से गणेशजी की चंदन की बनी प्रतिमा की शोभायात्रा निकाली जाती है। इस प्रतिमा के दर्शन श्रद्धालुओं को शोभायात्रा में ही होते हैं। वाराणसी के कारीगरों ने इस प्रतिमा को तैयार किया था। मंदिर में पूजन को मिट्टी की प्रतिमा रखी जाती है, जिसका बाद में विसर्जन कर दिया जाता है। सात सितंबर को मंदिर में 64वें गणेश उत्सव का शुभारंभ होगा, जो 17 सितंबर तक चलेगा। मंदिर पर भव्य फूल बंगला, छप्पन भोग झांकी व एक विशाल शोभायात्रा शाम सात बजे निकाली जाएगी।
मंदिर 378 वर्ष पुराना है। इस मंदिर की स्थापना मुगल काल में वर्ष 1646 में हुई थी। गुजराती नागर और मराठा परिवारों की आस्था का केंद्र रहे मंदिर से ग्वालियर के शासक महादजी सिंधिया का इतिहास जुड़ा है। शनिवार को शाम सात बजे विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी। 17 सितंबर तक मंदिर पर गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। छप्पन भोग व झांकी आकर्षण का केंद्र रहेंगे।
पं। मनीष शर्मा, महंत