Agra news: विलायती बबूल से गायब हो गए ब्रज के फलदार वृक्ष
आगरा(ब्यूरो)। पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ। देवाशीष भट्टïाचार्य ने बताया कि ब्रज में शुरू से ही बायोडायवर्सिटी थी। पेड़-पौधों की बात की जाए तो यहां पर अमरूद, आम, केला, कैत, खजूर, खिरनी, बेर, बेल, शहतूत, श्रीफल, आंवला, इमली, कमरख, करौंदा, जामुन, संतरा, नींबू जैसे फलों के पेड़ होते थे। यह वृक्ष छायादार होते हैैं। जानवर सहित पक्षी भी इन वन और उपवनों में खूब रहते थे। लेकिन वनों के कटान और हेलिकॉप्टर से विलायती बबूल के बीज डलवाने के बाद से यह पेड़-पौधे कम हो गए।
बंदर भी शहर की ओर आए
डॉ। भट्टïाचार्य ने बताया कि पहले बंदरों को आगरा के जंगलों में खाना मिल जाता था। लेकिन अब वहां पर केवल बिलायती बबूल हंै। फलदार और पत्तीदार वृक्ष खत्म होने के बाद बंदरों को अब वहां पर खाना नहीं मिल पाता है। यही कारण है कि बंदर अब शहरों में रहने लगे हैैं। इस कारण शहर में रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। अब बंदर शहर में लोगों द्वारा दिए गए खाने पर ही निर्भर रहते हैैं। यदि बंदरों को वनों में खाना मिलने लगे तो वह शहर में आएंगे ही नहीं।
टीटीजेड में केवल छह परसेंट हरियाली
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी के डॉ। केपी सिंह बताते हैैं कि आगरा में टीटीजेड के अनुसार कुल क्षेत्र 33 परसेंट में हरियाली होनी चाहिए। लेकिन आगरा में केवल 6.1 परसेंट ही वनक्षेत्र हैै। इसमें भी निजी पार्क आदि भी शामिल है। उन्होंने बताया कि आगरा में 18 हजार हेक्टेयर वनक्षेत्र हैै। इसमें भी लगभग 12 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र में बिलायती बबूल है।
डॉ। केपी सिंह ने बताया कि यदि ईको रेस्टोरेंसन के माध्यम से विलायती बबूल को अन्य पेड़-पौधों के साथ रिप्लेस कर दिया जाता है। तो सूरसरोवर व चंबल में फॉरेस्ट हैविटाट बदलेगा। इससे पक्षियों को फूड ज्यादा मिलेगा और वह यहां पर ज्यादा रुक पाएंगे लेकिन इसके लिए सही स्ट्रेटजी के अनुसार ही ईको रेस्टोरेशन किया जाएगा।
फैक्ट फिगर
18 हेक्टेयर वनक्षेत्र है आगरा में
12 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है विलायती बबूल
6.1 परसेंट हरियाली है आगरा में
यह हैैं ब्रज के नेटिव पौधे
- अमरूद
- आम
- केला
- कैत
- खजूर
- खिरनी
- बेर
- बेल
- शहतूत
- श्रीफल
- आंवला
-इमली
- कमरख
- करौंदा
- जामुन
- संतरा
- नींबू
विलायती बबूल ऐसे फैलता है
- यह बंजर जमीन पर भी पनप सकता है
- एक बार यह पनपने के बाद में तेजी से फैलता है
- अपने आसपास के पेड़ पौधों को पनपने नहीं देता है
- पानी को सोखता है
- अमीनो एसिड छोड़कर जमीन के मिनरल्स को कम कर देता है।
विलायती बबूल को हटाने का निर्णय ठीक है। इससे ब्रज के नेटिव पौधे गायब ही हो गए। ब्रज के फलदार वृक्ष भी जंगलों से गायब हो गए।
- डॉ। देवाशीष भट्टïाचार्य, पर्यावरण एक्टिविस्ट
- डॉ। केपी सिंह, फाउंडर, बीडीआरएस