आगरा में प्रस्तावित बैराज एनओसी के भंवरजाल से बाहर नहीं आ पा रहा है. इस कारण तीन दशक पुरानी बैराज की मांग पूरी नहीं हो पा रही है. बैराज ने कागजों में तो खूब तरक्की की है लेकिन उसके पांव जमीन पर नहीं उतर पा रहे हैं. अगर समय रहते आगरा मेें बैराज तैयार हो जाता तो बारिश के पानी को रोका जा सकता था. इससे यहां के अंडरग्राउंड वाटर लेवल में भी इजाफा होता. वाटर लेवल में सुधार होने से गंभीर जलसंकट से निजात मिल सकती थी.

आगरा। आगरा में प्रस्तावित बैराज के निर्माण के लिए 6 विभागों से एनओसी लेनी थी। पिछले तीन वर्षों में केवल 3 विभागों से ही एनओसी मिल सकी है, जबकि अभी तीन विभागों से एनओसी नहीं मिल सकी है। इसमें केंद्रीय जल आयोग अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण और एएसआई से एनओसी प्राप्त हो चुकी है। इस बारे मेें ताज बैराज खंड के एक्सईएन शरद सौरभ गिरि ने बताया कि एनओसी के लिए आवेदन किया गया है। इसमें केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, एनजीटी, टीटीजेड से एनओसी ली जानी है। इसके अलावा नेशनल एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट नीरी ने भी कुछ शर्तों के साथ सहमति दी है। अभी सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी सीईसी से भी एनओसी ली जानी है।

2017 में सीएम ने की थी संस्तुति
वर्ष 2017 में सीएम ने आगरा में बैराज बनाने की संस्तुति को अनुमति दी थी। सीएम ने इसकी आधारशिला रखी थी। इसके लिए अफसरों ने विदेशों में जाकर मॉडल भी देखे थे। लेकिन अफसरों की उदासीनता और राजनीतिक दबाव न होने से बैराज का काम आगे नहीं बढ़ सका। बता दें कि 2018 में तत्कालीन यूपी के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने सर्किट हाउस में एक पत्रकारवार्ता में 50 करोड़ रुपए आवंटित करने का दावा किया था। इस परियोजना के लिए 706 करोड़ रुपए का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया था।

नहीं बहेगा बारिश का पानी
यमुना पर बैराज बनने से न तो बारिश का पानी बहेगा, न ही गोकुल बैराज से छोड़े जाने वाला पानी बहेगा। बैराज बनने से यहां 3.5 लाख क्यूसेक पानी को रोका जा सकेगा। पानी रुकने से कैलाश मंदिर से नगला पैमा तक मनमोहक दृश्य दिखाई देगा। इससे टूरिस्ट भी आकर्षित होंगे।

बैराज के प्रस्ताव पर एक नजर
परियोजना का नाम: यमुना बैराज परियोजना
-2018 में 50 करोड़ का बजट रिलीज करने का दावा
- 706 करोड़ बैराज परियोजना की कुल लागत
- 475 मी। बैराज की लंबाई
- 22 बैराज में गेट की संख्या
- बैराज को पर्यटन और नौकायान की दृष्टि से किया जाना था विकसित


नहीं चले यमुना में जहाज:
18 अगस्त 2016 को केन्द्रीय जहाजरानी मंत्री नितिन गड़करी ने यमुना में दो वर्ष में जहाज चलाने की बात कही थी। साथ ही यमुना की सफाई की बात भी कही थी, लेकिन जहाज चलाने की बात तो दूर रही, अभी तक यमुना की सफाई तक नहीं हो सकी है। आज भी यमुना सूखी पड़ी है। गंदे नाले यमुना में ही गिर रहे हैं। यमुना में तकरीबन 490 फुट पानी रहना चाहिए। जो मौजूदा समय में औसत से भी कम है।


ऐसे आगे बढ़ी बैराज की कहानी
- वर्ष 1980 में आगरा में पेयजल आपूर्ति के लिए बैराज निर्माण की मांग उठी थी।
- बाद में इस पर किन्हीं कारणों से रोक लगा दी गई।
- 1986-87 में तत्कालीन यूपी के सीएम रहे नारायण दत्त तिवारी ने शिलान्यास किया था।
- शिलान्यास के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
- वर्ष 1991 में फिर बैराज का प्रस्ताव तैयार किया गया।
- 1.34 करोड़ की लागत का आंकलन किया था।
- 2001 में इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया।
- 2003 में प्रस्ताव को पुन: बहाल करते हुए यमुना नदी पर 9.6 किमी। के दायरे में बैराज निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया। बाद में इसमें संशोधन करते हुए टीटीजेड ने 15 करोड़ रुपए मुहैया कराए गए। इनसे भवन निर्माण सर्वे किया जाना था। इसके बाद वर्ष 2013 में इसको पुनरीक्षित करते हुए 1578 करोड़ स्वीकृत हुए थे। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।


हमने एनओसी के लिए आवेदन किया है। कई विभागों से एनओसी लेनी है। इसके लिए हम लगातार पत्राचार कर रहे हैं। अभी एनओसी नहीं मिली है। एनओसी मिलने के बाद ही परियोजना पर काम शुरु किया जाएगा।
शरद सौरभ गिरि, एक्सईएन, ताज बैराज खंड

Posted By: Inextlive