ताजमहल पर मंकी बाइट होना इन दिनों चर्चा का विषय है. हर दिन कभी स्पेनिश तो भी पश्चिम बंगाल के पर्यटकों को काट रहे हैं. ताज का दीदार करने पहुंच रहे भारतीय पर्यटक भी नहीं बच पा रहे हैं.

आगरा। बीते दिनों एक स्पेनिश पर्यटक तो बंदरों के काटने के बाद रोने लगी थी, उसके पैर से ब्लीडिंग होना शुरू हो गया था। ताज पर बंदरों द्वारा हमला करने का यह सिलसिला रोजाना जारी है। बंदरों के इस आतंक को लेकर दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट में सिटी में एक सर्वे कराया। इसमें शहरवासियों ने कहा है कि बंदरों का आतंक ताजमहल पर ही नहीं, बल्कि शहर के अन्य हिस्सों में भी लोग बंदरों से परेशान हैैं।

क्या रही सर्वे की फाइंडिंग
दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट ने गूगल फॉर्म के माध्यम से सर्वे किया। इसमें पहला सवाल पूछा गया कि टूरिस्ट्स को बंदर काट रहे हैैं इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इसके जवाब में 94.7 परसेंट लोगों ने एएसआई को जिम्मेदार बताया तो 5.3 परसेंट लोगों ने टूरिस्ट को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। सर्वे में दूसरा सवाल पूछा गया कि क्या इन घटनाओं से ताजमहल या आगरा के टूरिज्म की छवि पर असर पड़ रहा है? इसके जवाब में 98.7 परसेंट लोगों ने हां में जवाब दिया। 1.3 परसेंट लोगों ने नहीं में जवाब दिया। तीसरे सवाल में पूछा गया कि क्या शहर के अन्य क्षेत्रों में भी बंदरों का आतंक है? इस सवाल के जवाब में 100 परसेंट लोगों ने कहा कि अन्य क्षेत्र में भी बंदरों का आतंक है।

सर्वे की यह आई फाइंडिंग
1- टूरिस्ट्स को बंदर काट रहे हैैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
एएसआई की - 94.7 परसेंट
टूरिस्ट की- 5.3 परसेंट

2- क्या इन घटनाओं से ताजमहल या आगरा के टूरिज्म की छवि पर असर पड़ रहा है?
हां- 98.7 परसेंट
नहीं- 1.3 परसेंट

3- शहर के अन्य क्षेत्र में भी क्या बंदरों का है आतंक?
हां- 100 परसेंट
नहीं- 0 परसेंट

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आए दिन होती है छिटपुट घटना
ताजमहल पर विश्वदायी इमारत है। इस कारण यहां पर जरा-सी घटना भी सभी की नजरों में आ जाती है। लेकिन शहर के अन्य क्षेत्र में आए दिन लोग छिटपुट घटनाओं का शिकार होते हैैं। हलवाई की बगीची निवासी पूजा बताती हैैं कि पहले बंदरों की टोली कभी-कभी ही आती थी। लेकिन अब तो आए दिन बंदर आते हैैं और खाने-पीने की चीजें दिखते ही उन्हें उठाकर ले जाते हैैं। नगला पदी निवासी जीत बताते हैैं कि एक दिन वह खाना खा रहे थे, तभी बंदर आए और उनकी थाली में से रोटी उठाकर ले गए। एक बार तो उनके भतीजे को बंदर घायल भी कर गए थे।

रिश्तेदारों पर बंदर करते हैैं हमला
कचहरी घाट निवासी मनीष गौतम बताते हैैं कि उनके क्षेत्र में तो बंदरों का इतना ज्यादा आतंक हैै कि उनके घर पर रिश्तेदार भी आने से कतराते हैैं। उन्होंने बताया कि बंदर उनके घर आने वाले रिश्तेदारों पर हमला करते हैैं। हमने भी अपने घरों की बालकनी और खिड़कियों पर जाली लगा ली है। जिससे कि बंदर घर में न घुसें।


मेरे ऑफिस की तरफ बंदर काफी परेशान कर रहे हैैं। ऑफिस में जाने के लिए गार्ड को साथ लेकर जाना पड़ता है। गार्ड को डंडा कैरी करना पड़ता है।
- मेघा राघव, खंदारी

पहले बंदर नहीं आते थे। लेकिन अब रोजाना बंदरों की टोली आती है। पेड़ों को तोड़ देती है। मेेरे स्कूल के बच्चों को बंदरों से खतरा रहता है।
- प्रशांत सोनी, आवास विकास

शहर के कई हिस्सों में बंदरों का काफी आतंक है। एसएन मेडिकल कॉलेज सहित शहर के बाजारों व अन्य इलाकों में बंदर काफी परेशान करते हैैं।
- श्याम भोजवानी, ताजगंज

बंदरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आए दिन घर पर बंदर आ जाते हैैं। बीते दिनों में भतीजे को भी घायल कर दिया। वो अब बंदरों से डरता है।
- जीत, नगला पदी
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इन हिस्सों में बंदरों का अधिक आतंक
कचहरी घाट
बेलनगंज
एसएन मेडिकल कॉलेज
फ्रींगज
दरेसी
छत्ता
हाथी घाट

Posted By: Inextlive