जीरो वेस्ट की सीख दे रहे स्टूडेंट्स
-घरों से निकले बायोडिग्रेडेबल और नॉन डिग्रेडेबल का अलग अलग कर रहे एकत्रित
-गांव और शहरवासियों को कर रहे जागरूकआगरा। कूड़े को कलेक्ट करना तो आसान है लेकिन उसको सही जगह तक पहुंचाना एक चुनौती होती है। अक्सर सरकारी विभाग गलीं-मोहल्लों से निकलने वाले कूड़े को कलेक्ट तो कर लेते है लेकिन उसको किसी मैदान में जाकर यूहीं फेंक देते है। कूड़े का सही तरीके से सेग्रीगेशन न हो पाने के कारण वह कूड़ा प्रदूषण क्रिएट करना शुरू कर देता है। ताजनगरी को प्रदूषण रहित रखने के लिए युवाओं ने मुहिम छेड़ दी है। दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स गांवों एवं शहर में जाकर लोगों को जीरो वेस्ट मैनेजमेंट की सीख दे रहे है। लोगों को घर से निकले कूड़े को बायोडिग्रेडेबल और नॉन बॉयोडिग्रेडेबल के रूप में एकत्रित करना सिखा रहे है। साथ ही लोगों को घर की रसोई से निकले कूड़े से जैविक खाद बनाने की ट्रेनिंग दे रहे है। जिससे वह खुद अपने स्तर से कूड़े का सही संयोजन कर ताजनगरी में बढ़ रहे प्रदूषण को रोक सके।
93 स्टूडेंट्स कर रहे लोगों को जागरूकदयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के करीब 93 स्टूडेंट्स गांव और शहर के कई इलाकों में जाकर लोगों को कूड़े का कैसे सेग्रीगेशन करना है उसकी घर घर जाकर सीख दे रहे है। ट्रेनिंग के दौरान लोगों को बता रहे है कि घर से निकले कचरे को नॉन- बॉयोडिग्रेडेबल और बॉयोडिगेडेबल कचरे में अलग करना चाहिए। घरों से निकले ऑर्गेनिक कचरे को बॉयो कंपोस्ट और मीथेन गैस में बदल कर उनका उच्च स्तर पर प्रयोग किया जा सकता है। खाद् जहां खेती के प्रयोग में लाई जा सकती है वहीं मीथेन गैस एलपीजी का एक स्ट्रांग सब्सीट्यूड है।
थ्री आर की मुहिम पर कर रहे काम डीईआई के स्टूडेंट्स शहर को प्रदूषण रहित बनाने के लिए थ्री आर मंत्र की मुहिम पर काम कर रहे है। थ्री आर से आशय रिसाइकिल, रीयूज और रिड्यूज है। जिसके अनुसार कूड़े को जीरो वेस्ट के आधार पर उसका मैनेंजमेंट किया जाना चाहिए। बॉयोडिग्रेडेबल और नॉन बॉयोडिग्रेडेबल में ठोस पदार्थ, तरल पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ एवं कृषि पदार्थ आदि को अलग अलग रूप में एकत्रित किया जाता है। पिट बनाकर वेस्ट कूड़े से बनाते है खादस्टूडेंट्स लोगों को डेमो देकर बता रहे है कि घरों से निकले कूड़े में से सबसे पहले खाने की चीजों को और रसोई से निकले आर्गेनिक कचरे को अलग एकठ्ठा कर ले। घर के समीप किसी खुले स्थान पर दो से तीन फीट गहरी पिट खोद ले। उस पिट में सबसे पहले सूखी पेड़ की पत्तियां डाले। उसके ऊपर केचुआ एवं गोबर की एक परत बिछा दे। उसके ऊपर फिर घर से निकले हुए इकट्ठे कचरे को डाल दें। उसके ऊपर फिर गोबर की परत डालकर बंद कर दे। अब इस पिट को करीब 20 दिन के तक छोड़ दे। जैविक क्रिया होने से खाद बनकर तैयार हो जाती है। यह भूमि की उर्वरा बढ़ाती है। साथ ही खेती के दौरान उपयोग में भी लाई जाती है।
नॉन बायोडिग्रेडेबल कूड़े को भेज देते है रिसाइकिल होने को स्टूडेंट्स लोगों को जानकारी दे रहे है कि ठोस कूड़े को अलग से इकट्ठा करे। यह ठोस कूड़ा रिसाइकिल होकर दोबारा से प्रयोग में लाया जा सकता है। एल्युमीनियम, तांबा, स्टील, कांच, कागज और कई प्रकार की प्लास्टिक की चीजों का अलग करके उनको दोबारा से कारखानो में नया रूप दे दिया जाता है। यह प्रक्रिया प्रकृति में खनन की कमी को लाती है.कागज की रिसाइकिल होने पर पेड़ो की कटाई को काफी हद तक रोका जा सकता है।स्टूडेंट्स के माध्यम से उन क्षेत्रों में जागरूकता फैलाई जा रही है जहां लोग कूड़े के सेग्रीगेशन करने के लिए सजग नहीं है। प्रकृति को तब ही सुरक्षित कर सकते है जब सभी का योगदान समान रूप से हो।
डॉ। रंजीत कुमार, प्रोफेसर, साइंस फैकल्टी, डीईआई बॉयोडिग्रेडेबल -सूखे पत्ते -छिलके -सब्जियां, फल -चाय की पत्ती नॉन बॉयोडिग्रेडेबल -एल्युमीनियम -प्लास्टिक से बने प्रोडक्ट -मैटल के स्क्रैब्स -ग्लास -ग्लासरी बैग -प्लास्टिक बैग आदि