मौत की एम्बुलेंस को रोकिए साहब
फिटनेस हो गई थी एक्सपायर
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने एंबुलेंस के रजिस्ट्रेशन नंबर (यूपी 80 बीटी 4644) का रजिस्ट्रेशन स्टेटस परिवहन पोर्टल पर देखा। इसमें एंबुलेंस का स्टेटस एक्सपायर हो दर्शाया गया था। अंतिम बार 26 अप्रैल 2018 को एंबुलेंस की फिटनेस हुई थी। सवाल यह उठता है कि अनफिट एंबुलेंस सड़कों पर दौड़कर मरीजों की जान से खिलवाड़ कब तक करेंगी।
एंबुलेंस फिरोजाबाद से मरीज को एसएन मेडिकल कॉलेज लेकर जा रही थी। सूरसदन चौराहे पर अचानक ड्राइवर सीट के नीचे आग लगी। इसके बाद ड्राइवर बाहर उतरा। तब तक लोगों की भीड़ वहां पर एकत्रित हो गई। यहां से गुजर रहे उप नगरायुक्त विकास सेन ने नगर निगम से फायर एक्सटिंगशर मंगवाकर आग बुझवाई। मरीज को बाहर निकालकर फुटपाथ पर लिटाया गया। तब तक दमकल की गाड़ी पहुंच गई। मरीज को दूसरी एंबुलेंस से हॉस्पिटल भेजा गया।
दौड़ रहीं अनफिट एंबुलेंस
जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। शहर की सड़कों पर 1500 के करीब एंबुलेंस दौड़ रही हैैं। इनमें से 470 ही रजिस्टर्ड है। इनमें से भी 127 एंबुलेंस अनफिट हैैं। उनकी फिटनेस खत्म हो गई है। उन्हें डाक द्वारा नोटिस भेजा गया है।
राजस्थान की एंबुलेंस दौड़ रहीं
चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ। अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि एंबुलेंस को संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय(आरटीओ) द्वारा पंजीकृत किया जाता है। इसमें लगे मेडिकल इक्विमेंट्स की जांच स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जाती है। यदि एक निश्चित तारीख निर्धारित हो जाए तो सभी एंबुलेंस को बुलाकर विभाग की टीम मेडिकल इक्विपमेंट्स की जांच कर सकती है। उन्होंने बताया कि हमें सूचना मिली है कि 100 से अधिक राजस्थान की एंबुलेंस आगरा में संचालित हो रही हैैं। आरटीओ को पत्र लिखकर इन एंबुलेंस पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया जाएगा।
यह उठते हैैं सवाल
आगरा में लगभग 470 एंबुलेंस ही रजिस्टर्ड हैं, लेकिन शहर की सड़कों पर लगभग दो हजार फर्राटे मार रही हैं। लगभग 1530 एंबुलेंस अवैध रूप से दौड़ रही हैं। वे यहां पर किस आधार पर चल रही हैं। कौन उनका संचालन करा रहा है। यह जानने की कोशिश कभी न तो आरटीओ कार्यालय ने की है और न ही पुलिस ने की है। मरीजों को लाने ले जाने के कार्य में लगीं एंबुलेंस की सेहत कैसी है। वे चलने के योग्य हैं या नहीं हैं। यह जांच पड़ताल अमूमन आरटीओ ऑफिस से नहीं की जाती। औपचारिकता के तौर पर कभी-कभी चेङ्क्षकग कर ली जाती है। जो एंबुलेंस रजिस्टर्ड नहीं हैं, उन्हें भी कभी चेक नहीं किया गया है।
नई एंबुलेंस की आठ साल तक हर दो साल बाद फिटनेस होती है। जैसे ही रजिस्ट्रेशन आठ साल पुराना हो जाता है, उसके बाद एक-एक साल बाद फिटनेस होती है। एंबुलेंस अगर किसी संस्था के नाम रजिस्टर्ड है तो उससे कोई टैक्स नहीं वसूला जाता है। एंबुलेंस का संचालन गैर प्रदेशों में भी किया जा सकता है। अन्य प्रदेशों की एंबुलेंस मरीजों को लेकर आ जा सकती हैं, लेकिन गैर प्रदेशों की एंबुलेंस का परमानेंट संचालन नहीं हो सकता है। इसके लिए टैक्स देना होगा।
-------------- एंबुलेंस यह होना जरूरी
- ड्राइवर
- कुशल प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ
- स्ट्रेचर
- एडजस्टेबल सीट
- ऑक्सीजन सिलेंडर
- ड्रिप लगाने के लिए स्टैैंड
- फस्र्ट एड किट
- बीपी चेक करने व प्राथमिक उपचार को किट
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1500 से अधिक एंबुलेंस दौड़ रही शहर की सड़कों पर
470 हैैं आरटीओ में पंजीकृत
127 एंबुलेंस की फिटनेस हो चुकी है खत्म
100 एंबुलेंस राजस्थान की चल रही आगरा में
वर्जन
एंबुलेंस में इक्विपमेंट की जांच स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा किया जाता है। पंजीकरण आरटीओ द्वारा किया जाता है। एंबुलेंस की फिटनेस की जांच के लिए पहले से डेट तय हो जाए तो एंबुलेंसों की जांच की जा सकेगी। राजस्थान की 100 अवैध एंबुलेंस की जानकारी मिली है। इन पर कार्रवाई के लिए भी आरटीओ को पत्र लिखा जाएगा.
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ