इंडियन आर्मी के सोल्जर्स को जमीन से लेकर हवा तक देश की रक्षा करने में महारत हासिल है. वहीं हाई एल्टीट्यूड वाले पहाड़ों पर भी इंडियन आर्मी लडऩे में सक्षम है. हिमालयन रेंज में सियाचिन से लेकर लद्दाख डोकलाम व सिक्किम तक इंडियन आर्मी देश की रक्षा करती है.


देवदत्त आगरा(ब्यूरो)। यूएस आर्मी के जवान भी बीते साल इंडियन आर्मी के सोल्जर्स से हाई एल्टीट्यूड पर जंग लडऩे की ट्रेनिंग लेकर गए हैं लेकिन देश को अभी तक हाई एल्टीट्यूड पर लडऩे के लिए उपयोग होने वाले कपड़े और ग्लब्स को यूरोपियन देशों से इंपोर्ट करना पड़ता था लेकिन अब इंडियन आर्मी के सोल्जर्स आत्मनिर्भर भारत में बने हाई एल्टीट्यूड ग्लब्स ही पहनेंगे।
सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएलआरआई) के वैज्ञानिकों ने डिफेंस में उपयोग होने वाले ऐसे ग्लब्स तैयार किए हैैं, जो हाई एल्टीट्यूड यानि कई हजार फीट ऊंचाई पर अधिक सर्दी, टेंप्रेचर और प्रेशर से सोल्जर्स को बचाएंगे। यह ग्लब्स -30 से -50 डिग्री सेल्सियस टेंप्रेचर पर भी अनुकूलता बनाए रखते हैं। इंडियन फुटवियर कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इफकोमा) द्वारा आयोजित शू टेक आगरा में सीएलआरआई ने अपनी एग्जीबिशन लगाई। इस दौरान यहां पर सीएलआरआई के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्थान फुटवियर और अन्य चमड़े के उत्पादों सहित नई सामग्री पर काम कर रहा है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने रक्षा क्षेत्र के लिए अत्यधिक ठंड के मौसम में उपयोग के लिए ग्लब्स विकसित किए हैं। इन ग्लब्स को स्पेशल लुब्रिकेंट्स और -30 से -50 डिग्री सेल्सियस में कारगर मैटेरियल तैयार करके बनाया गया है। इन ग्लब्स को ऑर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री को फील्ड ट्रायल के लिए उपलब्ध कराया गया है। सितंबर में दिए गए 30 ग्लब्स पर प्रतिक्रिया मई-जून में आएगी, जिसके बाद आगे और ग्लब्स बनाए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि हाई एल्टीट्यूड पर इंडियन सोल्जर्स के यूज होने वाले कपड़ों और ग्लब्स में 800 करोड़ रुपए का खर्च आता है। आत्मनिर्भर बनने की ओर भारत तेजी से बढ़ रहा है। अभी तक इस तरह की सामग्री इंपोर्ट की जाती थी, लेकिन संस्थान ने स्वेदशी रूप से विकसित किया है। इससे इंपोर्ट पर बड़ी बचत होगी और दूसरे देशों पर निर्भरता समाप्त होगी।

Posted By: Inextlive