नींबू मिर्ची बेचकर घर चलाने वाला शेर अली फस्र्ड विजन पास
आगरा। शेर अली पहले भीख मांगते थे। 2014 में जब पुलिस ने भीख मांगने वाले बच्चों पर रेस्क्यू अभियान चलाया था। इस अभियान में समाजसेवी नरेश पारस इस टीम में शामिल थे। उन्होंने शेर अली को पढऩे के लिए प्रेरित किया। वे उसे स्कूल ले गए। वहां पर टीचर्स ने कहा कि इसमें बदबू आ रही है। इसके बाद नरेश ने शेर अली को नहलाया और स्कूल भेजा। नरेश पारस ने बताया कि इन लोगों के पास उस वक्त कोई दस्तावेज नहीं थे। स्कूल में इनका जाति प्रमाण-पत्र आदि मांगा। इसके बाद कई बार शिकायतें करने के बाद एडी बेसिक ब्रजेश चौधरी ने इस मामले का संज्ञान लिया और हस्तक्षेप करने के बाद शेर अली सहित 36 बच्चों का एडमिशन किया गया। शेर अली ने बताया कि हमें तो कभी पता भी नहीं था कि पढ़ाई क्या होती है, नहाना क्या होता। स्कूल गए तो पढ़ाई की। बुलंदशहर में राज्यस्तरीय खेल प्रतियोगिता में दौड़ा और गोल्ड मेडल हासिल किया। मैंने डांस भी सीखा। मैैं ताज महोत्सव में भी डांस करता हूं।
नहीं मिली कोई मदद
नरेश पारस बताते हैैं कि हम अपने स्तर से ही शेर अली जैसे बच्चों को मुख्यधारा से जोडऩे का प्रयास कर रहे हैैं। इसमें सरकार का कोई साथ नहीं है। उन्होंने बताया कि शेर अली ने हाईस्कूल में फस्र्ट डिवीजन से अंक प्राप्त किए हैैं। माय गॉव ने उनके बारे में ट्वीट कर सराहना भी की है। उन्होंने बताया कि उसकी आगे की पढ़ाई के लिए सरकार मदद करे तो उसके सपनों को उड़ान मिल सकती है। उन्होंने कहा कि शहर में ऐसे सैैकड़ों बच्चे हैैं, जिनमें अग्निवीर बनने का जज्बा और टैलेंट है। लेकिन उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए।
माय गॉव भारत सरकार का एक पोर्टल है जिसका शुभारंभ 26 जुलाई 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य है नागरिकों को सरकार के साथ जोडऩा तथा राष्ट्र के विकास में हाथ बंटाने के माध्यम के रूप में कार्य करना है।
यह लिखा है ट्वीट में
आगरा के रहने वाले शेर अली की जिंदगी में कई मुश्किलें हैैं। लेकिन उनके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। वह देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाह रखते हैैं। देखिए, अग्निपथ योजना ने उनके जुनून को कैसे एक नई ऊंचाई दे दी