आगरा में मेट्रो स्टेशनों में फिनिशिंग के साथ पीईबी स्ट्रक्चर से हो रहा शेड निर्माण
आगरा। आगरा मेट्रो प्रायॉरिटी कॉरिडोर के तीन ऐलिवेटिड मेट्रो स्टेशन ताज ईस्ट गेट, बसई एवं फतेहाबाद रोड) का सिविल निर्माण कार्य पूरा हो गया। फिलहाल, तीनों स्टेशनों पर फिनिशिंग कार्य किया जा रहा है। ताज ईस्ट गेट एवं बसई मेट्रो स्टेशन पर पीईबी स्ट्रक्चर के जरिए छत का निर्माण शुरू हो गया है। बता दें कि ऐलिवेटेड स्टेशन की छत निर्माण हेतु क्रेन की मदद से पीईबी स्ट्रक्चर के विभिन्न भागों को प्लेटफॉर्म तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद पीईबी स्ट्रक्चर के विभिन्न भागों को जोड़ कर प्लेटफॉर्म की छत का निर्माण किया जा रहा है।
क्या है पीईबी तकनीक?
पीईबी या प्री इंजीनियर्ड बिल्डिंग तकनीक के जरिए बेहद ही कम समय में बड़े एवं विशाल श़ेड का निर्माण किया जाता है। इस तकनीक में निर्माण स्थल पर पीईबी स्ट्रक्चर के लिए फाउंडेशन का काम किया जाता है। इसके बाद फैक्ट्री में निर्मिंत पीईबी के मेटल से बने विभिन्न भागों को निर्माण स्थल पर लाकर जोड़ा जाता है और विशाल शेड का निर्माण किया जाता है। इस तकनीक के जरिए न सिर्फ समय की बचत होती है बल्कि निर्माण की लागत में कमी आती है।
29.4 किमी। के बन रहे दो कॉरिडोर
ताजनगरी में 29.4 किमी लंबे दो कॉरिडोर का मेट्रो नेटवर्क बनना है, जिसमें 27 स्टेशन होंगे। ताज ईस्ट गेट से सिकंदरा के बीच 14 किमी लंबे पहले कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस कॉरिडोर में 13 स्टेशनों का निर्माण होगा। जिसमें 6 एलीवेटिड जबकि 7 भूमिगत स्टेशन होंगे। इस कॉरिडोर के लिए पीएसी परिसर में डिपो का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही आगरा कैंट से कालिंदी विहार के बीच लगभग 16 कि.मी। लंबे दूसरे कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा, जिसमें 14 ऐलीवेटेड स्टेशन होंगे। इस कॉरिडोर के लिए कालिंदी विहार क्षेत्र में डिपो का निर्माण किया जाएगा।
एक दिन में 10 मीटर टनल बनाएगी टीबीएम
आगरा: मेट्रो के लिए निर्माण कार्य में तेजी आई है। रामलीला ग्राउंड में टनल बोङ्क्षरग मशीन (टीबीएम) के लिए लांङ्क्षचग शाफ्ट का निर्माण शुरू हो गया है। इसी स्थान से दो टनल बोङ्क्षरग मशीनों को एक साथ लांङ्क्षचग शाफ्ट में उतारा जाएगा। इसके बाद दोनों टीबीएम 5.85 मीटर व्यास (डायमीटर) की दो समानांतर टनल का निर्माण करेंगी। एक टीबीएम मशीन एक दिन में 10 मीटर टनल तैयार करेगी। उप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि टनल निर्माण की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी की जाती है। सबसे पहले टीबीएम की लांङ्क्षचग हेतु एक लांङ्क्षचग शाफ्ट का निर्माण किया जाता है। इसके बाद गैंट्री क्रेन की सहायता से टनल बोङ्क्षरग मशीन के विभिन्न हिस्सों को लांङ्क्षचग शाफ्ट में उतारकर उन्हें जोड़ा जाता है। फिर टीबीएम के पिछले हिस्से में काङ्क्षस्टग यार्ड में प्रीकास्ट तकनीक से निर्मित टनल ङ्क्षरग के हिस्सों को रखा जाता है। टीबीएम के सबसे अग्रिम हिस्से को कङ्क्षटग हेड कहा जाता है, जिसकी मदद से सुरंग की खोदाई की जाती है।
कङ्क्षटग हेड में एक विशेष प्रकार के केमिकल के छिड़काव की भी व्यवस्था होती है, जो कङ्क्षटग हेड पर लगे नोजल द्वारा मिट्टी पर छिड़का जाता है। इस केमिकल की वजह से मिट्टी कटर हेड पर नहीं चिपकती और आसानी से मशीन में लगी कन्वेयर बेल्ट की मदद से मशीन के पिछले हिस्से में चली जाती है। जहां से ट्राली के जरिए मिट्टी को टनल से बाहर लाकर डंङ्क्षपग एरिया में भेज दिया जाता है। मशीन के पिछले हिस्से में प्रीकास्ट ङ्क्षरग सेगमेंट को लांच करने की व्यवस्था भी होती है।