रुई की मंडी रेल ओवर ब्रिज आरओबी के दायरे में 50 मकान व दुकानें आ रही हैं. मंडल रेल प्रशासन का दावा है कि यह सभी रेलवे की भूमि पर बने हैं. जिन्हें बने हुए पांच से 30 साल हो चुके हैं. क्षेत्रीय लोगों ने भूमि को स्वयं की बताया है. जिसे देखते हुए मंडल प्रशासन ने भूमि के दस्तावेज दिखाने के लिए कहा है.

आगरा ब्यूरो : मंडल रेल प्रशासन रुई की मंडी रेलवे फाटक पर 125 करोड़ रुपए से आरओबी बना रहा है। यह कार्य दो अन्य रेलवे फाटक नगला छऊआ और अर्जुननगर में भी होगा। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि दो साल में आरओबी बनकर तैयार होगा। जिला प्रशासन से अनुमति भी मिल गई है। डिजाइन बन चुकी है। क्षेत्रीय निवासी हेमेंद्र कुमार ने बताया कि भूमि से संबंधित सभी दस्तावेज हैं। दस साल पूर्व मकान की रजिस्ट्री भी है। ऐसे में उनकी जमीन को रेलवे खुद की नहीं बता सकता है। क्षेत्रीय निवासी पंकज कुमार ने बताया कि जल्द ही डीआरएम कार्यालय में भूमि से संबंधित दस्तावेज दिखाए जाएंगे। मंडल वाणिज्य प्रबंधक प्रशस्ति श्रीवास्तव का कहना है कि संबंधित लोगों से दस्तावेज दिखाने के लिए कहा गया है। जल्द ही प्रशासन के साथ इसे लेकर बैठक भी होगी।

यह आ रही दिक्कत :
अगर मकान व दुकानें रेलवे की भूमि पर बनी हैं तो ऐसे में क्षेत्रीय लोगों को मुआवजा नहीं मिलेगा। हालांकि इन लोगों का विस्थापन किसी अन्य जगह पर कराया जाएगा। इसके बाद ही मकानों व दुकानों को तोड़ा जाएगा। वहीं अगर जमीन लोगों की खुद की है तो ऐसी दशा में मुआवजा मिलेगा।

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जल्द लिए जाएंगे सॉइल के सैंपल
मंडल रेल प्रशासन की टीम जल्द ही रुई की मंडी, नगला छऊआ और अर्जुन नगर रेलवे फाटक के पास से मृदा के नमूने लेगी। नमूनों की जांच की जाएगी। मिट्टी की मजबूती और उसकी प्रकृति का पता लगाया जाएगा।

Posted By: Inextlive