आगरा. दो महीने के अंदर छोटी-छोटी बात को लेकर100 परिवारों में दरारें बढ़ी हैं. शिकायत के बाद परिवार परामर्श केन्द्र में काउंसलिंग के बाद ऐसे परिवारों को बिखरने से बचाया जा रहा है. रविवार को 11 परिवारों में सुलह कराई गई जबकि शेष मामलों में फरियादियों को आगे की डेट मिली है वहीं आठ केसों में एफआईआर के निर्देश दिए हैं.

फैमिली से अलग रहने का निर्णय
ईगो पारिवारिक जीवन बिखरने का कारण बन रहा है। इन समस्याओं के चलते पारिवारिक सदस्यों के बीच दूरियां तेजी से बढ़ रही हैं। अग्नि को साक्षी मानकर सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें सात साल भी वह नहीं निभा पा रहे। छोटी-छोटी बात पर ऐसे लोग एक दूसरे से अलग होने का फैसला कर ले रहे हैं। वे फैमिली से अलग होना चाहते हैं।

पटरी पर आई जीवन की गाड़ी
पारिवारिक परामर्श केंद्र में इस तरह के मामलों की भरमार है। पिछले दो महीने में पारिवारिक विवाद से संबंधित 100 से अधिक केस यहां आए हैं। तमाम कोशिशों और काउंसलिंग के बाद करीब 30 ऐसे परिवार रहे जिनके जीवन की गाड़ी फिसल कर भी पटरी पर आ गई। वह अब एक दूसरे के साथ दांपत्य जीवन जी रहे हैं। शेष बचे हुए प्रकरण में काउंसलिंग का प्रोसेस जारी है।

4 महीने पहले ली थी आईवीएफ तकनीक
बहू ने केंद्र के काउंसलर्स को बताया कि सास-ससुर उसका हिस्सा नहीं देना चाहते। उसके पास आय का कोई साधन नहीं है। उसके पास आय का गंभीर संकट है, वह मायके की मदद से अपना गुजारा कर रही है। वहीं, वारिस के लिए दंपति ने 58 साल की उम्र में चार महीने पहले आईवीएफ तकनीक से बच्चा किया और उसके साथ लखनऊ में रह रहे हैं। अधिकारी लखनऊ में एक सरकारी विभाग में कार्यरत है।

समझौते के प्रयास जारी
काउंसलर्स ने बताया कि रविवार को इस मामले की दूसरी तारीख पड़ी थी, पहली तारीख पर भी समझाने की कोशिश की गई पर दोनों पक्ष सुनने को तैयार नहीं हैं। ससुर को आशंका है कि हिस्सा लेने के बाद बहू रफूचक्कर हो जाएगी, इसलिए वह राजी नहीं हो रहे।

काउंसलिंग के जरिए माइंड वास
मार्च से लेकर अप्रैल तक महिला थाने में आने वाले इस तरह के करीब 100 केस भेजे गए। पारिवारिक परामर्श केंद्र में इनके केस को दर्ज कर जिम्मेदारों द्वारा दोनों पक्षों को बुलाया गया। यहां पहुंचे दोनों पक्षों को बैठाकर बारी-बारी उनकी बातें सुनी गईं। तीन से चार बार बुलाकर सभी का माइंड वास किया गया। नतीजा यह रहा कि जो दंपति एक दूसरे को देखना नहीं चाह रहे थे वे साथ रहने को तैयार हो गए। ऐसे परिवारों को काउंसलिंग बाद बिखरे और बर्बाद होने से बचाया गया। इस दौरान महिला कांस्टेबल संगीता, पूनम, रिचा, प्रेरणा तिवारी, नीरू चौधरी, बबली उपस्थित रहीं।

पति-पत्नी के बीच झगड़े का रीजन
-परिवार परामर्श केंद्र की छानबीन में विवाद के कुछ मेन कारण पाए गए हैं, जो इस प्रकार से हैं।
-शिकायत करने वाली ज्यादातर महिलाओं में इगो प्रॉब्लम और सामंजस्य का अभाव है।
-ससुराल में उन्हें सास व ननद एवं जेठानी देवरानी से ही नहीं पति तक पर प्रताडऩ़ा व अपमानित करने के आरोप हैं।

-कुछ मामले तो ऐसे हैं जिनमें महिला इस बात से खफा है कि उसके मायके वालों को भला बुरा कहा जाता है।

-दहेज की मांग को लेकर प्रताडि़त करने व डिमांड करने जैसी भी शिकायत यहां आती हैं।

-कुछ केस में पति व उसके परिवार को भी बहू और पत्नी के देर से सो कर उठने, बात नहीं मानने की भी शिकायतें हैं।

-इन सब के बीच कुछ बुजुर्ग सास व ससुर भी इंसाफ की आस में यहां भेजे गए हैं, जिन्हें बहु व बेटे प्रताडि़त कर रहे हैं।

-इन बुजुर्गों के आरोप हैं कि शादी के बाद बेटा व उसकी पत्नी मिलकर उन्हें परेशान कर रहे हैं, इनकी भी काउंसलिंग जारी है।

परिवार परामर्श केन्द्र की स्थिति पर एक नजर
-तय डेट पर काउंसलिंग को बुलाए जोड़े
70

-काउंसलिंग को दोनों पक्षों से उपस्थित पक्ष
25

-रविवार को काउंसलिंग के बाद समझौता
11

-तय डेट पर हाजिर नहीं होने पर एफआईआर
08

-अन्य कारणों से निस्तारित पत्रावली
10

-काउंसलिंग को दी गई आगे की डेट
31

-दोनों पक्ष अनुपस्थित की संख्या
10


दंपति को एक दूसरे की सही गलत का फर्क समझते हुए उस पर अमल करना चाहिए। काउंसलिंग में हम भी निष्पक्ष भाव से यही करते हैं। दोनों को सुनते हैं और समझाते हैं, कई-कई बार समझाने के बाद तमाम परिवार आज साथ रह रहे हैं।
नीलम राणा, प्रभारी परिवार परामर्श केंद्र

आईवीएफ तकनीक से 58 की उम्र में बच्चा, बहू ने की कंप्लेंन
-विधवा बहू भरण-पोषण की मांग लेकर परिवार परामर्श केंद्र पहुंची

-पति की मौत के बाद सास-ससुर पर हिस्सा नहीं देने का लगाया आरोप

आगरा। वारिस की ऐसी लालसा कि अधेड़ उम्र में तकनीक का सहारा लेकर बच्चा किया। इस उम्र में यह जरूरत इसलिए ऑन पड़ी कि शादीशुदा इकलौता बेटा कोरोना में चल बसा। बहू दूसरी शादी करने को तैयार नहीं, और न ही उसके पास घर का कोई वारिस है। सास-ससुर लखनऊ में रहते हैं।


बहू ने की पुलिस से कंप्लेंन
रविवार को पुलिस लाइन स्थित परिवार परामर्श केंद्र में एक अनोखा मामला आया। लखनऊ में कार्यरत एक सरकारी अधिकारी का कमला नगर में मकान है। बेटा जिम संचालक था। कोरोना महामारी में चल बसा। बेटे की शादी को तीन साल हो चुके थे। बेटे की बहू मकान में अकेली रहती है और दूसरी शादी करने की बात नहीं करती और न ही उसके पास कोई वारिस है। उसका कोई भरण-पोषण करने वाला नहीं है इसलिए अपनी गुहार लेकर परिवार परामर्श केंद्र पहुंची थी।

Posted By: Inextlive