युवा अधिवक्ताओं की आर्थिक को लेकर प्रयास होने चाहिए सरकारें बदलीं लेकिन अधिवक्ताओं की समस्या पर किसी जनप्रतिनिधि की ओर से कदम नहीं उठाया गया. परिसर में पेयजल और बिजली पानी की समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता परिसर में वादकारियों के बैठने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है.


आगरा(ब्यूरो)। युवाओं अधिवक्ताओं ने बताया कि भविष्य से जुड़े मुद्दे जनप्रतिनिधि की प्राथमिकता में हों। हमारा वोट तो उसी प्रत्याशी को पड़ेगा, जो युवा अधिवक्ताओं को आर्थिक रूप से प्रोटक्शन दिलाएगा। कुछ ऐसे ही विचार गुरुवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से आयोजित 'राजनी-टी' में दीवानी कचहरी मेें अधिवक्ताओं ने व्यक्त किए।

महिलाओं के लिए बने अलग से हॉल
राजनी-टी में परिसर में मौजूद सभी अधिवक्ताओं ने पार्टिसिपेट करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। अधिवक्ता हरजीत अरोरा ने बताया कि दीवानी परिसर में महिलाओं के लिए अलग से चैंबर की व्यवस्था हो, जिससे एक चैंबर में दो महिला एडजस्ट कर सकें, वहीं अलग से एक हॉल होना चाहिए जहां महिलाएं बैठ सकें। इसके पिंक टॉयलेट, पेयजल और लाइट की व्यवस्था होनी चाहिए।

महिलाओं के लिए बने स्पेशल विंडो
राजनी-टी में महिला अधिवक्ताओं का कहना था कि उन्हें सरकारी दफ्तरों में किसी भी तरह की समस्या के समाधान के लिए परेशान होना पड़ता है। एक टेबल से दूसरी टेबल तक चक्कर लगवाया जाता है। ऐसे में महिलाओं के लिए सरकारी दफ्तरों में स्पेशल विंडो बनाई जानी चाहिए। जिससे महिलाओं को परेशान न होना पड़े।

प्रत्याशी से मिलना होता है मुश्किल
वरिष्ठ अधिवक्ता हेमंत भारद्वाज का कहना है कि चुनाव के दौरान तो प्रत्याशी वोट मांगने आते हैं, लेकिन इलेक्शन में जीत के बाद वह गायब हो जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। राजनी-टी में युवा अधिवक्ताओं का कहना था कि वह ऐसे प्रत्याशी को वोट करेंगे जो उनके बीच में रहता हो। उनके हर सुख और दुख में शामिल होता हो। वो लोगों की पहïुंच से दूर न हïो। लोग जब चाहïे तब अपनी समस्या लेकर मिल सकें।

परिसर में चर्चा के बाद सामने आए ये बिंदु
-हाईकोट बैंच से बीस जिलों को लाभ
-आर्थिक रोजगार के बढ़ेंगे अवसर
-अधिवक्ताओं को बैठने के लिए पक्के चेंबर
-युवा अधिवक्ताओं को मिले आर्थिक प्रोटक्शन
-हर जिले में सुरक्षा की होनी चाहिए व्यवस्था
-लाइट और वाटर आरओ प्लांट लगने चाहिए
-न्यायालय से बाहर वाहन खड़े करने की सुविधा

बुनियादी सुविधा पर हो फोकस
युवा अधिवक्ताओं की बुनियादी सुविधा पर जनप्रतिनिधियों को फोकस करना होगा। इस बार आर्थिक नीतियां, देश का विकास मुद्दा है। केंद्र हो या फिर प्रदेश सरकार, दोनों ही इस मोर्चे पर ध्यान दे रहीं हैं। कचहरी परिसर में पेयजल की सुविधा के साथ अधिवक्ताओं के लिए चैंबर की व्यवस्था होनी चाहिए।

राजनीति में नहीं हो परिवारवाद
अधिवक्ता विजय गुप्ता ने बताया कि राजनीति में परिवारवाद नहीं होना चाहिए। सक्षम व्यक्ति को अवसर मिलना चाहिए।

वन नेशन-वन वोटिंग
अधिवक्ता जैकी सिंह ने बताया कि वोटिंग ऑनलाइन नहीं होनी चाहिए। हालांकि देश में और कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर प्राथमिकता से विचा किया जाना चाहिए। जैसे वन नेशन-वन वोटिंग।

आज बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा
बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है, हालांकि जब कंप्टीशन पेपर आउट होते हैं तो युवाओं के भविष्य पर संकट खड़ा हो जाता है। इस तरह की घटनाओं को रोका जाना चाहिए।

पहली बार वोटर
हमारा देश लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में यहां चुनाव प्रक्रिया बहुत महत्व रखती है। चुनाव पर बहुत अधिक रुपया खर्च होता है। इसलिए सभी को वोट देना चाहिए। विशेष परिस्थितियों में इसमें छूट दी जा सकती है। लेकिन वोटिंग सभी के लिए अनिवार्य कर देनी चाहिए। तभी लोकतंत्र को और मजबूत बना सकते हैं।
सौम्या समाधिया, अधिवक्ता

हाईकोट बैंच की स्थापना से आर्थिक रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, इसके साथ अधिवक्ताओं को बैठने के लिए पक्के चेंबर, आर्थिक प्रोटेक्शन, लाइट और वाटर आरओ प्लांट के साथ न्यायालय से बाहर वाहन खड़े करने की सुविधा होनी चाहिए।
हेमंत भारद्वाज, वरिष्ठ अधिवक्ता

राजनीति में सक्षम व्यक्ति को अवसर मिलना चाहिए। जनता जिस दिन अच्छे लोगों का चुनाव करने लगेगी, राजनीतिक दल अच्छे प्रत्याशी की घोषणा शुरू कर देंगे और लोगों को समस्याओं से निजात मिल सकेगी।
दीपक गुप्ता, अधिवक्ता

युवाओं अधिवक्ताओं के भविष्य से जुड़े मुद्दे जनप्रतिनिधि की प्राथमिकता में हों। हमारा वोट तो उसी प्रत्याशी को पड़ेगा, जो युवा अधिवक्ताओं को आर्थिक रूप से प्रोटेक्शन मिलना चाहिए।
हरिओम शर्मा, अधिवक्ता

परिसर में पेयजल की सुविधा के साथ अधिवक्ताओं के लिए चैंबर की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके साथ ही पार्किंग की व्यवस्था दीवानी परिसर से बाहर हो, जिससे सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे।
विजय गुप्ता, अधिवक्ता

दीवानी परिसर में महिलाओं के लिए अलग से चैंबर की व्यवस्था हो, ताकि एक चैंबर में दो महिला एडजस्ट कर सकें, वहीं अलग से एक हॉल होना चाहिए जहां महिलाएं बैठ सकें। इसके पिंक टॉयलेट, पेयजल और लाइट की व्यवस्था होनी चाहिए।
हरजीत कौर, अधिवक्ता

Posted By: Inextlive