छह महीने में टूट रहे सात जन्मों के वचन
शादी को निभाना हो रहा मुश्किल
शादी के बाद शुरू के कुछ दिनों में सब ठीक चलता है, वे एक दूसरे की समस्या को नजर अंदाज करते हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद दोनों एक दूसरे बर्दाश्त नहीं करते, उसके बाद मामले घरेलु हिंसा का रूप लेते हैं, परिवार के बीच सामाजिक लोगों को लेकर सुलह के प्रयास किए जाते हैं, सफलता नहीं मिलने पर मामला थाने पहुंच जाता है।
पति-पत्नी को दिया जाता है मौका
थाने में कंप्लेंन लेकर पहुंचने वाले पति-पत्नी को सुलह के लिए एक और मौका दिया जाता है। महिला थाना प्रभारी डेजी पवार ने बताया कि इन दिनों थाने में न्यू कपल के अधिक मामले आ रहे हैं। अधिकतर मामले शादी होने के छह महीने के भीतर के हैं, जिसमें पत्नी पति के साथ एडजस्ट नहीं कर रही है, इसकी असल वजह एक दूसरे पर शक मानी जा रही है। उनका कहना है कि थाने में आने वाली कंप्लेन को दर्ज करने की वजह दोनों को सुलह के लिए एक मौका दिया जाता है।
घरेलू हिंसा में 5 गुना बढ़ोत्तरी
महिला थाने में आने वाली कंप्लेन की संख्या पिछले वर्ष की अपेक्षा पांच गुना अधिक बढ़ी हैं। घरेलु हिंसा के मामले थाने आने पर दंपति को सुलह के लिए काउंसलिंग कराई जाती है, अगर, इसके बाद भी दोनों के बीच समझौता नहीं होता तो उनकी सहमति से कानूनी कार्रवाई की जाती है। इसके बाद मामला कोर्ट में पहुंचता है, जहां तारीख का सिलसिला शुरू होता है।
पति-पत्नी के बीच झगड़े की एक मुख्य वजह सोशल मीडिया पर अपडेट है। थाना प्रभारी ने बताया कि तीन से चार दिन में एक दर्जन से अधिक मामले शादी के बाद झगड़े हैं। इनमें कुछ मामले ऐसे हैं, जिसमें पति ने पत्नी को सोशल नेटवर्क पर किसी और शख्स से जुड़ा पाया। इसके बाद उसने अपनी बीवी से मारपीट शुरू कर दी। सरकारी या प्राइवेट कंपनी में काम करने वाली लड़कियों से पुरुष मित्र से नजदीकी के मामले सामने आए हैं, जो सार्वजनिक होने पर घरेलु हिंसा का रूप लेते हैं।
रोजाना आ रहे 3 से 4 मामले
पहले एक महीने के दौरान घरेलू हिंसा के 15 से 20 मामले ही सामने आते थे। अब तो हर रोज तीन से चार मामले सामने आ रहे हैं। इस तरह के मामले बढऩे से दो परिवारों के बीच दूरियां बढ़ रहीं हैं। इसको लेकर बच्चों के भविष्य को लेकर पेरेंट्स भी मानसिक तनाव में हैं, क्योंकि घरेलू हिंसा किसी भी वजह से हो, उससे महिलाओं की दिक्कत बढ़ती है। जनवरी से अब तक 90 से अधिक मामले थाने आए हैं। जिसमें से 60 मामले परिवार परामर्श के काउंसलिंग को भेजे गए हैं।
काउंसलर अनुराधा सिंह ने बताया कि कई लोगों की देर रात घर लौटने की आदत होती है। वैसे तो घर देर से आना अच्छी आदतों में नहीं गिना जाता, लेकिन शादी से पहले कभी कभार दोस्तों के साथ ऐसा हो सकता है। लेकिन शादी के बाद पार्टनर्स को घर जल्दी आना चाहिए और एक दूसरे को समय देना चाहिए। आपसी तालमेल और सामंजस्य बनाए रखना चाहिए। पार्टनर के साथ बेहतर अंडरस्टैंडिंग
शादी के बाद अक्सर देखा जाता है कि पत्नी जल्दी ही अपनी जिम्मेदारियां निभाने लगती हैं जबकि एक पति को अपनी दिनचर्या को बदलने में थोड़ा सा समय लगता है। कोशिश की जाए कि शादी के बाद पार्टनर के साथ अंडरस्टैंडिंग जल्द ही बेहतर की जाए। झगड़ें में फैमिली मेंबर्स को न करें इनवॉल्व
अगर पति-पत्नी में किसी बात को लेकर नोक-झोंक हो भी रही है तो याद रखें एक दूसरे के परिवार के सदस्यों को अपनी लड़ाई के बीच न लाएं। ऐसा करने से स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ सकती है।
छोटी-छोटी बातों को करें नजरअंदाजशादीशुदा रिश्ते में पति-पत्नी को चाहिए कि एक दूसरे की छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करना सीखें। अगर किसी पार्टनर से गलती हो भी गई है तो उस पर गुस्सा करने के बजाए उसे समझाएं। ऐसा करने से रिश्ते में एक दूसरे के लिए सम्मान बढ़ता है।
महिला थाने में आने वाली कंप्लेन में अधिकतर मामले न्यू मैरिज कपल के हैं, शादी के छह महीने के भीतर ही उनके बीच दरार पैदा हो रही है। इसमें सोशल नेटवर्क एक बड़ा कारण है। इससे उनके दोनों परिवार भी प्रभावित होते हैं। उनको काउंसलिंग के जरिए जरिए एक मौका दिया जाता है।
डेजी पवार, महिला थाना प्रभारी
शादी के बाद पति-पत्नी एक दूसरे की फीलिंग का सम्मान करते हैं तो बहुत कम विवाद के चांस है। परिवार में बड़े बुजुर्गों को इसके लिए सामने आना चाहिए। छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करना चाहिए।
सुमन सुराना, समाजसेवी