अभी केवल 7 हजार स्मार्ट मीटर ही लगे
AGRA। जिस गति से वाटर स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य किया जा रहा है। उससे तो 17 हजार से ज्यादा हाउस होल्ड में वाटर स्मार्ट मीटर लगाने में महीनों लग जाएंगे। हालांकि स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर आनंद मेनन ने बताया कि कार्य तेजी से किया जा रहा है। अक्टूबर तक काम पूरा कर लिया जाएगा।
कंट्रोल रूम से होगी निगरानीजो वाटर स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। उनकी निगरानी स्काडा सिस्टम से कंट्रोल रूम से की जाएगी। स्मार्ट मीटर लग जाने से 1.47 लाख लोगों को इसका लाभ मिलेगा। बता दें कि एबीडी में नौ वार्ड के अलावा दो गांव और कुछ छावनी के हिस्से को भी शामिल किया गया है। इस वार्डो में 24 घंटे पानी की आपूर्ति होगी। किस घर में कितना पानी खर्च किया गया। सभी का ब्यौरा देखा जा सकेगा।
रीडिंग लेने घर नहीें जाना पड़ेगा।
कर्मचारियों को वाटर स्मार्ट मीटर की रीडिंग लेने के लिए घर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। वे स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम से ही मीटर की रीडिंग ले सकेंगे।
स्काड़ा सिस्टम से होगी निगरानी
एबीडी एरिया के लिए बिछाई गई पाइपलाइन की निगरानी स्काड़ा सिस्टम से की जाएगी। ये वाटर के फ्लो का भी हिसाब रखेगा। अगर कहीं वाटर का फ्लो कम है, तो इसका मैसेज स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम में पहुंच जाएगा। इससे जलकल कर्मचारी जोनल पंपिंग स्टेशन से वाटर का फ्लो भी बढ़ा सकेंगे।
स्काडा सिस्टम से जोनल पंपिंग स्टेशन पर इस बात पर भी नजर रहेगी। कि वाटर टैंक में कितना वाटर है, और कितना खाली है। उसी के हिसाब से वाटर टैंक में पानी को रिलीज किया जा सकेगा। लाइन लीकेज की देगा जानकारी
स्काडा सिस्टम से पानी की पाइपलाइन के लीकेज की जानकारी हो सकेगा। इस बारे में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर आनंद मेनन ने बताया कि स्काडा सिस्टम से कनेक्ट होने पर पाइपलाइन के लीकेज होने से जानकारी मिल सकेगी।
ऐसे काम करेगा सिस्टम
स्काडा सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है, जो एकीकृत प्रणाली से संयत्र के अलग-अलग हिस्सों को कंट्रोल करने के साथ उन पर निगरानी कर सकेगा। यह सिस्टम मैकेनिज्म इलेक्ट्रोनिक सर्किट के रूप में कार्य करेगा। पूरे सिस्टम और पाइपलाइन का पहले ग्राफिकल लेआउट बनाया जाएगा। फिर नगर निगम के कंट्रोल रूम में स्काडा सिस्टम से शहर की पापलाइन को लिंक कर दिया जाएगा। इसके सेंसर से तुरंत लीकेज का पता चल जाएगा। इसके बाद लीकेज को दुरुस्त किया जा सकेगा।
शहर में पानी की पाइपलाइन नहीं है। शहर के 100 वार्डों में 55 वार्डों में आशिंक जलापूर्ति हो पा रही है। 27 वार्ड ऐसे हैं,जहां पाइपलाइन ही मौजूद नहीं है। केवल 18 वार्डो में ही पाइपलाइन बिछ़ी है। 650 किमी। पाइपलाइन ही बिछी हुई है।