अब सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार होगा. अच्छे कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को सम्मानित और लापरवाह के लिए कार्रवाई तय की गई है. पहली बार कमिश्नरेट में पुलिस कंास्टेबल से लेकर अधिकारी की जबावदेही तय की गई है. इसकी मॉनिटरिंग पुलिस अधिकारियों के द्वारा की जाएगी.

आगरा(ब्यूरो)। अगर आप किसी भी क्राइम की रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए थाने जाते हैं तो आपको अपने साथ घटे क्राइम की जानकारी देने को कहा जाता है। इसमें क्राइम का समय, स्थान, मौके की स्थिति समेत अन्य जानकारी पूछी जाती है। यह सारी जानकारी डेली डायरी में लिखी जाती है, जिसे रोजनामचा भी कहा जाता है।

एप्लीकेशन लेने वाले की जिम्मेदारी तय
अक्सर देखा जाता है कि थाने पर आने वाले फरियादी की एप्लीकेशन गुम हो जाती है लेकिन अब फरियादी को संबंधित व्यक्ति का नाम और नंबर दिया जाएगा। एफआईआर दर्ज करने में लापरवाही और देरी के लिए थाने के पुलिसकर्मी से लेकर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जा रही है। एफआईआर की पहचान के लिए इस पर एफआईआर नंबर भी दर्ज होते हैं। इससेआगे इस नंबर से मामले में प्रोसेस चलाया जा सके। इसके लिए किसी भी तरह की फीस नहीं लगती, अगर, पुलिस अधिकारी इसकी मांग करता है तो तुरंत उसकी शिकायत डीसीपी, सीपी से कर सकते हैं। इसके साथ उस पुलिसकर्मी पर भी कार्रवाई की जाएगी, जो जांच में लापरवाह पाए जाएंगे।

डायरी में दर्ज होगा आपके आने-जाने का टाइम
किसी भी तरह का क्राइम होने पर एफआईआर यानी प्रथम सूचना रिपोर्ट तुरंत दर्ज करवाएं। यदि किसी कारण से देर हो जाती है तो फॉर्म में इसका कारण लिखें। यदि शिकयत मौखिक रूप से दे रहे हैं तो थाना प्रभारी आपकी शिकायत लिखेगा और समझाएगा। कार्बनशीट से शिकायत की चार कॉपियां होनी चाहिए। शिकायत को सरल और साफ शब्द मेें रखें। तकनीकी के तहत कठिन शब्दों का प्रयोग न करें। ध्यान रखें कि आपके आने और जाने का समय एफआईआर और पुलिस स्टेशन के डेली डायरी में लिखा जाएगा।

थाने में सभी की जिम्मेदारी तय
क्राइम के मामलों में तुरंत एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। एफआईआर की कॉपी लेना शिकायकर्ता का अधिकार है। इसके लिए मना नहीं किया जा सकता है। आपकी एफआईआर पर क्या कार्रवाई हुई इस बारे में संबंधित पुलिस आपको डाक या मेल के जरिए सूचित करेगी। अगर दिए गए समय में पुलिस अधिकारी शिकायत दर्ज नहीं करता या इसकी कॉपी आपको उपलब्ध नहीं कराता तो उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के साथ उसे जेल भी हो सकती है। इस संबंध में थाने में तैनात पुलिसकर्मी से लेकर थाना प्रभारी की जिम्मेदारी तय की गई है।

फरियादी से लेंगे फीडबैक
पुलिस विभाग की ओर से थाना, चौकी आदि में दर्ज शिकायतों पर की गई कार्यवाही को लेकर शिकायतकर्ताओं से फीडबैक लिया जाएगा। यदि पुलिस थाने में 80 प्रतिशत से अधिक शिकायतकर्ताओं की ओर से संतुष्टि जताई जाती है तो संबंधित थाना, चौकी और पुलिसकर्मी को बेहतर श्रेणी में शामिल किया जाएगा। ऐसे थानों में पुलिसकर्मी और अधिकारियों को सम्मानित भी किया जाएगा।

सभी श्रेणी के अधिकारियों की अलग-अलग जिम्मेदारी
थाने में सात प्वाइंट पर दस्तावेज तैयार किए गए हैं, जिसमें संबंधित पद पर तैनात पुलिसकर्मी और अधिकारियों के कार्य लिखे गए हैं। प्रत्येक अधिकारी व कर्मचारी को उनके कार्यों के अनुसार बांटा गया है। एएसपी, डीएसपी और एसीपी को एक श्रेणी में रखते हुए प्रपत्र तैयार किया है। इसी प्रकार एसएचओ और पुलिस पोस्ट इंचार्ज को अन्य श्रेणी में, तीसरी श्रेणी में क्राइम यूनिट इंचार्ज, चौथी श्रेणी में हेड कांस्टेबल से लेकर पुलिस थाने और चौकी में नियुक्त के जांच अधिकारियों को रखा है। क्राइम यूनिट में तैनात पुलिसकर्मियों और अन्य इंचार्ज की अलग से श्रेणी बनाते हुए प्रपत्र तैयार किए हैं।

अरेस्टिंग के लिए लेनी होगी अनुमति
हीनियस क्राइम में पुलिस आरोपी को बिना अधिकारियों की सहमति के अरेस्ट नहीं कर सकती है। हत्या या हत्या के प्रयास जैसे मामलों में एसीपी की अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा सभी तरह के क्राइम में सर्किल के एसीपी से अनुमति लेना आवश्यक होगा।

इस प्रपत्र के तैयार होने से सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को उनके कार्य को लेकर स्पष्टता होगी। इससे सभी पुलिस अधिकारी अथवा कर्मचारी एक टीम के रूप में कार्य करते हुए बेहतर रिजल्ट लाने की दिशा में प्रयास करेंगे। इस आकलन प्रपत्र के रिजल्ट के आधार पर आगे की वर्क प्रोसेज तैयार किया जाएगा।
जे। रविन्दर गौड, पुलिस कमिश्नर

पब्लिक की सुविधा के लिए प्लान तैयार किया गया है, थाने पर आने वाले हर फरियादी से फीडबैक लिया जाएगा, इसके साथ ही कांस्टेबल से लेकर एसीपी की जिम्मेदारी तय की गई है।
सूरज राय, डीसीपी नगर जोन

Posted By: Inextlive