भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एनएचएआई और आगरा विकास प्राधिकरण एडीए द्वारा सर्विस रोड पर जलभराव की समस्या के निस्तारण को कोई कदम नहीं उठाने पर पीडि़त को राष्ट्रीय हरित अधिकरण एनजीटी की शरण लेनी पड़ी.

आगरा(ब्यूरो)। एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ। ए। सेंथिल वेल की पीठ ने सोमवार को समस्या के निस्तारण को जिलाधिकारी, एडीए और उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की संयुक्त समिति गठित करने के निर्देश दिए।

नहीं बनाया गया था नाला
एनजीटी में सोमवार को ग्वालियर रोड स्थित गौरी कुंज कालोनी निवासी रवेंद्र ङ्क्षसह बनाम एनएचएआई, एडीए, यूपीपीसीबी और डीएम वाद में सुनवाई हुई। आगरा-ग्वालियर रोड पर रोहता से नगला माकरौल, इटौरा, ककुआ तक एनएचएआइ ने राष्ट्रीय राजमार्ग-तीन का निर्माण कराया था, लेकिन जलनिकासी को नाला नहीं बनाया गया था।

संयुक्त समिति को करना होगा निस्तारण
रवेंद्र ने एनजीटी में वाद दायर कर प्रदूषित पानी की निकासी को राष्ट्रीय राजमार्ग-तीन के दोनों ओर रोहता से ककुआ तक नाले के निर्माण और ग्रीन बेल्ट विकसित करने को एनएचएआई और गौरी कुंज कॉलोनी में जल निकासी की व्यवस्था के लिए एडीए को निर्देश देने की मांग की थी। उन्होंने समस्या से संबंधित चित्र भी एनजीटी को उपलब्ध कराए थे। एनजीटी ने माना कि शिकायत पर ध्यान देने की आवश्यकता है। एनजीटी ने एडीए, यूपीपीसीबी और डीएम की संयुक्त समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं। समस्या का निस्तारण संयुक्त समिति को कराना होगा। पैरवी अधिवक्ता चेतन जादौन ने की।

यह है समस्या
एनएचएआई ने रोहता से ककुआ तक हाईवे के दोनों किनारों पर पानी की निकासी को नाला नहीं बनवाया था। जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने से हाईवे के किनारे बसी नगला माकरौल, इटौरा, ककुआ की पुरानी बसावट का सीवेज व गंदा पानी रोहता से ककुआ तक ङ्क्षलक रोड पर एकत्र होता है, जिससे दुर्गंध उठती है। रोहता स्थित गौरी कुंज कॉलोनी, द्वारिका ग्रीन फेज-वन व टू, द्वारिका रेजीडेंसी एवं ईको होम्स कॉलोनी के निवासियों को इससे परेशानी उठानी पड़ती है। प्रदूषित पानी के एकत्र होने से आसपास की कॉलोनियों के भूमिगत पेयजल के सोर्स भी प्रदूषित हो रहे हैं, जिससे बीमारी फैलने की आशंका है।

Posted By: Inextlive