आगरा. ब्यूरो गर्मी का दौर जारी है अगले महीने देश में मानसून प्रवेश कर जाएगा. जिसके बाद देश के अलग अलग हिस्सों में बारिश शुरू हो जाएगी. शहर में पहली बारिश होते ही हर वर्ष नाले ओवर फ्लो हो जाते हैं इससे नाले के सीमावर्ती क्षेत्रों में जलभराव की समस्या हो जाती है. जबकि नगर निगम हर वर्ष दावा करता है कि विभाग के द्वारा सिल्ट हटा दी गई है. रविवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा चलाए जा रहे कैंपेन के तहत लंगड़े की चौकी के नाले की पड़ताल की गई तो नगर निगम के दावों की पोल खुल गई कि किस तरफ सिल्ट सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. इससे बरसात में हालत दर से बदतर हो जाते हैं.

बदहाल है नाले की स्थिति

जिस नाले की पड़ताल रविवार को की गई ये नाला सुल्तानगंज पुलिया की ओर से लंगड़े की चौकी हनुमान मंदिर के निकट होते हुए हाथी घाट की तरफ निकलता है। नगर निगम के द्वारा चलाए गए अभियान के तहत इसकी सफाई तो की गई लेकिन सिल्ट नाले के किनारे डाल दी गई। इससे नाले के आस पास रहने वाले लोगों की मुसीबतें बढ़ गई है। नाले में गंदगी भरी पड़ी है। स्थानीय निवासी कई बार इसकी कंप्लेन भी कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

बरसात में घरों में घुसता है पानी
नाले की इसकी बाउंड्री टूटी पड़ी है, थोड़ी दूर पहले ही बनी पुलिया भी टूटी पड़ी है। इससे हादसे भी हो जाते हैं। सफाई के बाद हर बार सिल्ट नाले के किनारे डाल दी जाती है। इससे नाला पूरी तरह गंदगी से पट गया है। हल्की सी ही बरसात में नाले का पानी आसपास के घरों में घुस जाता है। इससे नाले का कूड़ा और सिल्ट स्थानीय लोगों के घरों में घुस जाती है। यहां के लोग बरसात के नाम पर ही सहम जाते हैं।

चमड़ा और कतरन से बदहाल है नाला

नाले के आस पास भारी संख्या में जूते का काम किया जाता है। जूते और चमड़े की बची हुई कतरन को लोग नाले में डाल देते हैं। इससे नाला पूरी तरफ सिल्ट और चमड़े की कतरन से भरा पड़ा है। वर्षा के दिनों में नाले की सिल्ट अड़ जाती है। आस पास के घरों में इसकी दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो जाता है। नगर निगम भी सफाई के बाद सिल्ट और कतरन को नाले के किनारे पर ही डाल देता है। इससे बरसात होते ही सिल्ट नाले में गिर जाती है और नाला उफान मारता है

कई बार हो चुके हैं हादसे

नाले के ऊपर पुलिया बनी हुई है जो टूट गई है इसके अलावा किनारे पड़ी सिल्ट से कई बार स्थानीय लोग नाले में गिर गए हैं तीन साल पहले एक बच्चे की नाले में डूब कर मौत हो गई। चमड़े और कतरन की वजह से बच्चा बहुत ही मुश्किल से खोज पाया था। कुछ समय पहले एक ई रिक्शा नाले में गिर गया था कई बार हादसों के बाद स्थानीय लोगों में बरसात का भय बना रहता है

यहां से निकलता है नाला

-एक किलोमीटर लंबा नाला शाही कैनाल सुल्तानगंज पुलिया की ओर से लंगड़े की चौकी हनुमान मंदिर के निकट होते हुए बल्केश्वर और हाथी घाट की और से यमुना में मिलता है।


-नगर निगम अभियान चला कर शहर के नालों की सफाई कर रहा है कुछ जगह सफाई होनी बाकी है। वहां भी जल्दी ही कार्य शुरू करा दिया जाएगा
एसपी यादव अपर नगरायुक्त


नाले में सिल्ट भरी रहती है आसपास के क्षेत्र से चमड़ा की कतरन और दूसरे नालों की सिल्ट भी इसी में आकर मिल जाती है। इससे बारिश के दिनों में मुश्किल होती है।
बंटी कश्यप


-वर्षा के दिनों में नाला उफान मारता है इससे आसपास के क्षेत्र में जलभराव की स्थिति होती है। वहीं नाले की सिल्ट नालियों के पानी को अवरुद्ध करती है।
बंटी झा

-नाला साफ नहीं होता और नालियां उफनती है। इस कारण आसपास की बस्तियों में जलभराव और घरों में पानी घुसता है। इससे लोगों का नुकसान होता है।


Posted By: Inextlive