मंकीपॉक्स के केस देश में बढ़ते जा रहे हैैं. केरल में एक मंकीपॉक्स के मरीज की मौत भी हो चुकी है. ऐसे में लोगों के मन में मंकीपॉक्स को लेकर डर है. यह डर इतना है कि हाथ में जरा सा दाना भी निकल आए तो लोग डरने लगते हैैं. जबकि हर दाने से डरने की जरूरत नहीं है. इस वक्त धैर्य और संभलकर रहने की जरूरत है. कई लोगों को इन दिनों चिकनपॉक्स भी हो रहे हैैं. ऐसे में लोग कंफ्यूज हो रहे हैैं कि यह मंकीपॉक्स तो नहीं.


आगरा। सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के ओपीडी प्रभारी और चर्म रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ। यतेंद्र चाहर ने बताया कि मंकीपॉक्स के केस देश में आए हैैं। इसको लेकर अलर्ट भी है। लेकिन इसे दिमाग पर हावी न होने दें। उन्होंने बताया कि इन दिनों कई मरीज शरीर पर एलर्जी के कारण होने वाले दानों से भी डर रहे हैैं। उन्हें ऐसा लग रहा है कि यह मंकीपॉक्स तो नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में चिकनपॉक्स भी हो रहा है। क्योंकि इस मौसम में शरीर की इम्युनिटी फ्लैक्चुएट होती है। जब इम्युनिटी फ्लैक्चुएट होती है तो तब चिकनपॉक्स होने का खतरा रहता है।

अलग-अलग हैं दोनों
डॉ। चाहर ने बताया कि मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स दोनों अलग-अलग हैैं। दोनों के कुछ लक्षण एक जैसे हो सकते हैैं। लेकिन दोनों की अलग-अलग पहचान है। उन्होंने बताया कि चिकनपॉक्स और मंकीपॉक्स दोनों में ही फीवर आता है और शरीर पर दाने आते हैैं। लेकिन मंकीपॉक्स में दाने थोड़े बड़े होते हैैं और चिकनपॉक्स की अपेक्षा यह ज्यादा जल्दी पीले पड़ते हैैं। जबकि चिकनपॉक्स के मरीजों में यह कुछ कई दिन बाद पीले पड़ते हैैं।


बारिश में वायरल संक्रमण का खतरा अधिक: डॉ। सोनकर
एसएन मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ। वीके सोनकर ने बताया कि बरसात के मौसम में वायरल संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। यही वह समय है जब ज्यादा लोग चिकनपॉक्स या अन्य वायरस के शिकार होते हैं। चिकनपॉक्स के मरीजों में चकत्ते और मितली जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। यही वह वजह है जिससे मरीज भ्रमित हो रहे हैं और चिकनपॉक्स को मंकीपॉक्स समझने की गलती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी मरीज में चिकनपॉक्स के लक्षण नजर आए तो सबसे पहले उन्हें डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉ। सोनकर ने बताया कि चिकनपॉक्स में फीवर, कफ और खांसी के साथ त्वचा पर लालपन और रैशेज आते हैैं। जबकि मंकीपॉक्स में पहले बॉडी में दर्द होता है और दो से तीन दिन बाद दाने आना शुरू होते हैैं।


मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स के लक्षण एक जैसे लग सकते हैैं। लेकिन कंफ्यूज न हों। जब कोई लक्षण दिखे तो डॉक्टर से संपर्क करें। घबराने की आवश्यकता नहीं है। इसका इलाज संभव है।
-डॉ। वीके सोनकर, प्रोफेसर, त्वचारोग विभाग, एसएनएमसी

चिकनपॉक्स की अपेक्षा मंकीपॉक्स के दाने थोड़े बड़े होते हैैं। यह जल्दी पीले होने लगते हैैं। इसमें लिम्फनोड में सूजन भी आ जाती है।
- डॉ। यतेंद्र चाहर, विभागाध्यक्ष, त्वचा रोग विभाग, एसएनएमसी

चिकनपॉक्स और मंकीपॉक्स में अंतर

- चिकनपॉक्स और मंकीपॉक्स दोनों ही इंफेक्शन रेस्पिरेटरी ड्रॉप्लेट्स, जख्म व दानों को छूने और पर्सनल चीजों को छूने से होता है। लेकिन, मंकीपॉक्स के मुकाबले चिकनपॉक्स ज्यादा तेजी से फैलता है और ज्यादा आम इंफेक्शन है।
- मंकीपॉक्स के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, कमर दर्द, ठंड लगना और अत्यधिक थकावट शामिल होती है। जिसमें से अधिकतर लक्षण चिकनपॉक्स में भी देखने को मिलते हैं। मगर मंकीपॉक्स में होने वाली गले की लिंफ नोड्स में सूजन एक ऐसा लक्षण है, जिसके आधार पर भेद आसानी से कर सकते हैं।
- मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित होने के बाद इसके लक्षण दिखने में 7 से 14 दिन लग सकते हैं। लेकिन वहीं, चिकनपॉक्स से संक्रमित होने बाद लक्षण दिखने में 16 दिन तक लग सकते हैं।
- मंकीपॉक्स के कारण भी शरीर पर चिकनपॉक्स की तरह रैशेज पड़ सकते हैं। लेकिन मंकीपॉक्स में बुखार आने के 1 से 3 दिन बाद यह रैशेज आने शुरू होते हैं।
- मंकीपॉक्स के लक्षण 2 से 4 हफ्तों तक परेशान कर सकते हैं, लेकिन चिकनपॉक्स के लक्षण 7 दिन में हल्के होने लगते हैं और कुल 2 हफ्ते तक रह सकते हैं।

Posted By: Inextlive