बंदर पकडऩे में बंदरबांट
AGRA। शहर में बंदरों और कुत्तों के काटने का ग्राफ बढ़ा है। इसके चलते जिला अस्पताल में एआरबी वैक्सीन की भी किल्लत होने लगी है। हर दिन जिला अस्पताल में 300-400 लोग वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं। एसएनएमसी में बंदर तीमारदारों के साथ रोज छीना-झपटी करते हैं। पिछले वर्षों में तत्कालीन नगर आयुक्त अरुण प्रकाश के समय नगर निगम की कार्यकारिणी की मीटिंग में बंदरों का मुद्दा उठाया गया था। इनमें नगर आयुक्त ने वन विभाग से मीटिंग होने की बात कही थी। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
12 बिंदुओं पर बनाई थी एसओपी
अगस्त 2011 में प्रमुख सचिव नगर विकास की अध्यक्षता में एक मीटिंग हुई थी, जिसमें 12 बिंदुओं पर एक एसओपी (स्टंैडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) बनाई गई। इसमें बंदरों को पकडऩे की अनुमति मांगी गई थी। जो नगर निगम को प्राप्त हो गई थी। सूत्रों की मानें तो बंदरों को पकडऩे का काम नगर निगम को ही करना था। खर्चा भी वहन करना था। लेकिन कोई बंदर नहीं पकड़ा जा सका। नगर निगम के अफसरों ने बंदर पकडऩे की जिम्मेदारी वन विभाग की बताई। अब तक कोई बंदर नहीं पकड़ा जा सका।
ताज पर बंदर पकडऩे को भी लिखे गए पत्र
एएसआई ने ताज पर बंदरों को पकडऩे के लिए कई पत्र लिखे। इसमें 22 मई 2018 को एएसआई ने बंदर पकडऩे के लिए पत्र लिखा। इसके बाद 12 जून 2018 को एएसआई ने डीजी को पत्र लिखते हुए आगरा कमिश्नर, डीएम, नगर निगम और एडीए के अधिकारियों को पत्र भेजा। 16 जुलाई 2018 को एएसआई ने फिर से पत्र लिखा। 27 अगस्त 2018 को भी पत्र लिखा गया। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
सिटी में उत्पाद मचा रहे बंदरों के लिए वर्ष 2015-16 में भी प्रस्ताव तैयार किया गया था। इस दौरान तत्कालीन कमिश्नर प्रदीप भटनागर ने वाइल्ड लाइफ एसओएस अधिकारियों के साथ मीटिंग कर बंदरों के लिए मथुरा के चुरमुरा में स्थान निर्धारित किया। 2.5 करोड़ रुपए मंजूर भी हो गए थे, यहां बंदरों को पकड़कर उनका वैक्सीनेशन किया जाना था। बंदरों के लिए हॉस्पिटल भी खोला जाना था। दूसरा प्रस्ताव तैयार हुआ था कि बंदरों को पकड़कर कीठम के जंगलों में छोड़ दिया जाए। बाद में पहले प्रस्ताव पर सहमति बन गई थी। लेकिन बाद में इस प्रस्ताव पर कार्य आगे नहीं बढ़ पाया।
55 करोड़ का भी प्रस्ताव बना
शहर में उत्पाती बंदरों को कंट्रोल करने करने के लिए वाइल्ड लाइफ एसओएस द्वारा 55 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया था। बंदरों को 30 एकड़ के बाड़े में रखे जाने का प्रस्ताव था। लेकिन वह शासन में जाकर अटक गया। बताया जाता है कि वह प्रस्ताव पेंडेंसी में पड़ा हुआ है। इस बारे में डीएफओ कीठम डीके श्रीवास्तव कहते हैं कि कीठम में बंदरों को छोडऩे का प्रस्ताव नहीं था। मथुरा के चुरमुरा में सेंटर बनाने का बना था। कीठम वर्ड सेंच्युरी हैं। इसमें बंदरों को नहीं छोड़ा जा सकता है।
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बंदरों के आतंक की घटनाएं
- 13 नवंबर 2018 को रुनकता में मां की गोदी में दूध पी रहे 14 दिन के बच्चे को पटक कर मार दिया था।
- 31 अगस्त 2017 रकाबगंज छीपीटोला जैन गली में सुनील शिवहरे नामक व्यक्ति तीन मंजिल इमारत से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया था।
- 30 अगस्त 2017 को रावली निवासी मुकेश पुत्र ग्यानीराम की मौत हो गई थी।
- 29 मई 2018 को धारकान चौराहे से बंदर सर्राफ से 1.40 लाख का थैला छीन ले गया था।
- गत वर्ष शाहगंज में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
- गत महीने कलक्ट्रेट में बंदर एक व्यक्ति से लाखों रुपये का बैग छीनकर ले गया था।
- 7 अक्टूबर 2020 को घटिया आजम खां सत्संगी वाली गली में छत पर लेंटर डाला जा रहा था। उसी दौरान बंदरों की लड़ाई में दीवार गिरने से दो लोगों की मौत हो गई थी।
- पिछले चार महीनों में ताज पर आधा दर्जनों विदेशी सैलानियों को बंदरों ने काट खाया है।