झाड़ू-पौंछा कर जमा किए रुपए, अब पाने के लिए भटक रहे
आगरा(ब्यूरो)। एक दिन पता लगा कि कंपनी का दफ्तर बंद हो गया है। मैं पहुंची तो देखा दफ्तर से बोर्ड गायब था। ताला लगा हुआ था। तब से जब भी सुनने में आता है कि कंपनी में जमा रकम वापस मिल रही है सरकारी विभागों की ओर दौड़ लगा देते हैं। इन हालातों से दो-चार सिर्फ मंजू ही नहीं, बल्कि चिटफंड में निवेश करने वाले अधिकतर लोगों की यही कहानी है।
पांच वर्ष में डबल होने का दिया झांसा
शाहगंज निवासी रमेश ने बताया कि एक एजेंट ने उन्हें पांच वर्ष में रुपए डबल होने का झांसा दिया है। साथ ही निवेश की गई रकम पर बोनस मिलने की भी बात कही गई। तीन हजार रुपए महीने की किश्त बांधी। तीन वर्ष तक रुपए जमा किए। एजेंट ही हर महीने घर से रुपए लेने आता था। अचानक से एजेंट का कलेक्शन के लिए आना बंद हो गया। दो से तीन महीने तक जब एजेंट नहीं आया, तो उन्होंने कंपनी के ऑफिस पहुंचकर जानकारी जुटाई। कंपनी का ऑफिस बंद हो चुका था। ताला लगा हुआ था। कई जगह कंपनी के ऑफिस और स्टाफ के बारे में जानकारी करने की कोशिश की, लेकिन कुछ पता नहीं लगा।
एजेंट को देते हैं मोटा कमीशन
चिट फंड कंपनियां अधिकतर टारगेट ग्रुप फोकस्ड वर्क करती हैं। इसके लिए वह एजेंट को मोटा कमीशन देती हैं। इस तरह के क्षेत्र को तलाशती हैं, जहां कम पढ़े-लिखे लोग रहते हैं या फिर ग्रामीण क्षेत्र होता है। जहां बैंकिंग सिस्टम की एप्रोच अच्छी नहीं होती, वह क्षेत्र भी इन कंपनियों के टारगेट पर होता है। यहां एजेंट को भेजकर लुभावनी स्कीम का प्रचार प्रसार कराया जाता है। बाद में लोगों से अमाउंट कलेक्शन भी एजेंट द्वारा घर-घर जाकर कराया जाता है। घर बैठे अमाउंट जमा होने और लुभावनी स्कीम, सहूलियत और लालच इन दोनों के झांसे में आकर लोग इन कंपनियों में पैसा लगाना शुरू कर देते हैं।
जानकारों को बनाते हैं निशाना
चिट फंड की सफलता का राज यह है कि इन कंपनियों का बिजनेस ऐसे एजेंटों के माध्यम से चलता है जो कि अपने आस-पास के लोगों, रिश्तेदारों को जानते हैं। इसलिए इन लोगों से पैसा निवेश करवाने में आसानी होती है। कंपनियां ग्रामीण और टाउन इलाकों में ज्यादा सक्रिय रहती हैं। बाजार में फैले उनके एजेंट साल, महीने या फिर दिनों में जमा पैसे पर दोगुने या तिगुने मुनाफे का लालच देते हैं। अर्थात चिट फंड कंपनियों द्वारा लुभावनी योजनाओं (पॉन्जी स्कीम) के जरिए कम समय में बहुत अधिक मुनाफा देने का दावा किया जाता है। कंपनियां निवेश की रकम का 25 से 40 फीसदी तक एजेंट को कमीशन के तौर पर देती हैं। इस कारण ये एजेंट अपने सगे संबंधियों का पैसा भी इनमें लगवा देते हैं। धीरे-धीरे चिट फंड कंपनियां इस काम को मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) में तब्दील कर देती हैं। इन चिट फण्ड कंपनियों में अक्सर मौजूदा एजेंटों को इस स्कीम में अन्य लोगों को जोडऩे पर और भी अधिक कमीशन दिया जाता है, जिससे इनका नेटवर्क दिन रात बड़ा होता जाता है।
पैसा कहां इंवेस्ट करती हैं चिट फंड कंपनियां
- शेयर बाजार
- रियल एस्टेट
- होटल
- मनोरंजन और पर्यटन कारोबार
- माइक्रोफाइनेंस
इस तरह खुद का निवेश करें सुरक्षित
किसी चिट फंड कंपनी में पैसा लगाना हो तो सबसे पहले यह चेक करें कि जिस राज्य में वह कंपनी है क्या वह कंपनी उस राज्य रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड है या नहीं? जब भी किसी एजेंट के संपर्क में आएं तो उसके झूठे और बड़े-बड़े रिटर्न के लालच में न आएं। जिस स्कीम में मेम्बर बनाकर कमीशन दिलाने की बात हो उससे तो बिल्कुल सतर्क ही रहें।
मैं मजदूरी करता हूं। महीने में 8 से 10 हजार रुपए कमा पाता हूं। किसी तरह हजार रुपए एक स्कीम में जमा करता था। एजेंट ने कुछ वर्षों में जमा किए रुपयों से कई गुना अधिक मिलने का दावा किया था। मैं किसी तरह रुपए जमा करता रहा। बाद में पता लगा कि कंपनी गायब हो गई है।
ललितेश
एक कंपनी ने आकर्षक स्कीम का झांसा देकर मुझसे करीब 25 लाख रुपए जमा करा लिए। बाद में कंपनी का ऑफिस अचानक से बंद हो गया। तब से अब तक अपनी जमा रकम पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन अब तक कोई भी राहत नहीं मिली है।
सुरेंद्र पाल सिंह किसी तरह पैसे बचाकर मैं हर महीने हजार रुपए जमा करता था। पांच वर्ष तक रुपए जमा किए। जब स्कीम मैच्योर हो गई तो अचानक से कंपनी बंद हो गई। तब से रुपए हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
दीपक दक्ष एक चिट फंड स्कीम में रुपए निवेश किए। उसके बाद कंपनी के ऑफिस के गेट पर ताला लग गया। तब से अब तक अपना निवेश पाने को संघर्ष कर रहे हैं।
उमेश गुप्ता