डायबिटीज का खतरा अब बड़ों के बाद बच्चों में भी पहुंच गया है. बच्चों को डायबिटीज होने पर सही उपचार और ट्रीटमेंट मिल सके इसके लिए एसएन मेडिकल कॉलेज के एमसीएच विंग में टाइप-1 डायबिटीज ओपीडी संचालित की जा रही है. इस ओपीडी के लिए अब नई व आधुनिक इंसुलिन आ गई हैैं. इससे यहां पर आने वाले बच्चों को इंसुलिन लगाई जा सकेगी और उनकी डायबिटीज कंट्रोल हो सकेगी.

आगरा(ब्यूरो)। एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और टाइप-1 डायबिटीज ओपीडी के प्रभारी डॉ। प्रभात अग्रवाल ने बताया कि बच्चों व टीनएज में डायबिटीज की समस्या बढ़ रही है। प्रत्येक शुक्रवार को एमसीएच विंग में यह ओपीडी संचालित होती है। यहां आने वाले डायबिटीज से पीडि़त बच्चों के लिए आधुनिक इंसुलिन आ गई हैैं। इन इंसुलिन को लगाने से बच्चों को होने वाले टाइप-1 डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है।

कोविड के बाद बढ़ी संख्या
डॉ। प्रभात अग्रवाल ने बताया कि टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों की संख्या कोविड के बाद में बढ़ी है। उन्होंने बताया कि टाइप-1 डायबिटीज एक से लेकर 18 साल तक के बच्चों में पाई जाती है। इसमें इंसुलिन के विरुद्ध एंटीबॉडीज बनना शुरू हो जाता है। इस कारण शुगर अनियंत्रित होने लगती है। ऐसे में मरीज को इंसुलिन के शॉट्स ही देने पड़ते हैैं। तभी डायबिटीज कंट्रोल होती है।

बच्चों को उपचार के साथ काउंसलिंग की जरूरत
डॉ। प्रभात अग्रवाल ने बताया कि ओपीडी में बड़ों के साथ में बच्चे भी आते थे लेकिन बच्चों के लिए सहज माहौल हो और उनकी सही तरह से काउंसलिंग आदि की जा सके व उन्हें इंसुलिन लगाई जा सके। इसके लिए हमने प्रिंसिपल के साथ मिलकर बच्चों के लिए अलग से सेंटर शुरू करने का प्लान बनाया। अब इस सेंटर में बच्चों को आसानी से परामर्श और इंसुलिन मुफ्त में मिल सकेंगी।

यह है टाइप-1 डायबिटीज
टाइप-1 डायबिटीज एक क्रोनिक समस्या है इसमें पैंक्रियाज बहुत कम या फिर बिल्कुल भी इंसुलिन नहीं बनाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है इसका उपयोग शरीर, ग्लूकोज से ऊर्जा पैदा करने के लिए कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता है। टाइप-1 डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है। इसकी जटिलताओं को रोकने के लिए उपचार के तौर पर इंसुलिन शॉट्स देने, आहार और लाइफस्टाइल को ठीक रखने पर जोर दिया जाता है। आनुवांशिकता जैसे विभिन्न कारक टाइप-1 डायबिटीज का कारण हो सकते हैं। टाइप-1 डायबिटीज आमतौर पर बचपन या टीनएज के दौरान सामने आता है।
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टाइप-1 डायबिटीज की पहचान
टाइप-1 डायबिटीज आमतौर पर टीनएज के दौरान नजर आती है हालांकि, यह वयस्कों को भी प्रभावित कर सकती है। इसके भी ज्यादातर लक्षण टाइप-2 डायबिटीज से मिलते-जुलते हो सकते हैं। इनकी समय रहते पहचान कर उचित इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करनी आवश्यक हो जाती है। ऐसे लक्षणों को लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है।

यह हैैं टाइप-1 डायबिटीज के लक्षण
- सामान्य से अधिक प्यास या भूख लगना।
- बार-बार पेशाब जाना।
- बिना किसी बीमारी के वजन घटना।
- चिड़चिड़ापन महसूस होना या मूड में अन्य बदलाव।
- थका हुआ और कमजोर महसूस करना।
- धुंधला नजर आना।


टाइप-1 डायबिटीज में इंसुलिन के विरुद्ध एंटीबॉडीज बनने लगती हैैं। मरीज को इंसुलिन लगानी पड़ती है। इसके लिए इंसुलिन आ गई हैैं। यदि किसी भी बच्चे को टाइप-1 डायबिटीज है तो वह मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को आकर परामर्श ले सकते हैैं। यहां इंसुलिन मुफ्त लगाई जाएंगी।
- डॉ। प्रभात अग्रवाल, प्रोफेसर, एसएनएमसी

Posted By: Inextlive