मेट्रा की 30 मीटर टनल तैयार
अब पूरा प्रोसेस ऑटोमेटिक
लॉन्चिंग के बाद टीबीएम यमुना के जरिए खोदाई का प्रोसेस इनीशियल पीरियड में था। इसमें मैन्युअली रिंग सेगमेंट लगाए जाते हैं। लेकिन 30 मीटर की खोदाई के बाद अब टीबीएम मेन ड्राइव में पहुंच चुकी है। अब पूरा प्रोसेस ऑटोमेटिक होगा। रोजाना औसतन करीब 10 मीटर टीबीएम के जरिए खोदाई हो सकेगी। गौरतलब है कि यूपी मेट्रो द्वारा आगरा मेट्रो के अंडरग्राउंड सेक्शन में अप एवं डाउन ट्रैक हेतु दो समानांतर सुरंगों का निर्माण किया जाना है।
यहां है टीबीएम रूट
टीबीएम को रामलीला मैदान से लॉन्च किया गया (इसे 'लॉन्चिंग शाफ्टÓ कहा जाता है) और ताजमहल स्टेशन की ओर बढ़ रही है। शाहजहां गार्डन में 'मिड शाफ्टÓ का प्रयोजन दिया गया है, ताकि किसी भी आपातकाल स्थिति में बीच में ही टीबीएम को आसानी से निकाला जा सके। इसके साथ ही ताजमहल के आगे, पुरानी मंडी चौराहे के पास 'रिट्रीवल शाफ्टÓ ( जहां से टीबीएम को निकाला जाएगा) का निर्माण किया जा रहा है। इसी तरह दूसरी टीबीएम आरबीएस कॉलेज मेट्रो स्टेशन से नीचे उतारी जाएगी (लॉन्चिंग शाफ्ट) और जामा मस्जिद स्टेशन के पास निकाली जायेगी, यानी रेट्रीवल शाफ्ट वहीं स्थित होगी। फिलहाल, टीबीएम गंगा- यमुना के जरिए प्रायोरिटी कॉरिडोर में जामा मस्जिद से ताजमहल की दिशा में टनल का निर्माण किया जाएगा।
प्रायोरिटी कॉरिडोर के अंडरग्राउंड स्टेशन
- ताजमहल
- आगरा किला
- जामा मस्जिद
टनल निर्माण की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में पूरी की जाती है। टीबीएम असेंबल होने के बाद टीबीएम के जरिए सुरंग निर्माण का काम शुरू किया जाता है। इस दौरान टीबीएम के पिछले हिस्से में स्थित सेगमेंट इरेक्टर की मदद से कास्टिंग यार्ड में प्रीकास्ट तकनीक से निर्मित टनल रिंग सेगमेंट्स को लगाया जाता है। एक टीबीएम दिन में औसतन 10 मीटर टनल का निर्माण करती है।
विभिन्न हिस्सों में बंटी होती है
टनल बोरिंग मशीन विभिन्न हिस्सों में बंटी होती है। टीबीएम के सबसे अग्रिम भाग फ्र ंट शील्ड में कटिंग हेड होता है, जिसकी मदद से टीबीएम मिट्टी को काटते हुए सुरंग की खुदाई की करती है। कटिंग हेड में एक विशेष किस्म के केमिकल के छिड़काव की भी व्यवस्था होती है, जो कि कटिंग हेड पर लगे नॉजल के द्वारा मिट्टी पर छिड़का जाता है। इस केमिकल की वजह से मिट्टी कटर हेड पर नहीं चिपकती और आसानी मशीन में लगी कनवेयर बेल्ट की मदद मशीन के पिछले हिस्से में चली जाती है, जहां से ट्रॉली के जरिए मिट्टी को टनल से बाहर लाकर डम्पिंग एरिया में भेज दिया जाता है।
इसके साथ ही मशीन के पिछले हिस्से में प्रीकास्ट रिंग सेगमेंट को लॉन्च करने की व्यवस्था भी होती है। टनल निर्माण के दौरान रिंग सेगमेंट लगाने के बाद टीबीएम द्वारा ही रिंग सेगमेंट एवं मिट्टी के बीच में ग्राउटिंग सॉल्यूशन भर दिया जाता है, जो कि रिंग सेगमेंट्स और मिट्टी के बीट मजबूत जोड़ स्थापित कर टनल को मजबूती प्रदान करता है। टीबीएम के मिड शील्ड में लगे थ्रस्टर्स मशीन को आगे बढऩे में मदद करते हैं।
मेट्रो पर एक नजर
लंबाई
29.4 किमी कॉरिडोर
दो स्टेशंस
27 डिपो
पीएसी परिसर
कालिंदी विहार
---------------- हफ्ते में पांच दिन खोदाई
85 मीटर लंबी टनल बोङ्क्षरग मशीन (टीबीएम) 24 घंटे में 10 मीटर की खोदाई कर रही है। दो शिफ्ट में बीस-बीस कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। 55 से 60 फीट गहरी खोदाई हर सप्ताह सोमवार से शुक्रवार तक होगी। शनिवार और रविवार को मशीन की मरम्मत की जाएगी।
टीबीएम पर नजर
- 6.6 मीटर डायमीटर की टनल बनेगी
- 1 मीटर की खोदाई में 55 टन मिट्टी निकलेगी
- 5 डिब्बों की टेन मिट्टी को निकालने के लिए चलेगी
- 1 डिब्बे में 15 से 17 टन आएगी मिट््टी
- 5.8 बचेगा ब्लाक लगने के बाद टनल का डायमीटर
- आगरा कॉलेज
- एसएन मेडिकल कॉलेज
- राजा की मंडी
- आरबीएस कॉलेज
आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट एक नजर में
- 8262 करोड़ रुपए मेट्रो की कुल लागत
- 112 करोड़ रुपए से मेट्रो का पहला डिपो बन रहा है।
- 372 करोड़ रुपए से मेट्रो के तीन स्टेशन ताज पूर्वी गेट, बसई और फतेहाबाद रोड बन रहे हैं
- 1850 करोड़ रुपए से मेट्रो के सात भूमिगत स्टेशनों का निर्माण होगा
- 30 किमी करीब लंबा मेट्रो ट्रैक होगा
- 14 किमी सिकंदरा तिराहा से ताज पूर्वी गेट तक पहले कॉरिडोर की लंबाई
- 16 किमी आगरा कैंट रेलवे स्टेशन से काङ्क्षलदी विहार तक दूसरे कॉरिडोर की लंबाई
- 22.5 किमी लंबा एलीवेटेड ट्रैक होगा
- 7.5 किमी लंबा भूमिगत ट्रैक होगा
- 27 टोटल मेट्रो ट्रैक पर स्टेशन
- 20 एलीवेटेड
- 7 अंडरग्राउंड स्टेशन
- दो मिनट में एक किमी का सफर तय करेगी मेट्रो