प्राइवेट स्कूलों में चलने वाली बुक्स के रेट पर स्कूल संचालकों की मनमर्जी चल रही है. उन्होंने अपने हिसाब से रेट लिखकर अपना कमीशन बांध लिया है.

आगरा(ब्यूरो)। हालात ये हैं कि इन स्कूलों में इतनी महंगी बुक्स हैं कि इनका एक पेज छह रुपए से 20 रुपए का पड़ रहा है, जबकि एनसीईआरटी व राज्य सिलेबस मंडल की बुक्स में एक पेज 2 से 3 रुपए का पड़ रहा है। ऐसे कई स्कूल हैं जिनकी लिस्ट इंजीनियरिंग से महंगी हैं।


एक पेज के रेट पड़ रहे 20 रुपए
शहर में प्राइवेट स्कूल में एलकेजी से क्लास पांचवीं तक की कई बुक्स 300 रुपए से 650 रुपए तक की है। एक वर्क बुक में मात्र 40 पेज हैं। जिसकी कीमत 455 रुपए हैं। इसी प्रकार एक शहर के प्रतिष्ठित अंग्रेजी जरिए की एलकेजी की बुक्स 5200 रुपए की हैं। एक स्कूल में पहली क्लास की कला के 55 पेज की प्लेन सफेद कागज की वर्कबुक ही 390 रुपए की है, जिसमें कुछ भी नहीं लिखा हुआ है। इसी प्रकार कई पुस्तकों की कीमत 650 रुपए तक है। इस हिसाब से कई बुक्स के एक पेज की कीमत 20 रुपए तक पड़ रही है।

स्कूल को दे रहे 60 फीसदी तक कमीशन
पेरेंट्स मनी आनंद कहते हैं कि बुक्स के प्रकाशक प्राइवेट स्कूलों को कमीशन देते हैं जो 60 प्रतिशत तक होता है। अब प्राइवेट स्कूलों को अधिक कमीशन लेना है तो उन्हें महंगी बुक्स लगानी होगी। इसके चलते कई प्राइवेट स्कूल तो वहीं बुक्स चलाते हैं जो कई गुना महंगी होती है जिसका खामियाजा पेरेंट्स को भुगतना पड़ता है। वहीं बेसिक शिक्षाधिकारी प्रवीन कुमार तिवारी का कहना है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल अपना तय सिलेेबस ही बुक्स चलाए और उनकी बिक्री दो दुकानों पर हो। अगर, बुक्स अधिक महंंगी बेची जाती है तो यह गलत है।

इंजीनियरिंग की सभी बुक्स 1500 रुपए की
शहर के कई प्राइवेट स्कूलों के हालात यह है कि इन स्कूलों की एलकेजी की बुक्स ही इंजीनियरिंग से महंगी है। इंजीनियरिंग कॉलेज की इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष की कई बुक्स 140 रुपए कीमत की भी है। इस हिसाब से इस क्लास की सारी बुक्स 1500 रुपए तक में आ सकती है। जबकि कई प्राइवेट स्कूलों की एलकेजी की बुक्स की कीमत इससे कहीं अधिक है।


बेटा क्लास यूकेजी में आया है, संजय प्लेस स्थिति एक बुक सैलर द्वारा 4800 रुपए का बैग दिया है, जबकि बच्चे के पास पहले से ही बैग है, सैलर का कहना है कि पूरा सेट लेना पड़ेगा।
मनी आनंद, पेरेंट्स


बुक्स को लेकर स्कूल संचालक लगातार दबाव बना रहे हैं, ऐसे में मजबूरन बुक्स का सेट खरीदना पड़ा, लेकिन बुक सैलर द्वारा बिल नहीं दिया गया।


सरकार को ऐसे स्कूलों के खिलाफ कठोर कदम उठाने होंगे, आम पब्लिक कोविड के चलते पहले से ही त्रस्त है।
प्रियंका, पेरेंट्स

पेरेंट्स को अच्छे स्कूल में पढ़ाना हर माता-पिता का सपना होता है। स्कूल संचालक की वे मनमानी का शिकार हो रहे हैं, सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे।
डॉ। गौरव शर्मा, पेरेंट्स

पांच हजार रुपए तक की बुक्स आ रहीं हैं, जबकि सरकार के आदेश हैं कि स्कूलों में केवल एनसीईआरटी की बुक्स को ही चलाया जाए।
गोपाल शर्मा, पेरेंट्स

इस मामले में जांच की जाएगी, ऐसे स्कूल जो जबरन पेरेंट्स को बुक्स खरीदने लिए दबाव बना रहे हैं, उनकी जांच की जाएगी।
प्रवीन कुमार, बीएसए

Posted By: Inextlive