टीबी की दवा छोडऩा हो सकता है गंभीर, टीबी का ट्रीटमेंट बीच में छोडऩे से हो सकती है एमडीआर टीबी
आगरा(ब्यूरो)। नरेंद्र ने बताया कि टीबी का उपचार बीच में छोडऩे के बाद दोबारा से परेशानी होने लगी तो वह दोबारा से डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर ने कहा कि बीच में इलाज छोडऩे से स्थिति और गंभीर हो जाती है। नरेंद्र को यह बात समझ में आई और उन्होंने दोबारा इलाज शुरू किया, नियमित उपचार के बाद वह टीबी मुक्त हो गए।
अब दूसरे रोगियों की कर रहे मदद
नरेंद्र ने बताया कि तभी से उन्होंने ठाना कि वह लोगों को बताएंगे कि टीबी का उपचार बीच में न छोड़ें। इसे बीच में छोडऩे से मुश्किलें और ज्यादा बढ़ जाती हैं। नरेंद्र ने बताया कि वह इसके बाद टीबी मरीजों को अपनी आपबीती साझा करने लगे और उन्हें जागरुक करने लगे। विभाग द्वारा शुरू की गई टीबी चैंपियन योजना में उन्हें फरवरी 2021 में शामिल कर लिया गया। नरेंद्र अब तक 200 मरीजों की काउंसलिंग कर चुके हैं। इनमें से अब तक 130 टीबी रोगी स्वस्थ हो चुके हैं। अन्य रोगियों का उपचार चल रहा है।
ज्यादा खानी पड़ती है दवाई
जिला क्षय रोग अधिकारी(डीटीओ) डॉ। सीएल यादव ने बताया कि बीच में टीबी का इलाज छोडऩे से एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) टीबी होने की आशंका रहती है। आमतौर पर टीबी का उपचार छह से नौ माह तक चलता है। जबकि एमडीआर टीबी के उपचार के दौरान लगभग दो साल तक दवाएं खानी पड़ती हैं। उन्होंने बताया कि जिले इस वक्त 693 डीआर (दवा प्रतिरोधी) टीबी मरीजों का उपचार चल रहा है।
डीटीओ ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को हल्का बुखार, खांसी, कमजोरी, वजन कम होने लगना आदि हो तो तुरंत ही टीबी की जांच कराएं। टीबी के लक्षण होने पर इसे छिपाएं नहीं। यह एक आम बीमारी है और इसका उपचार पूर्णतया संभव है। उन्होंने कहा कि टीबी ग्रसित रोगियों को मास्क का प्रयोग करना चाहिए जिससे आसपास के लोग संक्रमित ना हो सकें।
टीबी के प्रमुख लक्षण
-दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी आना।
-खांसी के साथ बलगम व बलगम के साथ खून आना।
-वजन का घटना।
-बुखार व सीने में दर्द, शाम के समय हल्का बुखार होना।
-रात में पसीना आना ।
-भूख कम लगना।
टीबी के लक्षण दिखने पर नजदीकी केंद्र पर जाकर अपनी जांच कराएं। जिले में टीबी की जांच व उपचार पूरी तरह से मुफ्त है।
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ
टीबी का ट्रीटमेंट बीच में नहीं छोडऩा चाहिए। इसे बीच में छोडऩे से एमडीआर टीबी होने का खतरा रहता है। इसमें ज्यादा समय तक दवाई खानी पड़ती है।
- डॉ। सीएल यादव, डीटीओ
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बीते छह साल में जिले में टीबी के मरीज
वर्ष 2017
कुल टीबी मरीज - 5707
पब्लिक 4617 प्राइवेट 1090
कुल टीबी मरीज- 11614
पब्लिक 7845 प्राइवेट 3919 वर्ष 2019
कुल टीबी मरीज- 23072
पब्लिक 9683 प्राइवेट 13389 वर्ष 2020
कुल टीबी मरीज- 16864
पब्लिक 7582 प्राइवेट 9282 वर्ष 2021
कुल टीबी मरीज- 21275
पब्लिक 9762 प्राइवेट 11513 वर्ष 2022
कुल टीबी मरीज- 21059
पब्लिक 11369 प्राइवेट 9690 वर्ष 2023
कुल टीबी मरीज- 938
पब्लिक 602 प्राइवेट 336