आगरा में बड़े बाजार में फायर सेफ्टी तो छोडि़ए यहां वायर भी खतरनाक
आगरा(ब्यूरो)। इसके बावजूद पूरे बाजार में बिजली के तार झूलते नजर आ जाते हैं। बाजार निर्माण के समय से लेकर अब तक इसका सुरक्षा ऑडिट भी नहीं कराया गया है। कानपुर में आग की घटना के बाद शहर के कपड़ा मार्केट में दैनिक जागरण आईनेकस्ट की टीम ने रियल्टी चेक किया।
मुखर्जी मार्केट की भयावह स्थिति
कानपुर के हमराज काम्ॅप्लैक्स, कपड़ा मार्केट में गुरुवार रात शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। इसके बाद सुरक्षा के लिहाज से दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने आगरा के जामा मस्जिद, सुभाष बाजार और मुखर्जी मार्केट की स्थिति भयावह नजर आई। यहां दोनों साइड तारों से इस कदर पटी हुईं थीं जैसे मकान की छज्जा हो। इसके बाद मार्केट में व्यापारियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े होने लगे हैं। मुखर्जी मार्केट की संकरी गालियों में हर तरफ दुकानों के बाद कपड़े की गांठ पड़ी हंै। दुकानों कई गुना अधिक पकड़ा ठूंस-ठूंसकर भर गया है।
मुखर्जी मार्केट में हर पांच से दस फिट की दूरी पर दुकानें बनी हैं। तीन से चार फिट की दुकानों में व्यापार किया जा रहा है। किसी भी दुकान में फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं हैं।
हर तरफ झूल रहे बिजली के तार
मार्केट में कपड़ा दुकान राजेश गुप्ता ने बताया कि पूरे मार्केट में बिजली के तार हर तरफ झूल रहे हैं। बरसात व गर्मी के दिनों में तो आए दिन शार्ट सर्किट की वजह से बिजली की समस्या होती है। इसको लेकर व्यापारी बिजली कंपनी से शिकायत कर चुके हैं। इसके बावजूद तारों का जाल नहीं हट सका है। इसकी वजह से डेढ़ साल में करीब दो बार शॉर्ट सर्किट हो चुका है।
मार्केट में अगर आग लगती है तो हालात भयावह हो सकते हैं। इमरजेंसी में आग लगने पर घटनास्थल तक पहुंचने के लिए सुगम रास्ता भी नहीं है। छोटी व संकरी गलियों में फायर ब्रिगेड समेत बड़े वाहन जल्दी नहीं पहुंच पाते हैं। इसके पहले भी जब लुहार गली में आग लगी थी तो पानी के टैंकरों के पाइप बड़ी मुश्किल से घटनास्थल तक पहुंच पाए थे और आग बुझाई गई थी।
आग बुझाने के नहीं पर्याप्त साधन
सुभाष मार्केट मेें में रोजाना करीब 25 हजार से अधिक लोग खरीदारी करने आते हैं, लेकिन संबंधित विभाग ने व्यापारियों व ग्राहकों की सुरक्षा ताक पर रख दी है। आग से बचाव के लिए यहां हाइड्रेंड तक नहीं लगे हैं। जबकि इसे लेकर कई बार सवाल खड़े हो चुके हैं। उधर, राजेन्द्र कपड़ा मार्केट में दुकानों में अग्निशमन यंत्र लगे तो हैं, लेकिन जब इनकी जरूरत पड़ती है तो ये काम नहीं करते हैं क्योंकि नगर निगम के फायर एंड सेफ्टी विभाग द्वारा इनकी समय-समय पर जांच नहीं की जाती।
सुभाष मार्केट, राजेन्द्र कपड़ा मार्केट के सामने इमरजेंसी से सटी दुकानें फुटपाथ पर लगी हैंं। इन दुकानदारों के पास बिजली का कोई वैध कनेक्शन नहीं है। ये लोग बिजली की लाइन में कटिया लगाकर दुकान चलाते हैं। इससे भी कई बार शार्ट सर्किट की समस्या आती है। वहीं इनके खिलाफ बाजार के व्यापारी भी आवाज नहीं उठाते हैं। मुखर्जी मार्केट में नहीं वेंटिलेशन
मुखर्जी मार्केट में वेंटिलेशन का नहीं होना एक बड़ी समस्या है, ऐसे में यदि एक बार आग लग जाए तो उस पर काबू पाना मुश्किल होता है। शुक्रवार को संकरी गलियों में हवा के आवागमन के कोई इंतजाम नहीं थे, दुकानों में कपड़ा तादाद से अधिक है, दुकानों हवा के लिए बनाए गए जाल भी पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं।
आगरा का कपड़ा मार्केट प्रभावित
कानपुर में लगी आग से आगरा का कपड़ा मार्केट प्रभावित हुआ है, यहां देश के कई राज्यों से कपड़ा भेजा जाता है। कानपुर में रेडीमेड का बड़ा कारोबार है। क्योंकि कानपुर में बड़े पैमाने पर रेडीमेड कपड़ा दूसरे शहरों भेजा जाता है।
राजकुमार खंडेलवाल, व्यापारी मार्केट में कभी अगर आग लगती है तो फायर ब्रिगेड नहीं पहुंच सकती है। इससे बहुत नुकसान हो सकता है।
सफाई व्यवस्था भी नहीं है, मार्केट के लोगों ने कई बार इस मामले में शिकायत की है।
जवाहर लाल, व्यापारी संकरी गलियों में ग्राहकों का आवागमन रहता है, नाली का सीवर गलियों में बह रहा है, इससे दुकानों में बैठना मुश्किल हो जाता है। गंदगी का आलम है।
राम निवास गुप्ता, व्यापारी संकरी गलियों में तार झूल रहे हैं, ग्राहक के आने के लिए रास्ता भी ब्लॉक हो जाता है, ऐसे में नगर निगम और बिजली विभाग को ठोस कदम उठानें होंगे।
राजेश गुप्ता, व्यापारी
कानपुर के हादसे से पूरा कपड़ा मार्केट हिल गया है। कोविड के बाद जैसे- तैसे व्यापार पटरी पर आया था, लेकिन अब हालात खराब हो गए। मुखर्जी मार्केट को संजय प्लेस में शिफ्ट करने के आदेश हैं। इस आग से देश का पूरा कपड़ा मार्केट प्रभावित हुआ है, क्योंकि कानपुर में बड़े पैमाने पर रेडीमेड कपड़ा दूसरे शहरों में आयात निर्यात किया जाता है।
टीएन अग्रवाल, अध्यक्ष आगरा कपड़ा व्यापार मंडल