जब हम अपने बच्चों का जन्मदिन धूमधाम से मनाते हैं तो अब तो हमारे आराध्य का जन्मोत्सव है. अपने प्रभु के श्रंगार का सामान खरीदने के लिए आए हैं. बाजार में बहुत भीड़ है. लेकिन ये कान्हा के जन्मोत्सव का उल्लास है कि भीड़ में भी आनंद आ रहा है.

आगरा(ब्यूरो)। मन:कामेश्वर मंदिर वाली गली में जन्माष्टमी के लिए खरीदारी कर रहीं सिर्फ पुष्पा ही नहीं, बल्कि उनकी तरह हजारों की संख्या में उमड़े खरीदार कान्हा के जन्मोत्सव को उल्लास के साथ मनाने के लिए खरीदारी में जुटे थे।

कई तरह की पोशाक हैं
जन्माष्टमी को लेकर तैयारी जारी हैं। मंदिरों में भव्य सजावट की जा रही है तो घरों में भी तैयारी जारी है। बाजार भी कान्हा के जन्मोत्सव को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं। दुकानदार अतुल कटारा ने बताया कि जन्माष्टमी पर कान्हा के लिए कई तरह की पोशाक हैं। इनकी रेंज 30 रुपए से शुरू होती है जो साइज और पोशाक पर वर्क के हिसाब से बढ़ती जाती है। कई पोशाक पर जरी के साथ रेशम का भी कार्य होता है। अधिकतर पोशाक मथुरा-वंृदावन से आती हैं।

बाहर से आते हैं प्रोडक्ट
पोशाक के साथ कई तरह के हिंडोला भी मार्केट में ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं। इनमें राजकोट से आए हिंडोला आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। दुकानदार अतुल कटारा बताते हैं कि कई तरह के हिंडोला हैं। इनमें राजकोट से लकड़ी के हिंडोला, मुरादाबाद से पीतल के प्रोडक्ट, जोधपुर से मेटल, नाथद्वारा से श्रंगार का सामान आता है। राजकोट से हिंडोला के साथ सिंहासन भी आए हैं। जिनमें हाथ से सजावटी वर्क किया गया है। मोर पंख की डिजाइन की गई है, जो आकर्षित करती है। नाथद्वारा से मोर पंख लगे मुकुट और माला को भी खूब पसंद किया जा रहा है।


30 रुपए से शुरू होती है पोशाक की रेंज
9 इंच से शुरू होता है हिंडोला का साइज
4 फुट तक के हिंडोला मार्केट में अवेलेबल
80 रुपए से शुरू होती है हिंडोला की कीमत
20 रुपए से शुरू होती है मुकुट की रेंज
50 रुपए से शुरू होती हैं सिंहासन की कीमत


जन्माष्टमी को लेकर हमेशा उत्साह रहता है। पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। बाजार से प्रभु की पोशाक के साथ श्रंगार का सामान खरीदकर लाया जाता है।
रजनी

बाजार में इस बार कई तरह के हिंडोला नजर आ रहे हैं। इनमें लकड़ी के कई हिंडोला आकर्षित कर रहे हैं। इसके साथ ही मोर पंख लगा मुकुट भी काफी खूबसूरत है।
पूजा

जन्माष्टमी के लिए कई तरह की पोशाक और हिंडोला अवेलेबल हैं। राजकोट से हिंडोला, मथुरा-वृंदावन से पोशाक, मुरादाबाद से पीतल के प्रोडक्ट, नाथद्वारा से श्रंगार का सामान आता है। जिसे कस्टमर की ओर से काफी पसंद किया जा रहा है।
अतुल कटारा

जन्माष्टमी पर सजावट के लिए कई तरह के प्रोडक्ट बाजार में अवेलेबल हैं। इनमें कान्हा की विभिन्न तस्वीरों के साथ लाइटिंग प्रोडक्ट भी हैं। इनमें कस्टमर की ओर से काफी पसंद भी किया जा रहा है।
गुड्डू अग्रवाल

इस दिन मनाना शुभ
पं। ज्ञानेश शास्त्री ने बताया कि अष्टमी छह सितंबर का दोपहर 3.37 बजे से सात को सितंबर की शाम 4.14 तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र छह सितंबर को सुबह 9.20 बजे से शुरू होकर सात सितंबर को 10.25 तक रहेगा। सात सितंबर को अष्टमी तिथि उदयी तिथि में त्रिमुहूर्त से भी अधिक रहने के कारण जन्माष्टमी सात सितंबर को मनाना उचित है।

भगवान कृष्ण की मूर्ति की स्थापना कैसे करें
पं। ज्ञानेश शास्त्री ने बताया कि जन्माष्टमी के निर्धारण में अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र का ध्यान रखा जाता है। इस बार जन्माष्टमी स्मार्त की छह सितंबर व वैष्णव की सात सितंबर को मनाई जाएगी। भगवान कृष्ण की सर्वाधिक पूजा संतान प्राप्ति हेतु की जाती है। लेकिन अपनी मनोकामना के हिसाब से आप कृष्ण की अलग-अलग मूर्ति की पूजा व स्थापना कर सकते हैं। संतान प्राप्ति के लिए कृष्ण के बाल स्वरूप मूर्ति की पूजा व स्थापना की जाती है। दांपत्य जीवन व प्रेम हेतु राधा कृष्ण की मूर्ति की स्थापना करें। सभी मनोकामना हेतु वंशी बजाते हुए कृष्ण की मूर्ति की स्थापना करें। शत्रुओं पर विजय के लिए सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण की मूर्ति की पूजा करें।

इस तरह करें पूजा
- दूध, दही, घी, शहद, बूरा (पंचामृत स्नान कराएं)
- शंख में जल भरकर अभिषेक करें
- इत्र, चंदन, कुमकुम, चावल, सफेद तिल, कलावा, जनेऊ और पुष्पमाला अर्पित करें
- 5 फल, पंच मेवा माखन मिश्री, पेड़े व पाक का भोग लगाएं, तुलसी की पत्ती चढ़ाएं, वैजंती माला चढ़ाएं, ताम्बूल, सुपारी, कमल गट््टा, लौंग इलाइची अर्पित करें, मधुराष्टक पाठ करें।

जन्माष्टमी के निर्धारण में अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र का ध्यान रखा जाता है। इस बार जन्माष्टमी स्मार्त की छह सितंबर व वैष्णव की सात सितंबर को मनाई जाएगी।
पं। ज्ञानेश शास्त्री, महंत कैलाश मंदिर व श्री सिद्धिविनायक मंदिर

Posted By: Inextlive