आगरा में इन पुल से गुजरना है खतरनाक
आगरा। 43 वर्ष पूर्व लोक निर्माण विभाग, निर्माण खंड एक (ताज ट्रेपेजियम जोन) और आगरा रेल मंडल ने 17 करोड़ रुपए की लागत से सराय ख्वाजा आरओबी का निर्माण किया था। फरवरी 2019 में कई जगहों पर दरारें आने के बाद लोनिवि ने भारी वाहन प्रतिबंधित के बोर्ड लगवाए और रेलवे ने हाइट गेज का निर्माण करा दिया। फरवरी 2020 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगरा आगमन को देखते हुए सक्रिय हुए अधिकारियों ने तीन लाख रुपए खर्च कर दरारें भरकर मरम्मत कराई।
सप्ताहभर बंद भी रहा
आंबेडकर पुल को 23 लाख रुपए खर्च करके वर्ष 2008 में सेतु निर्माण निगम ने बनवाया था। 2011 में वाहनों का संचालन शुरू हुआ। संचालन के एक साल बाद ही यह क्षतिग्रस्त हो गया। सप्ताहभर तक इसे बंद रखा गया। अब तक 10 बार पुल को बंद किया जा चुका है। दो माह पूर्व सेतु निर्माण निगम ने 50 हजार रुपए की लागत से पुल की मरम्मत कराई थी। अब पुल के ज्वाइंट सस्पेंशन गैप आधा फीट तक हो गए हैं। इससे यमुना नदी तक दिखती है। वाहनों को झटके लगते हैं। जगह-जगह यह पुल क्षतिग्रस्त हो गया है।
इनकी है जिम्मेदारी
सराय ख्वाजा आरओबी का रखरखाव लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है। मुख्य अभियंता एसके अग्रवाल, अधीक्षण अभियंता आनंद कुमार, अधिशासी अभियंता पीके शरद जिम्मेदार हैं। आंबेडकर पुल के रखरखाव में लापरवाही के लिए परियोजना प्रबंधक विक्रम ङ्क्षसह, सहायक अभियंता यूवी ङ्क्षसह हैं।
सेतु निर्माण निगम से सेवानिवृत्त परियोजना प्रबंधक एनपी ङ्क्षसह का कहना है कि रेल ओवर ब्रिज या फिर पुल में दरार ङ्क्षचताजनक है। दरार से पुल की मजबूती कमजोर होती जाती है। वर्षा का पानी दरारें बढ़ाता जाता है। वाहनों का बढ़ता दबाव इसे और भी खतरनाक बना देता है। समय रहते मरम्मत होनी चाहिए। पुल में यदि ज्वाइंट सस्पेंशन गैप आधा फीट तक के हैं तो इन्हें भरवाया जाना चाहिए। इससे रोड के दोनों तरफ के किनारे नहीं टूटेंगे।
जिले में कोई जर्जर पुल नहीं है। सभी की निगरानी की जा रही है।
- आनंद कुमार, अधीक्षण अभियंता, लोनिवि कल ही कुछ बता पाऊंगा। अभी मैं अस्पताल में हूं।
- वेद प्रकाश, मुख्य परियोजना प्रबंधक, राज्य सेतु निगम
जवाहर पुल सहित 40 की होगी जांच
गुजरात में केबिल पुल टूटने से प्रदेश सरकार सबक लेने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर जवाहर पुल सहित 40 की जांच होगी। इसमें छोटे और बड़े पुल शामिल हैं। इसके लिए सेतु निर्माण निगम को नोडल एजेंसी बनाया गया है। जांच में हर पुल की संरचनात्मक सुरक्षा को परखा जाएगा। यदि कोई पुल संचालन के लिए सही नहीं पाया जाता है तो उसे बंद किया जा सकता है। सेतु निर्माण निगम के एक अधिकारी ने बताया कि जांच में रेल ओवर ब्रिज को भी शामिल किया गया है।
- पुल का निर्माण कब हुआ।
- पुल पर वाहनों का संचालन कब तक होना चाहिए।
- दरारें कितनी हैं।
- हर दिन जो भी वाहन गुजर रहे हैं, उस हिसाब से पुल कितने दिनों तक चलेगा।
- आगामी दो से तीन साल में पुल पर वाहनों का कितना दबाव होगा। यह हैं प्रमुख पुल और रेल ओवर ब्रिज
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