क्या 500 रुपए भी नहीं आपकी जिंदगी की कीमत!
नहीं हो रहा कोई असर
ट्रैफिक रूल्स का पाठ पढ़ाना हो या फिर चालान करते हुए सख्ती दिखानी हो, लेकिन हेलमेट न पहनने वालों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। रोज टू-व्हीलर सवार बिना हेलमेट लगाए घर से निकलते हैं। चौराहों पर पुलिस के सामने से वाहन फर्राटा भरते हुए निकलते हैं। स्मार्ट सिटी के चौराहों पर लगे कैमरों में ये कैद भी होते हैं। चालान भी होता है, बावजूद इसके ये अपनी जिंदगी को खतरे में डालने से बाज नहीं आ रहे।
चालान होते हैं लेकिन वूसली नहीं
स्मार्ट सिटी के कैमरों से जिस तेजी से चालान होते हैं, उस तेजी से चालान किए गए शुल्क की वसूली नहीं हो पाती। हाल ही में कमिश्नर रितु माहेश्वरी ने नगर निगम स्थित स्मार्ट सिटी के इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर का निरीक्षण किया था। उस दौरान उन्होंने चालान के बारे में जानकारी ली थी। तब बताया गया था कि वर्ष 2019 से पांच लाख चालान किए गए हैं, जिनका शुल्क 53 करोड़ रुपए है। जबकि इसमें से सिर्फ चार करोड़ रुपए की वसूली ही की जा सकी। इस पर कमिश्नर ने नाराजगी जताई थी।
63 चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल
43 चौराहों पर इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम
25 ट्रैफिक सिग्नल पर रेड लाइट वॉयलेशन के चालान की सुविधा
300 करोड़ करीब से तैयार हुआ इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर
1500 से अधिक कैमरे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत लगे हैं
300 कैमरे पड़े हैं खराब
43 स्थानों पर लगाए गए हैं पैनिक बटन
स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम से दो तरह के ट्रैफिक रूल्स वॉयलेशन पर चालान किए जाते हैं। जिसमें हेलमेट न पहनने के साथ रेड लाइट वॉयलेशन शामिल हैं। शहर में रेड लाइट का वॉयलेशन करने वालों की संख्या भी अच्छी खासी है। रोज 120 से अधिक वाहन चालक रेड लाइट क्रॉस करते हैं।
चालान नो हेलमेट
21566 रेड लाइट वॉलेशन
3729
नोट::आंकड़े 15 जुलाई से 16 अगस्त तक। --------
क्या है आईटीएमएस
शहर में इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) के तहत ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, निगरानी कैमरा, ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन सिस्टम, रेड लाइट वायलेशन डिटेक्शन सिस्टम, वेरिएबल मैसेज साइन बोर्ड, सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली (पब्लिक एड्रेस सिस्टम), इमरजेंसी कॉल बॉक्स सिस्टम को इंस्टॉल किया गया है। इस सिस्टम के प्रभावी कार्य करने से प्रोजेक्ट से ट्रैफिक कंट्रोल करने में मदद के साथ आपराधिक गतिविधियों पर भी निगरानी की जा सकती है। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर एएनपीआर, आरएलवीडी, फिक्स बॉक्स कैमरा, पैन टिल्ट जूम (पीटीजेड) से कार्रवाई की जाती है।
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शहर के चौराहों पर लगे कैमरे
पीटीजेड कैमरा: इस पैन, टिल्ट, जूम कैमरे की खासियत ये होती है कि इसे रिमोट के माध्यम से कम ज्यादा किया जा सकता है। इसकी जूम को भी बढ़ाया जा सकता है। यह किसी एक विषय वस्तु पर फोकस कर सकता है। जैसे वस्तु मूव करेगी तो ये कैमरा भी साथ ही मूव करेगा। एएनपीआर कैमरा: ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्रिशन कैमरा, ये कैमरा व्हीकल्स की नंबर प्लेट को कैच करने में सहायक है। इस कैमरे की खासियत ये है कि ये कैमरा दौड़ते हुए वाहनों की नंबर प्लेट का कैप्चर कर लेगा। इसका डाटा सॉफ्टवेयर पर अपलोड हो जाता है। आरएलवीडी: रेड लाइट वायलेशन डिटेक्शन कैमरा, इस प्रकार के कैमरे चौराहों पर ई-चालान के लिए लगाए गए हैं। इन कैमरों के माध्यम से रेड लाइट क्रॉस करने या बिना हेलमेट के कोई दोपहिया वाहन चालक गुजरता है, तो ये कैमरा उसको डिडेक्ट कर कैप्चर कर उसको सेव कर देता है। ई-चालान ऑटोमेटिक हो जनरेट होता है।
फिक्स बॉक्स कैमरा: चौराहे या पूरे शहर की निगरानी के लिए फिक्स बॉक्स कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों की खासियत ये है कि ये पूरे बाजार गली, चौराहे या सड़क को कवर करता है।
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प्रो। डॉ। प्रभात अग्रवाल, सीनियर फिजिशियन
टू-व्हीलर सवार हेलमेट न पहनकर अपनी जिंदगी जोखिम में डालते हैं। चालान से बचने के लिए ही नहीं, बल्कि खुद की जान बचाने के लिए भी हेलमेट बहुत जरूरी है। मैं खुद लोगों को हेलमेट लगाने के प्रति अवेयर करता हूं। जिससे
सुनील खेत्रपाल, संस्थापक ट्रैफिक सपोर्ट
चौराहों पर स्मार्ट सिटी के कैमरे लगे हैं, इसके साथ ही चौराहों पर पुलिस फोर्स भी तैनात रहती है। फिर भी लोग हेलमेट पहनने में इस तरह की लापरवाही बरतते हैं। एक तरह से ये ट्रैफिक रूल्स का मखौल बनाना है। इस पर सख्ती से एक्शन हो।
रोशन
लोगों को ये समझना होगा कि हेलमेट सिर्फ ट्रैफिक रूल्स फॉलो करने के लिए नहीं, बल्कि खुद का जीवन सुरक्षित करने के लिए पहनना चाहिए। तभी हेलमेट को पूरी तरह से फॉलो किया जा सकेगा।
आदित्य