इंटरनेशनल डे ऑफ एक्शन फॉर रिवर्स: जीवनदायिनी यमुना की स्थिति दयनीय
आगरा(ब्यूरो)। हर जगह का पानी प्रदूषित हो गया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने जनवरी 2023 में रिवर वॉटर क्वालिटी की रिपोर्ट जारी की है। इसके हिसाब से प्रदेश की ज्यादातर नदियां 'डीÓ और 'ईÓ कैटेगिरी में हैं। ताजनगरी में यमुना डी कैटेगिरी में है।
पांच कैटेगरी में नदियों को बांटापॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने सभी नदियों को पांच कैटेगरी में बांटा है। यह कैटेगेरी अलग-अलग शहरों में अलग है। जैसे आगरा में यमुना नदी का पानी 'डीÓ कैटेगरी में है। इसका पानी वाइल्ड लाइफ और मछली पालन के साथ उसकी आबादी बढ़ाने के लायक है।
कैटेगरी ए- ड्रिंकिंग वॉटर सोर्स बिना कंवेंशनल ट्रीटमेंट और डिसइंफेक्शन के बाद
कैटेगरी बी- आउटडोर बाथिंग (संगठित)
कैटेगरी सी- ड्रिंकिंग वॉटर सोर्स, कंवेंशनल ट्रीटमेंट और डिसइंफेक्शन के बाद
कैटेगरी डी- वाइल्ड लाइफ और मछली पालन का प्रचार
कैटेगरी ई- इरीगेशन, इंडस्ट्रियल कूलिंग, कंट्रोल्ड वेस्ट डिसपोजल
प्रदेश के ज्यादातर शहरों से होकर गुजरने वाली गंगा नदी का पानी प्रयागराज में सी कैटेगरी में है। इसे कंवेंशनल ट्रीटमेंट और डिसइंफेक्शन के बाद पी सकते हैं। वहीं, वारणसी और कानपुर में यह डी में है जिसे वाइल्ड लाइफ और मछली पालन में इस्तेमाल कर सकते हैं।
कहां की नदी किस कैटेगरी में
जगह नदी कैटेगरी
आगरा यमुना डी
मेरठ हिंडन ई
मेरठ काली (पूर्व) ई
वाराणसी गंगा (अपस्ट्रीम) सी
वाराणसी गंगा (डाउनटी्रम) डी
प्रयागराज गंगा सी
कानपुर गंगा डी
गोरखपुर राप्ती डी
गोरखपुर घाघरा डी
प्रयागराज यमुना सी
वाराणसी गोमती डी
लखनऊ गोमती (अपस्ट्रीम) सी
लखनऊ गोमती (डाउनटी्रम) ई
इस साल इंटरनेशनल डे ऑफ एक्शन फॉर रिवर्स की थीम है नदियों का अधिकार। पूरी दुनिया में 3 मिलियन से अधिक नदियां है। वहीं यदि हम केवल भारत की बात करें तो भारत में अकेले 400 से अधिक नदियां हैं। इन सभी के महत्व को समझाने के लिए इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है।
नदियों को पॉल्यूशन फ्री करने के लिए इंडस्ट्रीज की 24 घंटे लखनऊ से मॉनिटरिंग की जा रही है। बिना ट्रीटमेंट के किसी भी इंडस्ट्री का पानी नदी में नहीं गिराया जा सकता है। अगर कोई रूल फॉलो नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
रामगोपाल, चीफ एनवायरनमेंट ऑफिसर, यूपी
दिल्ली से आ रही यमुना में कई जगह नाले गिरते हैं। इसके चलते यमुना का पानी प्रदूषित होता है। आगरा रीजन में भी 61 नाले यमुना में गिर रहे हैं, जिन्हें अभी टैप्ड किया जाना है। यमुना में बायो रेमेडिशन प्रोसेस को किया जा रहा है। जिससे नदी में पॉल्यूशन की इंटेसिटी को कम किया जा रहा है।
डॉ। विश्वनाथ शर्मा, क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड
- नदियों में गिरने वाले सीवेज को रोकना चाहिए।
- नदियों के आसपास किसी तरह की धुलाई या सफाई न करें
- नदियों में एक्वेटिक एनिमल्स भी रहते है, इसलिए किसी केमिकल या ई-वेस्ट को उसमें न डालें
- मरने वाले जानवरों को नदियों में न डालें
- नदियों में जाने वाले पानी को पहलेे पॉपर ट्रीटमेंट करने के बाद इसमें जाने दें।
- अथॉरिटीज को चाहिए कि नालियों का पानी जहां नदियों में गिरता है, वहां ट्रीटमेंट प्लांट लगाएं।
- पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भी इसकी रेग्युलर मॉनिटरिंग करनी चाहिए।
दिल्ली से आगरा तक यमुना में कई जगह नाले गिर रहे हैं। इनको टैप्ड किया जाना चाहिए। 10 से 15 फीट तक यमुना की डीसिल्टिंग की जानी चाहिए। यमुना में धोबीघाट को बंद कराने के साथ भैंसों के आने पर रोक लगानी चाहिए।
डॉ। देवाशीष भट्टाचार्य, पर्यावरणविद्