हाईवे पर हुए हादसे में अधिकारियों ने कर डाला खेल, हादसे के बाद बदली गई ड्यूटी स्लिप!
आगरा(ब्यूरो)। जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इसको लेकर पड़ताल की तो अधिकारियों ने ये स्वीकार किया कि प्रदेशस्तर पर ड्यूटी स्लिप के लिए सॉफ्टवेयर है। इसके जरिए ही ड्यूटी स्लिप जारी होनी चाहिए। कंप्यूटराइज्ड ड्यूटी स्लिप से न तो छेड़छाड़ की संभावना रहती है और न ही इसे नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
क्या महत्वपूर्ण है ड्यूटी स्लिपडिपो से बस लेकर निकलने से पहले ड्राइवर और कंडक्टर के लिए ड्यूटी स्लिप जारी की जाती है। रोडवेज विभाग की ओर से जारी होने वाली इस ड्यूटी स्लिप पर बस के रूट से लेकर चालक-परिचालक के साथ बस की भी पूरी डिटेल रहती है। लेकिन, फोर्ट डिपो में इसी ड्यूटी स्लिप में खेल किया जा रहा है। ड््यूटी स्लिप कंप्यूटराइज्ड जारी होती है। लेकिन फोर्ट डिपो पर मैन्युअली जारी की जा रही है।
प्रदेशस्तर पर है सॉफ्टवेयर
कंप्यूटराइज्ड ड्यूटी स्लिप जारी करने के लिए प्रदेशस्तर पर सॉफ्टवेयर है। सॉफ्टवेयर से ही ड्यूटी स्लिप जारी होती है। इस दौरान कई ऑप्शन को ड्यूटी स्लिप में मेंशन किया जाता है। जिसमें वाहनों की फिटनेस, ड्राइवर-कंडक्टर की ड्रेस, अल्कोहल टेस्ट से लेकर आरोग्य सेतु एप तक की डिटेल अपडेट करनी होती है। अगर कोई ऑप्शन अधूरा होता है, तो ड्यूटी स्लिप जारी नहीं होती है। इसके उलट मैन्युअली ड्यूटी स्लिप में इस तरह का कोई झंझट नहीं होता। हाथ से तैयार कर थमा दिया जाता है।
खराब ही रहता है कंप्यूटर!
रोडवेज अधिकारी भी मानते हैं कि प्रदेश में अब ड्यूटी स्लिप प्रदेशस्तर पर काम कर रहे सॉफ्टवेयर में फीडिंग के बाद ही जारी होती हैं। कंप्यूटराइज्ड ड्यूटी स्लिप में जहां ट्रांसपेरेंसी रहती है, वहीं इससे छेड़छाड़ की आशंका भी नहीं होती। जबकि मैनुलअी में छेड़छाड़ की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। शायद इसीलिए बार-बार कंप्यूटर खराब कर दिया जाता है। फोर्ट डिपो में पिछले कई दिनों से कंप्यूटर खराब है। जबकि रोडवेज अधिकारी बता रहे हैं कि पिछले 5-6 दिन से कंप्यूटर खराब है।
इत्तेफाक है या खेल !
हाईवे पर कुबेरपुर के पास दुर्घटनाग्रस्त हुई डिपो बस के लिए भी मैनुअली ड्यूटी स्लिप जारी की गई थी। कंप्यूटर भी खराब था। इस ड्यूटी स्लिप की एक कॉपी चालक-परिचालक के पास थी तो दूसरी विभाग में थी। विभागीय सूत्रों ने बताया कि हादसे के बाद दुर्घटनाग्रस्त बस की ड्यूटी स्लिप बदली गई। एक ड्यूटी स्लिप कंडक्टर के पास भी थी, जब हादसे के बाद वह कैश जमा करने पहुंचा तो उससे ड्यूटी ले ली गई। इस ड्यूटी स्लिप को भी रिकॉर्ड में बदल दिया गया। अगर यही ड्यूटी स्लिप पर सॉफ्टवेयर के जरिए जारी की गई होती तो न इससे छेड़छाड़ करना मुमकिन होता और न ही इसे बदला जा सकता।
बसों के पहिए भी ठंडे नहीं हो पा रहे
नाम न छापने की शर्त पर एक ड्राइवर ने बताया कि बसों के पहिए भी ठंडे नहीं हो पाते हैं, जब तक बस को दूसरे रूट पर रवाना कर दिया जाता है। बसों का इंजन ऑयल भी ठंडा नहीं हो पाता है। ड्राइवर 14 घंटे तक बस ड्राइव करते हैं।
ये रहा रूट आगरा-औरैया-आगरा-कानपुर
कुबेरपुर में दुर्घटनाग्रस्त हुई बस बुधवार सुबह साढ़े 10 बजे फोर्ट डिपो से निकली थी। सूत्रों की मानें तो औरैया के लिए रवाना हुई। औरैया से आगरा आई। यहां से सवारी लेकर फिर कानपुर गई। कानपुर से आगरा आते समय बस दुर्घटनाग्रस्त हुई। इस दौरान ड्राइवर को प्रॉपर आराम नहीं मिला। न ही बस पर दो ड्राइवर तैनात थे। जबकि नियमानुसार 300 किमी से अधिक की दूरी पर दो ड्राइवर होने चाहिए। ड्राइवर एक हजार से अधिक का सफर तय कर चुका था। नींद में झपकी ले रहा था। इसी के चलते कुबेरपुर पर हादसा हुआ। हालांकि रोडवेज अधिकारी इससे साफ इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि बस आगरा से कानपुर गई थी। कानपुर से सवारी लेकर लौट रही थी।
पैसेंजर्स और रूट की संख्या के रेश्यो में बसों की संख्या कम है। डिपो वाइज अधिक राजस्व के चलते अधिकारी बसों से अधिक से अधिक फेरे लगवाते हैं। इसके चलते ये स्थिति बन रही है। इन सवालों के जवाब तलाशना जरूरी
1. कंप्यूटराइज्ड व्यवस्था होने के बाद भी ड्यूटी स्लिप क्यों मैनुअली जारी की जा रहीं?।
2. अगर कंप्यूटर खराब है तो दूसरे कंप्यूटर की वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई?
3. मैनुुअली जारी ड्यूटी स्लिप से छेड़छाड़ की आशंका नहीं, ये कैसे सुनिश्चित होगा?
4. किसी अप्रिय घटना होने पर जिम्मेदारों की जवाबदेही कैसे तय होगी, जब ड्यटी स्लिप की प्रमाणिकता पर ही सवाल हों?
कंप्यूटराइज्ड ड्यूटी स्लिप में ये जानकारी देना है जरूरी
- रूट नेम
- एक्स्ट्रा रूट नेम
- बस नंबर
- कंडक्टर नेम
- कंडक्टर शू-ड्रेस
- अल्कोहल टेस्ट
- फेस मास्क
- ड्राइवर शू-ड्रेस
- सेकेंड ड्राइव शे-ड्रेस
- आरोग्य सेतु एप
पिछले 5-6 दिनों से कंप्यूटर खराब पड़ा है। इसके चलते मैनुअली ड्यूटी स्लिप जारी की जा रही हैं।
जय करन सिंह, एआरएम