हमारे क्षेत्र में पानी की पाइपलाइन नहीं है. अंडरग्राउंड वॉटर ही पानी का सोर्स है. 15 वर्ष पहले तक हैंडपंप लगा था. इसके बाद जेट और फिर सबमर्सिबल लगानी पड़ी. शुरूआत में पानी 70 से 80 फुट हुआ करता था अब 300 फुट पाइप पर मोटर लटकी हुई है. तब पानी मिल पाता है.

आगरा(ब्यूरो)। पानी भी इतना खारा है कि मजबूरी में इसका इस्तेमाल करना पड़ता है। पर करें भी तो क्या? ये मजबूरी सेवला निवासी ईश्वरी देवी की नहीं है बल्कि शहर के अधिकतर एरियाज में लोग इस तरह की परेशानी से जूझते हैं।

तेजी से बदत्तर हो रहे हालात
हाल ही में सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड की ओर से ग्राउंड वॉटर असेस्मेंट को लेकर रिपोर्ट जारी की थी। इसमें आगरा की स्थिति बदत्तर बताई गई थी। शहर को ओवर एक्सप्लॉइटेड कैटेगिरी में बताया गया है। यानी जितना पानी अवेलेबल था उससे ज्यादा ग्राउंड वॉटर का यूज किया गया है। एक्सपट्र्स ने बताया कि ये अलार्मिंग सिचुएशन है। जबकि 2017 में शहर क्रिटिकल कैटेगिरी में था। हालात तेजी से बदत्तर हो रहे हैं। शहर में ग्राउंड वॉटर अब 65 से 70 मीटर के बाद ही मिलता है। कई एरियाज में ये आंकड़ा 100 मीटर के आसपास तक पहुंच जाता है।

क्या है इनका मतलब
सेफ: सेफ जोन वह है जहां ग्राउंड वॉटर की अवेलेबिलिटी का 50 परसेंट से कम पानी का यूज (जमीन से निकाला गया) है। एक एग्जामपल से इस तरह समझा जा सकता है कि अगर कहीं ग्राउंड वॉटर में 100 लीटर की अवेलिबिलिटी है, उसमें से 50 लीटर से कम पानी निकाला जाता है तो ये सेफ जोन है।

सेमी-क्रि टिकल: ये वह कैटेगिरी है जब अवेलेबल ग्राउंड वॉटर का 50 से 70 परसेंट पानी निकाला जाए। ये सेमी क्रिटिकल में आता है। इसे शुरूआती तौर पर चेतावनी माना जाता है। इस कैटेगिरी में सुधार के लिए 100 परसेंट ग्राउंड वॉटर के रिचार्ज की आवश्यकता होती है। यानी अगर कहीं अवेलेबिलिटी 100 लीटर है तो उसमें 100 लीटर पानी का रिचार्ज करने की ही आवश्यकता होगी।

क्रिटिकल: इसमें अवेलेबल वॉटर के दोहन का आंकड़ा 70 से 90 परसेंट तक पहुंच जाता है। क्रिटिकल जोन में एक्शन लेने की जरूरत होती है। जिससे हालत में सुधार लाया जा सके। इस कैटेगिरी से बाहर निकलने के लिए 150 परसेंट रिचार्ज की आवश्यकता होती है।

ओवर एक्सप्लॉइटेड: इसमें ग्राउंड वॉटर के यूज की डिमांड 100 परसेंट तक पहुंच जाती है या इसे भी क्रॉस कर जाती है। ये सबसे खराब कैटेगिरी है। इसमें 200 परसेंट ग्राउंड वॉटर रिचार्ज होना चाहिए। तभी स्थिति में सुधार हो सकता है।

क्या है वॉटर रिचार्ज?
जिस तहर जमीन से पानी निकाला जाता है, उसी तरह जमीन में पानी भी पहुंचता है, उसे ग्राउंड वॉटर रिचार्ज कहते हैं। ग्राउंड वॉटर रिचार्ज कई तरीके से होता है। इसमें रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, नहर, तालाब, बारिश, नदी आदि मुख्य भूमिका निभाते हैं।

वॉटर रिचार्ज के तरीके
- रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
- नहर
- तालाब
- बारिश
- नदी

वर्ष 2022

असेसमेंट यूनिट नेम कैटेगिरीज
अछनेरा -सेमी क्रिटिकल
आगरा सिटी -ओवर एक्सपलॉइटेड
अकोला- ओवर एक्सपलॉइटेड
बाह -क्रिटिकल
बरौली अहीर - ओवर एक्सपलॉइटेड
बिचपुरी-ओवर एक्सपलॉइटेड
एत्मादपुर -ओवर एक्सपलॉइटेड
फतेहाबाद -ओवर एक्सपलॉइटेड
फतेहपुर सीकरी -ओवर एक्सपलॉइटेड
जगनेर -सेमी क्रिटिकल
जैतपुर कलां -क्रिटिकल
खंदौली-ओवर एक्सपलॉइटेड
खेरागढ़-सेमी क्रिटिकल
पिनाहट -सेमी क्रिटिकल
सैंया-ओवर एक्सपलॉइटेड
शमसाबाद -ओवर एक्सपलॉइटेड

नोट:::(सेंट्रल ग्राउंड वॉटर रिसोर्स द्वारा वर्ष 2022 में ग्राउंड वॉटर रिसोर्स असेसमेंट की रिपोर्ट में बताई गई स्थिति.)

वर्ष

2020

पहले एक सेफ जोन में था


असेसमेंट यूनिट नेम कैटेगिरीज
अछनेरा क्रिटिकल
आगरा सिटी ओवर एक्सपलॉइटेड
अकोला ओवर एक्सपलॉइटेड
बाह क्रिटिकल
बरौली अहीर ओवर एक्सपलॉइटेड
बिचपुरी ओवर एक्सपलॉइटेड
एत्मादपुर ओवर एक्सपलॉइटेड
फतेहाबाद ओवर एक्सपलॉइटेड
फतेहपुरसीकरी ओवर एक्सपलॉइटेड
जगनेर सेमी क्रिटिकल
जैतपुर कलां सेमी क्रिटिकल
खंदौली ओवर एक्सपलॉइटेड
खेरागढ़ सेमी क्रिटिकल
पिनाहट सेफ
सैंया ओवर एक्सपलॉइटेड
शमसाबाद ओवर एक्सपलॉइटेड

ग्राउंड वॉटर की स्थिति (मीटर में)

ब्लॉक 2017 में 2022 में
प्री मानसून पोस्ट मानसून प्री मानसून पोस्ट मानसून
अछनेरा 10.37 10.10 11.72 9.15
अकोला 19.14 20.92 15.40 18.51
बाह 35.27 35.72 37.52 36.33
बरौली अहीर 27.05 24.25 25.40 21.13
बिचपुरी 25.31 25.64 24.56 23.56
एत्मादपुर 25.00 26.75 30.99 31.61
फतेहाबाद 41.16 41.67 45.76 45.19
फतेहपुर सीकरी 14.65 15.64 16.34 14.62
जगनेर 12.23 12.86 15.49 11.92
जैतपुर कलां 35.99 36.48 37.75 36.18
खेरागढ़ 21.86 22.41 31.97 30.06
खंदौली 33.70 38.09 40.45 32.19
पिनाहट 34.12 32.95 33.58 32.55
सैंया 38.18 38.50 41.23 39.11
शमसाबाद 43.26 43.01 46.78 45.32

आधे मकानों में ही कनेक्शन

शहर में 3.20 लाख से अधिक मकान हैं। इसमें जलकल विभाग के आंकड़ों के अनुसार इसमें 1.70 लाख कनेक्शन हैं। ऐसे में साफ है कि 1.50 लाख से अधिक मकानों में पानी के कनेक्शन नहीं है। ऐसे में इन भवनों ग्राउंड वाटर पानी का प्रमुख सोर्स है।

जिले में पानी की बर्बादी पर रोक लगनी चाहिए। इस बारे में लोगों को अवेयर होने की जरूरत है। घर से लेकर गांवों तक में लोग बड़ी मात्रा में ग्राउंड वॉटर की बर्बादी करते हैं। इसके चलते ही ये स्थिति बन रही है। ग्राउंड वॉटर रिचार्ज बढ़ाने की आवश्यकता है।
-नम्रता जैसवाल, असिस्टेंट जियोफिजिस्ट

Posted By: Inextlive