हॉस्पिटल में लोग अपने मरीज का उपचार कराने के लिए पहुंचते हैैं. लेकिन यहां पर आकर उन्हें मजदूरी करनी पड़े तो. ऐसा ही कुछ वाकया बुधवार को एसएन मेडिकल कॉलेज में हुआ. यहां मरीज को ग्लूकोज का कॉर्टन चढ़ाने के बदले तीमारदारों को दवाओं के कार्टन ढोने पर मजबूर किया गया. 65 वर्षीय तीमारदार महिला का आरोप है कि उसका बेटा यहां एडमिट है और लोगों के भी मरीज भर्ती हैं. स्टाफ तनख्वाह खुद लेता है और हमसे ड्रिप लगवाने के बदले कॉर्टन उठवा रहा है.


आगरा. हॉस्पिटल में लोग अपने मरीज का उपचार कराने के लिए पहुंचते हैैं। लेकिन यहां पर आकर उन्हें मजदूरी करनी पड़े तो। ऐसा ही कुछ वाकया बुधवार को एसएन मेडिकल कॉलेज में हुआ। यहां मरीज को ग्लूकोज का कॉर्टन चढ़ाने के बदले तीमारदारों को दवाओं के कार्टन ढोने पर मजबूर किया गया। 65 वर्षीय तीमारदार महिला का आरोप है कि उसका बेटा यहां एडमिट है और लोगों के भी मरीज भर्ती हैं। स्टाफ तनख्वाह खुद लेता है और हमसे ड्रिप लगवाने के बदले कॉर्टन उठवा रहा है।

महिला ने आरोप लगाया कि उसके पैर में हादसे के बाद रॉड डली हुई है और वो आंशिक दिव्यांग है। उससे हॉस्पिटल के स्टाफ ने इस हालत में नई सर्जरी बिल्डिंग की सातवीं मंजिल से सिर पर ग्लूकोज की बोतल के कॉर्टन रखकर ढोना पड़ा और मजदूरी कराई गई। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। प्रशांत गुप्ता ने बताया कि मामला संज्ञान में आने पर ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी से एक्सप्लेनेशन मांगा गया है। गुरुवार को कार्रवाई की जाएगी।

Posted By: Inextlive