इन हाउस फार्मेसी और कमीशनखोरी अनैतिक
आगरा(ब्यूरो) । आईएमए की ओर से जारी किए गए कोड ऑफ कंडक्ट के अनुसार रिपोर्ट में अत्यधिक विज्ञापन, इन हाउस फार्मेसी और कमीशन खोरी को अनैतिक कृत्य बताया गया है। यही नहीं, प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स के बीच नैतिकता को मेंटेन करने, अनैतिक कृत्यों की शिकायत करने और फिर उनके निवारण की दिशा में भी नियमावली दी गई है। इसके साथ ही कंसल्टेशन फीस व अन्य चार्जों को लेकर बोर्ड लगाने, मरीज को रेफर करने से लेकर लिंग परीक्षण जैसे कृत्य न करने जैसी बातें कही गई हैैं। वहीं कोड ऑफ कंडक्ट में मरीजों को जागरुक रहने और डॉक्टरों पर विश्वास करने की बात भी कही गई है।
इन्होंने जारी की रिपोर्ट
एथिकल कमेटी के चेयरमैन डॉ। वीके खंडेलवाल, सदस्य डॉ। मुनीश्वर गुप्ता और डॉ। संजय कुलश्रेष्ठ के साथ आईएमए आगरा के प्रेसिडेंट डॉ। ओपी यादव, सचिव डॉ। पंकज नगायच, कोषाध्यक्ष डॉ। अरुण जैन, डॉ। मुकेश गोयल, डॉ। दीपक अग्रवाल और डॉ। अरविंद यादव ने कोड ऑफ कंडक्ट की रिपोर्ट का विमोचन किया.
बनाई जाएगी अनुशासन समिति
आईएमए आगरा के सचिव डॉ। पंकज नगायच ने बताया कि शीघ्र ही कोड ऑफ कंडक्ट के अनुपालन के लिए 15 सदस्यीय अनुशासन समिति का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चिकित्सा व्यवस्था में नैतिकता के समावेश से कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट की आवश्यकता ही नहीं रह जाएगी।
आईएमए प्रेसिडेंट डॉ.ओपी यादव और डॉ। वीके खंडेलवाल ने बताया कि कोड ऑफ कंडक्ट की रिपोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर के कर्तव्य और दायित्व, मरीजों के प्रति डॉक्टर के कर्तव्य, एक डॉक्टर की दूसरे डॉक्टर के प्रति जिम्मेदारी, डॉक्टर और फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री के बीच नैतिकता पूर्ण आचरण, अस्पतालों और मरीजों के बीच नैतिक व्यवहार के अलावा डॉक्टरों और अस्पतालों के बीच नैतिक व्यवहार के लिए गाइडलाइंस दी गई हैं।
कोड ऑफ कंडक्ट में डॉक्टरों के लिए नियम
- कन्या भ्रूण को मारने के उद्देश्य से लिंग निर्धारण न किया जाए।
- इमरजेंसी के केस में मरीज को रेफर करने से पहले इलाज जरूर करना चाहिए। - फिजिशियन को मरीज की हालत के बारे में ना तो बढ़ा-चढ़ाकर और ना ही बहुत कम करके बताना चाहिए। -डॉक्टर्स को फार्मास्यूटिकल और हेल्प सेक्टर इंडस्ट्री से व्यवहार करते समय उपहार, नकदी या यात्रा सुविधाएं नहीं लेनी चाहिए।- अस्पतालों को टीपीए बिलिंग्स में पूर्ण पारदर्शिता बरतनी चाहिए।
- अस्पतालों में मरीजों को देखने आने वाले डॉक्टर या विजिटिंग कंसल्टेंट के मामले में भी पारदर्शिता बरतनी चाहिए।
- कॉरपोरेट हॉस्पिटल्स में काम करते समय डॉक्टर्स को अपने वर्क शेड्यूल और पारिश्रमिक के संबंध में एक एमओयू साइन करना चाहिए। पब्लिक के लिए जारी एडवायजरी
- मरीज के तीमारदार इलाज के दौरान मरीज के पास ही रहें, जिससे कि ट्रीटमेंट और बिल संबंधी मामलों में वह अपडेट रहे।
- डॉक्टर पर विश्वास करें, इंटरनेट ज्ञान का हवाला न दें।
-तीमारदारों की संख्या वार्ड में और अस्पताल परिसर में सीमित रखें।
- इलाज की गारंटी न मांगे
- हर दवाई का बिल जरूर लें। केमिस्ट से सब्सीट्यूट या अन्य ब्रांड की दवाई न लें।
मरीजों और डॉक्टरों के बीच विश्वास बना रहे। इसलिए यह कोड ऑफ कंडक्ट जारी किया गया है। इससे मरीज और डॉक्टरों के बीच विश्वास बढ़ेगा.
- डॉ। ओपी यादव, प्रेसिडेंट, आईएमए
- डॉ। पंकज नगायच, सचिव, आईएमए