अगर अनवांटेड बेबी को नहीं पाल सकते हो फेंके नहीं यह करें ...
आगरा(ब्यूरो)। इसमें कोई भी अपने बच्चे को छोड़कर जा सकता है। कोई भी बच्चे को छोडऩे वाले को टोकेगा भी नहीं। आश्रय पालना स्थल के संस्थापक संचालक योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि उनकी संस्था 18 साल से काम कर रही है। उन्होंने इस योजना के लिए सरकार से आग्रह किया था। उन्होंने बताया कि अब सरकार ने इस योजना को मंजूरी दे दी है। इसी के तहत एसएन में पालना लगाया जाएगा। जो कोई भी अनचाहे नवजात को यहां पर लगे पालने में छोड़कर जाएगा, उसके दो मिनट बाद ही एक बेल बजेगी और अंदर से कर्मचारी निकलकर बच्चे को अपने साथ ले जाएगा। अगर नवजात की स्थिति ज्यादा गंभीर है तो उसे तत्काल इलाज प्रदान किया जाएगा। जिससे कि वह अपने जीवन को जीने के लिए सक्षम हो सके।
आगरा सहित सात स्थानों पर होगा शुरू
देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि अनचाहे नवजात शिशु विशेष रूप से बेटियां जिन्हें जन्म लेते ही डस्टबिन, कटीली झाडिय़ों, नदी, तालाब, कुएं में फेंक दिया जाता है, जहां वह भयानक मौत को प्राप्त होते हैं या उन्हें बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन या अन्य असुरक्षित स्थानों पर छोड़ दिया जाता है जहां से उनका गलत हाथों में जाने का डर रहता है। आगे चलकर यह बच्चे भिक्षावृत्ति, वेश्यावृत्ति या अन्य अनैतिक कार्यों में धकेल दिए जाते हैं और वह मासूम मौत से भी भयावह जीवन व्यतीत करने को मजबूर हो जाते हैं। इन मासूम नवजात बच्चों के जीवन की रक्षा के लिए यूपी के सात मेडिकल कॉलेज लखनऊ, गोरखपुर, प्रयागराज, आगरा, मेरठ, झांसी, और कानपुर में आश्रय पालना स्थल बनाया जाएगा।
आश्रय पालना स्थल हाईटेक मोशन सेंसर से युक्त होंगे ताकि पालना स्थल में शिशु को छोडऩे के दो मिनट बाद चिकित्सालय के स्वागत कक्ष में अपने आप घंटी बजेगी। इस दो मिनट के समय में छोडऩे वाला व्यक्ति आसानी से सुरक्षित रूप से वहां से जा सकेगा और इससे उसकी पहचान भी गोपनीय बनी रहेगी। जो भी व्यक्ति आश्रय पालना स्थल के पालना में नवजात शिशु का सुरक्षित छोड़ता है। उसकी पहचान पूर्ण रूप से गुप्त रखी जाएगी। ना ही उसे रोका जाएगा, ना ही टोका जाएगा, ना ही कुछ पूछा जाएगा, ना ही उन्हें पकड़ा जाएगा, ना ही उसके विरुद्ध पुलिस में कोई एफआईआर दर्ज की जाएगी।
मासूम का किया जाएगा लालन-पालन
इस योजना के तहत बच्चे को पालने में छोडऩे के बाद उसका डॉक्टर द्वारा जांच की जाएगी। बच्चे की व्यक्तिगत देखभाल जैसे उसको दूध पिलाना, साफ सफाई करना, स्वच्छ कपड़े पहनाना आदि की जाएगी। शिशु के स्वस्थ होने पर उसे तत्काल नजदीकी राजकीय मान्यता प्राप्त शिशु गृह में भेज दिया जाएगा। जिला बाल कल्याण समिति द्वारा शिशु को आवश्यकतानुसार दत्तक ग्रहण हेतु विधिक रुप से स्वतंत्र घोषित किया जाएगा। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण द्वारा शिशु के दत्तक ग्रहण की कार्यवाही की जाएगी।
आश्रय पालना स्थल का उद्घाटन 22 अप्रैल को कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य द्वारा किया जाएगा। आश्रय पालना स्थल से लाभ
1. समस्त अनचाहे नवजात शिशु को जीने का अधिकार प्राप्त हो सकेगा।
2. इच्छुक दंपति इन मासूम को विधि अनुरूप गोद ले कर अपना परिवार पूरा कर सकेंगे।
3. हर मासूम को स्वस्थ, सुरक्षित एवं खुशनुमा माहौल में स्नेह व सम्मान के साथ विकसित होने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।
4. अच्छी परवरिश से आने वाले कल यह मासूम समाज एवं राष्ट्र के लिए अमूल्य संपत्ति बन सकेंगे।
मेडिकल कॉलेज में पालना स्थापित किया जाएगा। इसके बाद डॉक्टर और स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाएगी।
- डॉ। प्रशांत गुप्ता, प्रिंसिपल, एसएनएमसी
इस योजना से अनचाहे शिशुओं को नया जीवनदान मिलेगा। अब तक बच्चों को झाडिय़ों में, डस्टबिन इत्यादि में फेंक दिया जाता था।
- देवेंद्र अग्रवाल, संस्थापक, आश्रय पालना स्थल