बच्चे पैरेंट्स की जान होते हैैं. यदि उन्हें कुछ हो जाए तो वह दुनिया-जहान एक कर देते हैैं. लेकिन जब कोई गंभीर समस्या बच्चों को हो जाए तो पैरेंट्स को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वह बच्चे को लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ते हैैं. आर्थिक समस्या की किल्लत भी हो जाती है. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य किशोर कार्यक्रम आरबीएसके के तहत आपके जीरो से 19 साल तक के बच्चों की सेहत का ध्यान सरकार रखती है. इसके तहत जन्मजात रोग हों या कोई और रोग बच्चे का 44 तरह की बीमारियों के मुफ्त उपचार की व्यवस्था है.


आगरा (ब्यूरो)। चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ। अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि आरबीएसके के तहत शून्य से 19 साल तक के बच्चों में चार प्रकार की विसंगतियों की जांचकर उपचार किया जाता है। इनको फोर डी भी कहते हैं। डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी, डिजीज, डेवलपमेंट डिलेज इंक्लुडिंग डिसेबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता। आरबीएसके के तहत इन कमियों से प्रभवित बच्चों की नि:शुल्क सर्जरी सहित प्रभावी उपचार प्रदान कराया जाता है।

44 प्रकार के रोगों का इलाज
आरबीएसके के नोडल अधिकारी डॉ। यूबी सिंह ने बताया कि आरबीएसके के तहत दिल में छेद, पीठ पर फोड़ा, कटे हुए होठ, टेढ़े-मेढ़े पैर, जन्मजात मोतियाबिंद या फिर जन्म से सुनने या बोलने की शक्ति, टीबी, विटामिन बी कॉम्पलेक्स डिफिशिएंसी, माइक्रोसिफेली, मैक्रोसिफेली, लैप्रोसी जैसे 44 प्रकार के रोगों का उपचार किया जाता है।

आशा या स्वास्थ्य केंद्र पर दें जानकारी

डीईआईसी मैनेजर रमाकांत शर्मा ने बताया कि यदि किसी बच्चे को कोई जन्मजात विकृति या अन्य बीमारी है तो अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता को जानकारी दें या फिर अपने नजदीकी सीएचसी व पीएचसी पर जाकर आरबीएसके की टीम से संपर्क कर सकते हैैं। यहां पर बच्चे की जांच की जाएगी, और उचित उपचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आरबीएसके की टीम भी स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और अन्य स्थानों पर सर्वे करके ऐसे बच्चों का डाटा जुटाती हैं, जिन्हें उपचार की आवश्यकता है। उनकी जांच कराकर ऐसे बच्चों का उपचार किया जाता है। उन्होंने बताया कि आरबीएसके योजना के तहत अप्रैल 2022 से अब तक कुल 1600 बच्चों का उपचार किया जा चुका है। इनमें चार लोगों के दिल का ऑपरेशन हुआ है, अन्य बच्चों के अन्य प्रकार के उपचार किए गए हैं।

मजदूर की बेटी का हुआ दिल का ऑपरेशन
खंदौली ब्लॉक के उजरई गाँव के निवासी कुलदीप की आठ साल की बेटी के दिल का वाल्व खराब हो गया था। प्राइवेट अस्पतालों में आठ लाख रूपये का खर्च बताया गया। जूते की फैक्ट्री में दिहाड़ी पर काम करने वाले कुलदीप के लिए इतने पैसे खर्च करना संभव नहीं था। तभी उन्हें आरबीएसके की जानकारी मिली और उनकी बेटी अवनी का 31 अक्टूबर 2022 को अलीगढ़ के डीईआईसी सेंटर में नि:शुल्क ऑपरेशन हो गया। अब अवनी स्वस्थ हैं।

एक साल पहले हुआ था पेटदर्द
कुलदीप ने बताया कि एक साल पहले उनकी बेटी के पेट में दर्द हुआ था। डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने बताया कि दिल में परेशानी है। इसके बाद हम उसे जयपुर उपचार के लिए ले गए। वहां भी काफी खर्च था। कुलदीप ने बताया कि वह खुश हैं कि इस आरबीएसके के तहत उनकी बेटी का नि:शुल्क ऑपरेशन हो गया। उन्होंने बताया कि अब वह सभी जगह पर इस योजना की जानकारी दे रहे हैं। जिससे कि अन्य लोगों को भी इसका लाभ मिल सके।


राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य किशोर कार्यक्रम के तहत 0-19 साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है। इसके लिए आशा के माध्यम से भी सर्वे कराकर बच्चों की पहचान की जाती है। उपचार नि:शुल्क किया जाता है।
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ
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चार कैटेगरी में होता है उपचार
-डिफेक्ट एट बर्थ
-डिफिशिएंसी
-डिजीज
-डेवलपमेंट डिलेज इंक्लुडिंग डिसेबिलिटी
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44 तरह की बीमारियों का होता है उपचार
1600 बच्चों का 2022 में हो चुका है योजना के तहत उपचार
04 बच्चों के दिल का हो चुका है ऑपरेशन

Posted By: Inextlive