एस्ट्रोटर्फ है लेकिन मेंटिनेंस नहीं. हाथों में हॉकी स्टिक है लेकिन फ्लड लाइट नहीं. जहां हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर प्रतिष्ठित टूर्नामेंट होता हो. इसमें शिरकत करने खुद मेजर ध्यानचंद आते हों वहां मौजूदा समय में खिलाड़ी कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहे हैं. इसमें हॉकी के फुल साइज ग्राउंड से लेकर एस्ट्रोटर्फ के मेंटिनेंस की कमी से ये खेल जूझ रहा है.


आगरा(ब्यूरो)। हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी व पूर्व ओलंपियन जगबीर सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है कि शहर में खेलों में टैलेंट की कमी हो, जरूरत है तो उन्हें सही ट्रेनिंग और इक्विपमेंट अवेलेबल कराने की। शहर में हॉकी के लिए सुविधाएं हैं। स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ है लेकिन ये छोटा है। इससे अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच आगरा में नहीं कराए जा सकते हैं। इसलिए ताजनगरी में एक फुल साइज अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला हॉकी स्टेडियम होना चाहिए। इसके लिए अधिक जगह की भी जरूरत नहीं है। अगर फुल साइज दो एस्ट्रोटर्फ वाला ग्राउंड और चार से पांच हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था हो तो शहर में नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट कराए जा सकते हैं।

स्टेडियम में नहीं है फ्लडलाइट
शहर का एकमात्र हॉकी एस्ट्रोटर्फ एकलव्य स्पोट्र्स स्टेडियम में ही है। लेकिन यहां रात में खेल होने की कोई व्यवस्था नहीं है। अब तक एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड पर फ्लड लाइट नहीं लग सकी हैं। इसके चलते खिलाड़ी फ्लड लाइट में खेलने को लेकर ट्रेंड नहीं हो पाते।

मेंटिनेंस की कमी से जूझ रहे
वर्ष 2018 में एकलव्य स्पोट्र्स स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ का शुभारंभ हुआ। करीब 6.5 करोड़ रुपए की लागत से इसका निर्माण कराया गया। हॉकी कोच अमिताभ गौतम ने बताया कि मौजूदा समय में ये एस्ट्रोटर्फ मेंटिनेंस की कमी से जूझ रही है। आसपास लगे पेड़-पौधों के पत्ते एस्ट्रोटर्फ को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पानी की छिड़काव करने वाले स्प्रिंकलर भी प्रॉपर कार्य नहीं कर रहे हैं। इसलिए बेहतरीन एस्ट्रोटर्फ को नुकसान पहुंच रहा है।


भारत सरकार खेलों के उत्थान के लिए काफी प्रयास कर रही है। खेलो इंडिया के तहत टैलेंटेड खिलाडिय़ों को मंच भी मिला है। इसके साथ ही आगरा में भी इंटरनेशनल फैसिलिटी वाला स्टेडियम बनना चाहिए। यहां खिलाडिय़ों को बेहतरीन इक्विपमेंट के साथ, अच्छे कोच और ट्रेनिंग स्टाफ मिलना चाहिए।
जगबीर सिंह, पूर्व ओलंपियन

एस्ट्रोटर्फ का मेंटिनेेंस प्रॉपर मेंटिनेंस नहीं हैं। स्प्रिंकलर भी सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। आसपास लगे पेड़-पौधों की पत्तियां एस्ट्रोटर्फ को नुकसान पहुंचा रही हैं। फुल साइज ग्राउंड होना चाहिए। इसके साथ ही प्रतियोगताएं भी होनी चाहिए।
राजीव सोई, प्रेसिडेंट, मास्क हॉकी

आगरा से कई अच्छे हॉकी खिलाड़ी निकले हैं। शहर में खेलों को लेकर टैलेंट की कमी नहीं है। यहां के खिलाडिय़ों को अच्छा मंच मिल सके इसके लिए अच्छे स्टेडियम बनाए जाएं। इसके लिए मजबूत इच्छा शक्ति की जरूरत है।
अमिताभ गौतम, सीनियर हॉकी कोच

Posted By: Inextlive