आगरा. 57 सेकेंड की देरी ने शहर के एक फेमस डॉक्टर से जिंदगी छीन ली. डॉ. लाखन सिंह गालव जब ट्रेन से उतरे तो वह स्पीड में थी. उन्होंने ट्रेन के गेट से प्लेटफॉर्म की ओर जंप लगाई. वह प्लेटफॉर्म पर भी आ गए. लेकिन कोच के हैंडल पर लगा गेट उनके हाथ से नहीं छूटा. स्पीड पकड़ती ट्रेन के साथ उन्होंने दौडऩे की कोशिश की लेकिन कदम लड़खड़ा गए. वह ट्रेन की चपेट में आ गए.--------

स्पीड में थी ट्रेन
आरबीएस कॉलेज के सामने रहने वाले डॉक्टर लाखन ङ्क्षसह गालव शहर के जाने-माने लैप्रोस्कोपिक सर्जन थे। रविवार सुबह दिल्ली जा रही बेटी डॉ। अमिता को राजामंडी रेलवे स्टेशन पर छोडऩे गए थे। महाकौशल एक्सप्रेस के एसी कोच में उनका रिजर्वेशन था। बेटी को कोच में बिठाने के लिए डॉ। गालव ट्रेन में चढ़े। इसी बीच ट्रेन चलने लगी। घटना के सामने आए वीडियो में ट्रेन के चलने के 56वें सेकेंड में डॉ। त्यागी एसी कोच के गेट पर आते हैं। 57वें सेकेंड में जंप करते हैं। 58वें सेकेंड में उनके कदम प्लेटफॉर्म पर दिखते हैं। ट्रेन स्पीड में थी, वह भी दौड़ते हैं। लेकिन कदम लड़खड़ा जाते हैं। पर उनके हाथ से ट्रेन के कोच के बाहर लगा हैंडल नहीं छूटता। वह प्लेटफॉर्म पर गिर जाते हैं। हैंडल को ही पकड़े रखकर खुद को संभालने की कोशिश करते हैं। लेकिन वह घिसटते जाते हैं। 61वें सेकेंड में उनके हाथ से हैंडल छूटता है, लेकिन तब तक वह ट्रेन के काफी करीब आ चुके थे। वह ट्रेन के नीचे चले जाते हैं। 64वें सेकेंड तक वह वीडियो में दिखना बंद हो गए। ट्रेन उनके ऊपर से गुजर गई। अगर ट्रेन से जंप लेने के दौरान ही उनके हाथ से हैंडल छूट जाता तो वह ट्रेन की चपेट में नहीं आते। वह प्लेटफॉर्म की ओर गिरते।
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पैतृक गांव में अंतिम संस्कार
ट्रेन की चपेट में आने से शरीर के दो टुकड़े हो गए। ट्रेन से किसी यात्री की गिरने की खबर लगने पर जीआरपी थाने से पुलिस पहुंची। जेब में मिले दस्तावेजों से डॉ। गालव की पहचान हुई। इसके बाद परिजन को सूचना दी गई। पिता के साथ हादसे की सूचना पर बेटी डॉ। अमिता अगले स्टेशन पर ट्रेन से उतरकर वापस आ गईं। शाम को पोस्टमार्टम के बाद उनका शव पैतृक गांव अजीतपुरा इरादतनगर ले जाया गया। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में डॉक्टर्स व अन्य गणमान्य शामिल हुए।
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57 सेकेंड पड़ी भारी
जबलपुर से चलकर हजरत निजामुद्दीन की ओर जाने वाली महाकौशल एक्सप्रेस रविवार को 29 मिनट की देरी से सुबह 7.49 बजे राजा की मंडी रेलवे स्टेशन पहुंची। यहां ट्रेन का दो मिनट का स्टॉपेज है। 7.51 बजे हजरत निजामुद्दीन की ओर चल दी। ट्रेन चलने के 57वें सेकेंड पर डॉ। लाखन सिंह गालव उतरते हैं। उन्होंने ट्रेन से उतरने में 57 सेकेंड की देरी कर दी। एक मिनट से भी कम समय में ट्रेन स्पीड पकड़ चुकी थी।
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क्या पता नहीं लगा ट्रेन के चलने का!
डॉ। लाखन सिंह गालव की बेटी डॉ। अमिता का रिजर्वेशन एसी कोच में था। वह बेटी को बैठाने के लिए एसी कोच में गए थे। एसी कोच में पर्दे लगे होते हैं। हर ओर से बंद एसी कोच में बाहरी नॉइज ट्रेन के चलने का भी आसानी से पता नहीं लगता। ट्रेन के चलने के करीब एक मिनट (57 सेकेंड) बाद उतरे। ऐसे में इसकी आशंका है कि उन्हें ट्रेन के चलने का समय से पता नहीं लग सका। जब उन्हें पता लगा कि ट्रेन चल दी है तो देर हो चुकी थी। आननफानन में उन्होंने जंप लगाई।
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हर महीने 3 से 4 गंवा रहे जान
स्टेशन पर तैनात एक रेलवे स्टाफ ने बताया कि हर महीने 3 से 4 डेथ ट्रेन की चपेट में आकर होती हैं। इसके पीछे एक प्रमुख कारण रेलवे ट्रैक का कर्व होना है। इसके चलते ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच में काफी गैप रह जाता है। ट्रेन से उतरने के दौरान पैसेंजर कई बार इस गैप में गिरकर सीधे ट्रेन की चपेट में आ जाते हैं।
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सोशल मीडिया
लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ। गालव के महाकौशल एक्सप्रेस से गिरने की घटना स्टेशन के सीसीटीवी में रिकॉर्ड हुई है। ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। घटना की जानकारी जैसे ही शहर के लोगों को हुई उन्होंने डॉ। गालव को श्रंद्धाजलि देने के साथ घटना पर शोक जताया।
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- 7.49 बजे राजा की मंडी स्टेशन पर पहुंची ट्रेन
- 7.51 बजे ट्रेन ने किया डिपार्चर
- 8.25 बजे परिजन व अन्य परिचित पहुंचे
- 8.45 बजे पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया शव

आगरा। ट्रेन हादसे में साथी सर्जन की मौत से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आईएमए आगरा के सदस्य डॉक्टर हतप्रभ हैं। डॉ। लाखन ङ्क्षसह गालव अच्छे जनरल, लेप्रोस्कोपिक सर्जन के साथ ही अच्छे इंसान भी थे। आठ नवंबर को प्रस्तावित आईएमए, आगरा के दीपावली महोत्सव को स्थगित कर दिया है।

1984 में किया एमबीबीएस
इरादत नगर के अजीतपुरा के मूल रूप से रहने वाले डॉ। लाखन ङ्क्षसह गालव की क्लीनिक उनके आवास आरबीएस कॉलेज के सामने थी। डॉ। गालव ने रङ्क्षवद्र नाथ मेडिकल कॉलेज उदयपुर से 1984 में एमबीबीएस की, इसके बाद वहीं से एमएस की। असोपा हॉस्पिटल में वरिष्ठ सर्जन रहे। वर्तमान में वे कई हास्पिटल में सेवाएं दे रहे थे। आगरा सर्जन एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ। सुनील शर्मा ने बताया कि वे जनरल सर्जरी के साथ लेप्रोस्कोपिक सर्जरी बहुत अच्छी करते थे। आसपास के जिलों से भी मरीज उनके सर्जरी कराने आते थे। मृदुभाषी होने के साथ ही मरीज को इलाज के संबंध में पूरी तरह से संतुष्ट करते थे। ये देश भर के सर्जन के लिए बड़ी क्षति है। आईएमए, आगरा के सचिव डॉ। पंकज नगाइच ने बताया कि अंतिम संस्कार में आईएमए के सदस्य चिकित्सक शामिल हुए। हादसे के वीडियो ने विचलित कर दिया है। आठ नवंबर को खेलगांव में दीपावली महोत्सव होना था इसे स्थगित कर दिया है।

-दो बेटियां हैं डाक्टर, बेटा एमबीबीएस छात्र
डॉ.लाखन ङ्क्षसह के परिवार में उनकी पत्नी सरोज ङ्क्षसह के अलावा तीन बच्चे हैं। बड़ी बेटी नमिता एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर में रेडियोलाजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। बेटी अमिता ङ्क्षकग जॉर्ज मेडिकल कालेज लखनऊ में एनेस्थीसिया से एमडी कर रही हैं। वहीं बेटा अंकुर रामा मेडिकल कॉलेज हापुड़ से एमबीबीएस कर रहे हैं।


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शहर के लिए बहुत बड़ी क्षति है। चिकित्सा जगत में शोक की लहर है। आईएमए की ओर से आयोजित किए जाने वाला दीवाली महोत्सव कैंसिल कर दिया गया है।
डॉ। पंकज नगाइच, सेक्रेटरी, आईएमए

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इस दुखद घटना से चिकित्सा जगत में शोक की लहर है। डॉ। लाखन सिंह गालव प्रसिद्ध लैप्रोस्कोपिक सर्जन थे। ये अपूर्णीय क्षति है।
संजय चतुर्वेदी, पूर्व सेक्रेटरी, आईएमए

Posted By: Inextlive