आगरा. ब्यूरो ताजमहल को देखने के लिए इन दिनों कुछ अलग ही प्रकार के ताज के फैन देखने के लिए आ रहे हैैं. यमुना लबालब है. ताजमहल को छूकर बह रही है. टूरिस्ट्स इसे ही देखने आ रहे हैैं. वह इसे देखकर ताजमहल पर आ रहे टूरिस्ट्स खुश हो रहे हैैं. वह कह रहे हैं कि काश यमुना ऐसे ही लबालब बहती रहे और ताजमहल शान से सालों साल खड़ा रहे.

रविवार को दिल्ली से ताजमहल देखने आईं टूरिस्ट मेघना गुप्ता ने बताया कि मैैं ताजमहल को भरी हुई यमुना के साथ देखने के लिए आई थी। इसे देखकर मुझे काफी अच्छा लगा। टूरिस्ट गुंजन ने बताया कि वह पहले भी ताजमहल देखने के लिए आ चुके हैैं। लेकिन जब सुना कि ताजमहल को छूकर यमुना बह रही है तो मैैं उसे देखने के लिए चला आया। ताज के पीछे भरपूर मात्रा में पानी देखकर मन आनंदित हो गया। अन्य टूरिस्ट अंबरीश ने बताया कि मैंने सुना है कि ताजमहल की नींव में लकड़ी लगी हुई है। यमुना के पानी से उसे नमी मिलती है। यदि वह सूख जाएगी तो ताज की नींव पर असर पड़ेगा.यमुना में पानी का बढऩा ताज के लिए अच्छा है।

मिल रही संजीवनी
एक्सपट्र्स का मानना है कि ताजमहल की दीवार को छूकर कलकल कर रही कालिंदी से ताजमहल की नींव को संजीवनी मिली है। क्योंकि, ताज की बुनियाद दर्जनों कुओं पर टिकी है। इन कुओं में साल, महोगिनी, आबूनस की लकडिय़ां लगी हैं, जिन्हें नमी की जरूरत रहती है। नमी से साल, आबनूस, महोगनी की लकड़ी को मजबूती मिलती है। इससे न तो ये लकडिय़ां सिकुड़ती हैं और न ही फूलती हैं। आगरा में यमुना का जलस्तर जितना बढ़ रहा है। उससे ताजमहल की नींव के कुओं की लकड़ी को उतनी ज्यादा नमी मिल रही है। इस नींव के मजबूत होने से ताजमहल की उम्र बढ़ रही है।

100 मीटर तक दूर चला जाता है पानी
मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में ताजमहल बनवाया था। यह साल 1632 से बनना शुरू हुआ था और 1653 में बनकर तैयार हुआ था। यमुना किनारे ताजमहल बनाने की खास वजह वास्तुकला थी। क्योंकि, ताजमहल की नींव में कुएं हैं। इन पर इस पूरी इमारत का वजन टिका है। इन कुओं में साल, आबनूस जैसी लकडिय़ों के ल_े डाले गए थे। इसी से इसकी नींव डालकर कुएं बनाए गए हैं, जिससे उनमें यमुना के पानी की नमी पहुंच सके। वहीं बीते कुछ समय से गर्मी के मौसम में यमुना का पानी ताजमहल से 100 मीटर दूर चला जाता है। इससे ताज की बुनियाद को नमी कम मिलती है।

हो चुकी है लकड़ी की जांच
लंबे समय तक ताज पर तैनात रहे आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के पूर्व वरिष्ठ संरक्षण सहायक डॉ। आरके दीक्षित ने बताया कि ताजमहल की बुनियाद में कुएं हैं। इनमें साल, महोगिनी और आबूनस की लकडिय़ां हैं। जिन्हें नमी की जरूरत रहती है। जब ताजमहल को बनाया जा रहा था, तब उसकी उम्र 450 साल आंकी गई थी। इसके बाद से ताजमहल अब भी उसी तरह खड़ा है। क्योंकि, नींव की लकडिय़ों को नमी मिल रही है। उन्होंने बताया कि सिकंदरा स्मारक में बने एक कुंआ में मिली लकड़ी की जांच कराने पर वो साल की निकली थी। इससे ताजमहल की नींव 900 साल तक सुरक्षित रहेगी।

ताज के पीछे बने गार्डन में लगाया जाता है पानी
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ। राजकुमार पटेल ने बताया कि, ताजमहल की नींव में लगी साल की लकड़ी को नमी यमुना के बढ़े जलस्तर से मिल जाती है। इसके बाढ़ आने की जरुरत नहीं है। इसके साथ ही ताजमहल के गार्डन में पानी का इस्तेमाल किया जाता है। वो भी लकडिय़ों की नींव को नमी देता है। ताजमहल परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से बारिश का पानी संचित किया जाता है। वो भी खूब लकडिय़ों तक नमी पहुंचाने का काम करता है।

किताबों में भी कुंओं का जिक्र
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि यमुना का बढ़ा जलस्तर या बाढ़ भले ही जनजीवन के लिए आफत है। मगर, ताजमहल के लिए बहुत मुफीद है। इसकी वजह यह है कि ताजमहल की नींव कुंओं पर आधारित हैं। इन कुओं में लकड़ी है। यमुना जलस्तर बढऩे से नींव की लकड़ी और मजबूत होंगी। उन्होंने बताया कि आगरा के मशहूर इतिहासकार केके पांडेय ने भी अपनी पुस्तक में ताजमहल की नींव में 42 कुएं होने का जिक्र किया है। अन्य इतिहासकार की पुस्तकों में भी ताजमहल की नींव कुओं पर आधारित होना की बात लिखी गई है।


मैैं ताजमहल को भरी हुई यमुना के साथ देखने के लिए आई थी। इसे देखकर मुझे काफी अच्छा लगा।

- मेघना गुप्ता, टूरिस्ट
मैैं पहले भी ताजमहल देखने के लिए आ चुका हूं। लेकिन जब सुना कि ताजमहल को छूकर यमुना बह रही है तो मैैं उसे देखने के लिए चला आया।
- गुंजन गोस्वामी, टूरिस्ट

ताज के पीछे भरपूर मात्रा में पानी देखकर मन आनंदित हो गया। मैंने सुना है कि ताजमहल की नींव में लकड़ी लगी हुई है। यमुना के पानी से उसे नमी मिलती है।
- अंबरीश, टूरिस्ट

ताजमहल के पीछे बने गार्डन में पानी लगाया जाता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से भी ताज नींव में लगी लकडिय़ों को नमी मिलती है।
- डॉ। राजकुमार पटेल, अधीक्षण पुरातत्वविद, एएसआई आगरा सर्किल

Posted By: Inextlive