शहर में बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स स्कूली बसों में सफर करते हैं लेकिन जिन बसों को पेरेंट्स सेफ स्कूल व्हीकल समझते है वह अनफिट हैं. ऐसी ही बस मालिकों को आरटीओ ने नोटिस भेजा है. अगर बस मालिक तय मानकों को पूरा नहीं कराते हैं तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. क्योंकि ये बसें अक्सर दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं. तब जाकर जिम्मेदार कुछ समय के लिए जागते हैं.


आगरा(ब्यूरो)। स्कूल बस बच्चों के लिए सबसे सेफ साधन मानी जाती है। जनपद में करीब ढाई हजार से अधिक स्कूल बसें हैं। आरटीओ में केवल बस और वैन ही स्कूली वाहनों के तौर पर रजिस्टर हैं। वहीं, स्कूली बसों की 26 मानकों पर सघन जांच की जाती है। इसमें कई बार बसों में सभी मानक पूरे नहीं मिलते हैं।

बच्चों के लिए बसें भी नहीं सेफ

इसके बाद इन बसों का चालान काट कर अधिकारी खानापूर्ति कर लेते हैं। अक्सर चालक द्वारा ओवर स्पीडिंग या फिर गलत तरीके से बसें दौड़ाने से हादसे भी होते हैं, इसके चलते पूर्व में कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। दुर्घटना में स्टूडेंट्स की मौत भी हो चुकी है।

ये रूल्स को नहीं करते फॉलो
शहर में पहले में हुए कई बस हादसों के बाद प्रशासन की ओर से रजिस्ट्रेशन से पहले बसों के लिए 12 कड़े रूल्स तैयार किए गए हैं। इसके बाद ही रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। इसमें स्कूली बस में चालक ड्रेस में होने के अलावा स्कूल की टीचर, अगर गल्र्स सफर कर रही हैं तो खासतौर पर फीमेल टीचर का मौजूद होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, चालक द्वारा बच्चों को सेफ्टी के साथ बस से उतारने से लेकर सड़क तक पार कराकर सुरक्षित घर तक पहुंचाना शामिल होता है। लेकिन इसके बाद भी कई स्कूल बस चालक इन रूल्स को नहीं मानते। बस में कभी टीचर होता है तो कभी नहीं। वहीं, चालक भी बच्चे को बस से उतार कर छोड़ देता है। इसके अलावा कई बार बस ड्राइवर खतरनाक तरीके से बस चलाते हुए नजर आते हैं। बसों में सीसीटीवी तक नहीं लगे हैं।

इस ओर पेरेंट्स भी नहीं देते ध्यान
बसों में किसी प्रकार की छेड़छाड़ या अन्य घटना न हो, इसके लिए बसों में सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस सिस्टम लगाने का भी नियम है लेकिन अधिकतर बसों में यह सिस्टम लगा ही नहीं है। स्कूल प्रबंधक भी इसे लगाने में कोई रुचि नहीं ले रहे। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा के साथ खेला जा रहा है। वहीं, पेरेंट्स भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। इन कमियों को लेकर पेरेंट्स भी स्कूल प्रबंधक से कोई शिकायत नहीं करते हैं, इसकी वजह से बिना जरूरी सिस्टम के बसें फर्राटा भर रही हैं। ऐसे में नियमों की अनदेखी से बच्चों की जिंदगी भी खतरे में पड़़ रही है।


ये हैं बसों के लिए रूल्स
-वाहन रजिस्ट्रेशन
-प्रदूषण और इंश्योरेंस सर्टिफिकेट
-जीपीएस एवं स्पीड गवर्नर
-फिटनेस सर्टिफिकेट
-गाड़ी में अग्निशमन यंत्र
-सीसीटीवी कैमरा
-ड्राइवर लाइसेंस
-पुलिस वैरीफिकेशन
-वाहन पर स्कूल का मोबाइल नंबर


अधिकारियों को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिना मानकों के स्कूली बसों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगे। इससे बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती है।
निषि मित्तल, पेरेंट्स


विभाग कुछ समय अभियान चलाकर और चालान काटकर अपना काम पूरा कर लेता है, जबकि यह अभियान लगातार चलता रहना चाहिए, ताकि बच्चों का सफर बसों में सुरक्षित हो सके।
पल्लवी महाजन, पेरेंट्स


बसें बच्चों के लिए सबसे सेफ साधन मानी जाती हैं। पेरेंट्स को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा जिस बस में जा रहा है, उसमें सभी मानकों का पालन हो रहा है कि नहीं।
सुनीता रानी, पेरेंट्स


स्कूली बसों में सीसीटीवी लगे हों और चालू अवस्था में भी हों, इस पर भी ध्यान देना चाहिए। साथ ही ड्राइवर और कंडक्टर को समय-समय पर नियमों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
प्रियंका गौतम, टीचर


समय-समय पर स्कूली वाहन के विरुद्ध अभियान चलाया जाता है, जिसमें मानक विरुद्ध मिलने पर कार्रवाई की जाती है। अभी सभी बसों में सीसीटीवी नहीं लग पाया है। इसके लिए स्कूल बस चालकों को लिखा गया है
उमेश कटियार, आरआई


एक नजर.
-जिले में स्कूल बसों की संख्या
2500 से अधिक
-आरटीओ ने अनफिट बसों को भेजे नोटिस
1200

-बस रजिस्ट्रेशन के लिए रूल्स
12

-बसों के लिए बनाए गए कड़े रूल्स
26

Posted By: Inextlive