हिंदी बन रही अब रोजगार कर भाषा: कुलपति
आगरा (ब्यूरो)। यह संस्थान वास्तव में एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत होता जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा, कि हिंदी, लेखन के द्वारा छात्रों को मानसिक अवसाद से बाहर लाने में सक्षम है। अनुवादक के क्षेत्र में भी छात्र अपना उज्ज्वल कैरियर बना सकते हैं।
हिंदी की दिशा और दशा पर प्रकाशहिंदी का तकनीकी ज्ञान छात्रों को देने की भी आज के समय में आवश्यकता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नार्वे के ओस्लो शहर से पधारे प्रख्यात साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ। सुरेश चंद्र शुक्ल ने नॉर्वे में हिंदी की दशा और दिशा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि दुनिया में हिंदी का प्रचार प्रसार बढ़ रहा है, यह रोजगार की भाषा बन रही है।
पद्मश्री प्रो। उषा यादव का किया सम्मान
इस अवसर पर हिंदी साहित्य का सृजन करने एवं दीर्घ अध्यापन अनुभव के साथ हिंदी का प्रचार प्रसार करने के लिए पद्मश्री प्रो। उषा यादव, डॉ। नीलम भटनागर, डॉ। सुषमा सिंह और डॉ। रेखा पतसरिया को कुलपति द्वारा शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया.। डॉ। उषा यादव ने कहा कि हमारी हिंदी, हमारी गंगा भी है और हमारी अम्मा भी है। डॉ.नीलम भटनागर, संस्थान के निदेशक प्रो। प्रदीप श्रीधर ने अतिथियों का स्वागत किया।
येे रहे मौके पर मौजूद
इस अवसर पर संस्थान के सभी शिक्षक डॉ। नीलम यादव, डॉ। रणजीत भारती, डॉ .राजेंद्र दवे, डॉ। प्रदीप वर्मा, डॉ। अमित कुमार सिंह, डॉ। आदित्य, डॉ। रमा, डॉ .विशाल शर्मा, डॉ.वर्षा रानी, मोहिनी दयाल, संदीप शर्मा,अनुज गर्ग,कंचन आदि उपस्थित रहेॅ, कार्यक्रम का संचालन डॉ। केशव कुमार शर्मा ने किया।