अरे यह तो हद हो गई यहां जिम्मेदारों को ही नहीं पता है कि लखनऊ एक्सप्रेस वे पर कितने हादसे हुए हैं. यातायात के उल्लंघन में कितनों के चालान हुए हैं. कुछ ऐसी ही अनभिज्ञता यूपीडा ने आरटीआई में दिखाई है.

आगरा(ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) से लखनऊ एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों की जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत मांगी गई थी। पांच अप्रैल को यूपीडा ने जानकारी उपलब्ध कराई। जानकारी देते हुए यूपीडा ने अवगत कराया है कि 302 किमी लंबा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे 10 जिलों से होकर गुजरता है। इनमें आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरेया, कन्नौज, कानपुर, हरदोई, उन्नाव और लखनऊ शामिल हैं। एक्सप्रेसवे पर हुई दुर्घटनाओं की जानकारी संबंधित जिलों के आरटीओ व पुलिस से प्राप्त की जा सकती है।

पांच अप्रैल को उपलब्ध कराई थी जानकारी
वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने यूपीडा से वर्ष 2019 से लेकर अब तक लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हुए हादसों, उनमें मृतक लोगों व घायलों की सूचना आरटीआई में मांगी थी। यूपीडा ने पांच अप्रैल को उन्हें जो सूचना उपलब्ध कराई है, उसमें सड़क हादसों से संबंधित कोई सूचना नहीं है। यूपीडा को लखनऊ एक्सप्रेसवे पर सड़क हादसों में सहायतार्थ भेजी गईं एंबुलेंस की जानकारी भी नहीं है। उसने बताया है कि एक्सप्रेसवे पर दुर्घटना में घायलों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने के लिए 10 एंबुलेंस हैं। पांच एंबुलेंस यूपीडा और पांच टोल कलेक्शन एजेंसी मैसर्स वान इंफ्रा लिमिटेड की हैं। आवश्यकता पडऩे पर एंबुलेंस (108) की सहायता भी ली जाती है। एक्सप्रेसवे पर 50 पेन टिल्ट जूम (पीटीजेड) कैमरे लगे हैं।

अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को सड़क सुरक्षा की ²ष्टि से सुरक्षित बनाया जाना चाहिए। यूपीडा को पता होना चाहिए कि लखनऊ एक्सप्रेसवे पर कितने सड़क हादसे कहां और कब हुए। यूपीडा के पास यातायात नियमों के उल्लंघन, चालान, एंबुलेंस सेवा के आंकड़े नहीं होंगे तो सड़क हादसों को रोकने की पहल संभव नहीं होगी। गोल्डन आवर्स में एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराना, घायलों की जान बचाना अत्यंत आवश्यक है। वह यह विषय सुप्रीम कोर्ट सड़क सुरक्षा समिति व सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाएंगे।

ऑनलाइन डेशबोर्ड बनवाने की मांग
केसी जैन ने यूपीडा से ऑनलाइन डेशबोर्ड बनाने की मांग की है, जिस पर हादसों की रियल टाइम सूचना अपलोड की जा सके। इस पर एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों की संख्या व विवरण भी हो, जिससे कि वाहन चालक अधिक जागरूक व सावधान हो सकें।

पहले यूपीडा ने दी है जानकारी
वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि यूपीडा पूर्व में लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हुए हादसों और उनमें हुई मौतों की जानकारी देता रहा है। यूपीडा ने आरटीआई में पहले अगस्त, 2017 से मार्च, 2019 तक हुए हादसों की सूचना उपलब्ध कराई थी। अब वह इससे बच रहा है।

पूर्व में दी थी यह जानकारी
अवधि, हादसे, मौत
अगस्त, 2017 से मार्च, 2018, 858, 100
अप्रैल, 2018 से दिसंबर, 2018, 1113, 91
जनवरी, 2019 से मार्च, 2019, 402, 36

Posted By: Inextlive