सिर में चोट लगना बेहद खतरनाक होता है. यही कारण है कि जनपद में होने वाली दुर्घटनाओं में सिर की चोट लगने से मरने वालों की संख्या ज्यादा होती है. वहीं हेलमेट पहनने से 76 फीसदी इन्जरी कम हो जाती हंै. हेलमेट पहनने के लिए फिर से 'नो हेलमेट नो पैट्रोलÓ को लागू करना होगा. वहीं शतप्रतिशत सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में हेलमेट को पूरी तरह से अमल में लाना होगा इससे कई परिवार तबाह होने से बच सकते हैं.

आगरा(ब्यूरो)। ताजनगरी में लोगों को जागरूक करने के लिए सड़क सुरक्षा अभियान चलाया जाता है लेकिन इसके बाद भी बड़ी संख्या में लोग बिना हेलमेट के वाहन चलाते हैं, इससे रोड एक्सीडेंट्स मेंं दुर्घटना से मौत हो जाती हैं। सीनियर न्यूरोलोजिस्ट डॉ। आरसी मिश्रा ने बताया कि पुलिस, प्रशासन को सरकारी, गैर सरकारी, शिक्षक संस्थान के अलावा निजी कंपनी और फैक्ट्री में हेलमेट को पूरी तरह लागू करना चाहिए, इतना ही नहीं पीछे बैठने वाले व्यक्ति को भी हेलमेट लगाना चाहिए।

पीछे बैठे व्यक्ति को भी हेलमेट की नीड
वाहन पर पीछे बैठने वाले का भी हेलमेट पहनना अनिवार्य है लेकिन अधिकतर हेलमेट की जगह चालान में मनी वेस्ट करना चाहते हैं। हेलमेट लगाने से सिर के बाहरी हिस्से में लगी हल्की चोट से भी तुरंत रक्तस्त्राव होता है, जो फायदेमंद है। सिर के अंधरूनी हिस्से में चोट लगने के बाद अधिकतर मामलों में रक्त नहीं निकलता है जो संबंधित व्यक्ति के लिए काफी नुकसानदायक साबित होता है।

छोटी सी लापरवाही से बिखर जाता है परिवार
डॉ। आरसी मिश्रा ने बताया कि सिर की चोट हेलमेट से घट जाती है। युवा अधिकतर रूल्स की अनदेखी करते हैं। त्योहार, शादी या अन्य कार्यक्रम के अवसर पर लेडीज पीछे बैठती हैं, जो अक्सर ब्रेकर आने पर दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं। क्योंकि हर घर के सामने स्पीड ब्रेकर बने हैं, गाड़ी उछलने पर पीछे बैठा व्यक्ति गिर जाता है, इससे परिवार तबाह हो जाता है। दीवाली पर बीस के करीब हेड इंजरी सामने आईं, इनमें से करीब छह ऑपरेशन किए गए।

नो हेलमेट, नो पेट्रोल को किया फेल
बिना हेलमेट के लिए समय-समय पर अभियान चलाए, 15 साल पहले नो हेलमेट नो पेट्रोल का अभियान चलाया था, उस समय में नेशनल न्यूरो ट्रॉमा का अध्यक्ष था उस समय कई प्रांतों में इसको लागू किया गया। आगरा में भी लागू किया गया। एक समाचार पत्र के जरिए नो हेलमेट नो पेट्रोल को अमल में लाया गया लेकिन जब तक कमेटमेंट ना हो तो हर प्रोग्राम फेल हो जाता है। ये जनता का कार्यक्रम था, जनता की ओर से फेल कर दिया गया। एडमिनिस्ट्रेशन भी लचर हो गया।

चोट से नसें होती हैं डेमेज
हमारे दिमाग में बड़ी संख्या में नसें होती हैं। जब चोट लगती है उनमें से कई नसें डेमेज हो जाती हैं। इससे उनसे जुड़े अंगों में अपंगता की शिकायत हो जाती है। कई बार लोगों को पुरानी चीजें याद नहीं रहती हैं।

सिर में चोट के कुछ चिंताजनक लक्षण
- चोट लगने के बाद अचेत हो जाना।
- सांस का ठीक प्रकार से न चलना।
- नाक, कान या मुंह से लगातार खून आना।
- बोलने या देखने में होने वाली परेशानी।
- गर्दन में दर्द, 2 से 3 बार उल्टियां होना।


वाहन पर पीछे बैठने वाले को भी हेलमेट अनिवार्य रूप से पहनना चाहिए, हर घर के सामने स्पीड ब्रेकर बने हैं, त्योहार के अवसर पर अक्सर लेडीज पीछे बैठती हैं, अचानक उछलने से नीचे गिरने से सिर में चोट लगती है, जो सिर के लिए घातक है। सरकारी, गैर सरकारी, शिक्षक संस्थानों हेलमेट को पूरी तरह लागू कराना चाहिए। जिम्मेदार अधिकारियों को इंप्लीमेंट कराना होगा।
डॉ। आरसी मिश्रा, वरिष्ठ न्यूरो सर्जन


ट्रैफिक रूल्स को फॉलो कराने के लिए वाहन चालकों और एजूकेशन संस्थानों में स्टूडेंट्स को अवेयर किया जा रहा है। रूल्स फॉलो नहीं करने पर कार्रवाई भी की जाती है। पिछले दिनों की अपेक्षा अधिक वाहन चालक रूल्स को फॉलो कर रहे हैं।
मयंक तिवारी, एएसपी हरीपर्वत


हेलमेट को लागू कराने से पहले पब्लिक को अवेयर होना पड़ेगा। क्योंकि अधिकतर वाहन चालक चालान से बचने के लिए हेलमेट पहनते हैं, जान बचाने के लिए नहीं, इस तरह की सोच में बदलाव जरुरी है। हेलमेट अच्छी क्वॉलिटी का होना चाहिए, साथ ही सिर्फ लटकाने से काम नहीं चलेगा, हेलमेट बेल्ट लॉक लगा होना चाहिए, फिटिंग का होना चाहिए।
डॉ। आलोक अग्रवाल, न्यूरो सर्जन


सिर और दिमाग से जुड़ी 70-75 फीसदी चोटें सड़क हादसों में होती हैं। चोट लगने के बाद पहले एक घंटे अहम होते हैं इसमें इलाज मिलना जरूरी है। ब्रेन स्टेम दिल की धड़कन और सांस लेने की प्रक्रिया ठीक रखता है। ढीला हेलमेट आपको हादसे के वक्त धोखा दे सकता है। इस पर आईएसआई मार्क अवश्य देखें। मानकों पर खरा एक सुरक्षित हेलमेट बनाने में ही हजार रुपये खर्च आता है। खरीदते वक्त इसे पहन कर देखें। यह आपके सिर पर अच्छी तरह से फिट हो और दोनों तरफ से टाइट हो।

डॉ। मुकूल अग्रवाल

Posted By: Inextlive