आगरा: तेज बुखार और सांस लेने में परेशानी होने पर दो से तीन दिन तक डॉक्टर के परामर्श बगैर ही दवा लेने से वायरल निमोनिया हो रहा है. डॉक्टरों के पास देर से पहुंच रहे 10 प्रतिशत बच्चों में कोविड की तरह वायरल निमोनिया मिल रहा है. इन्हें एच3एन2 वायरल से संक्रमित मानते हुए इलाज किया जा रहा है. तेज बुखार आने पर डॉक्टर के परामर्श पर ही दवाएं लें.

बच्चों को करना पड़ रहा एडमिट
हर साल इंफ्लुएंजा वायरस के वेरिएंट में बदलाव हो रहा है, इससे वायरस ज्यादा घातक होता जा रहा है। इस बार इंफ्लुएंजा ए के सब वेरिएंट एच3एन2 से संक्रमण फैल रहा है। इसमें पहले दो से तीन दिन तक तेज बुखार आ रहा है। इसी दौरान वायरल ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। बुखार आने पर लोग खुद ही मेडिकल स्टोर और झोलाछाप से दवा लेकर खा रहे हैं। इससे बीमारी और बढ़ रही है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक (आइएपी) आगरा के प्रेसिडेंट डॉ। अरुण जैन ने बताया कि दो से तीन दिन अपने स्तर से दवा लेने के बाद आ रहे 10 प्रतिशत बच्चों में वायरल निमोनिया मिल रहा है। पानी की कमी हो रही है। भूख नहीं लग रही है और कमजोरी आ रही है। बच्चों को दौरा भी पड़ रहा है। एक्सरे और सीटी स्कैन कराने पर वायरल निमोनिया डायग्नोज हो रहा है। सांस लेने में परेशानी हो रही है, बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है।

एक महीने से ज्यादा समय तक खांसी
एच3एन2 से पीडि़त मरीजों में एंटीबायोटिक देने से कोई फायदा नहीं हो रहा है, इससे मर्ज और बिगड़ रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) आगरा के प्रेसिडेंट और चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। ओपी यादव ने बताया कि पहले पांच दिन सर्दी जुकाम और बुखार के मरीजों में लक्षण के आधार पर दवाएं दी जा रही हैं। सेकेंडरी इंफेक्शन होने पर ही एंटीबायोटिक देने की जरूरत है। डॉक्टर अब मरीजों को एंटीबायोटिक नहीं दे रहे हैं। खांसी भी पांच सप्ताह तक चल रही है लेकिन एंटीबायोटिक देने से कोई फायदा नहीं हो रहा है। इससे परेशान न हों।

फ्लू वैक्सीन लगवाने से संक्रमण से बचाव
सीनियर पीडियाट्रिशियन डॉ। निखिल चतुर्वेदी ने बताया कि छह महीने के बाद फ्लू वैक्सीन लगवाई जा सकती हैं। बच्चों में वर्ष में दो बार वैक्सीन लगती है और 18 वर्ष के बाद एक बार ही वैक्सीन लगवानी होती है। जिन बच्चों के फ्लू वैक्सीन लगी है उनमें संक्रमण का खतरा बहुत कम है। इसके साथ ही मास्क का इस्तेमाल कर बीमारी से बच सकते हैं।

हर तीसरे पर्चे पर बुखार, खांसी की दवाएं
आगरा रिटेल केमिस्ट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ। आशीष ब्रह्मïभट्टï ने बताया कि वायरल संक्रमण का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। मेडिकल स्टोर पर पहुंच रहे हर तीसरे पर्चे में बुखार, खांसी की दवाएं लिखी जा रही हैं। पर्चे में एंटीबायोटिक के साथ ही एंटी एलर्जिक, मल्टीविटामिन, पैरासीटामोल और कफ सीरप लिखे जा रहे हैं।


पहले पांच दिन सर्दी जुकाम और बुखार के मरीजों में लक्षण के आधार पर दवाएं दी जा रही हैं। सेकेंडरी इंफेक्शन होने पर ही एंटीबायोटिक देने की जरूरत है।
- डॉ। ओपी यादव, प्रेसिडेंट, आईएमए आगरा
दो से तीन दिन अपने स्तर से दवा लेने के बाद आ रहे 10 प्रतिशत बच्चों में वायरल निमोनिया मिल रहा है। बच्चे को लक्षण होने पर डॉक्टर को दिखाएं।
- डॉ। अरुण जैन, प्रेसिडेंट, आईएपी आगरा
--------
यह सामने आ रहे लक्षण
- बुखार आना
- सर्दी-खांसी होना
- पसलियां चलना
- पानी की कमी होना
-भूख न लगना
- कमजोरी आना
-------------
यह करें
- अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक न दें
- मास्क का प्रयोग करें
- भीड़भाड़ में जाने से बचें
- बाहर खान-पान से बचें
- हाथों को वॉश या सेनेटाइज करते रहें
---------

Posted By: Inextlive