साइकिल सिर्फ सफर तय करने का जरिया ही नहीं बल्कि इससे भावनात्मक जुड़ाव भी होता है. मुझे अब भी अपनी पहली साइकिल याद है. जब बचपन में पैरेंट्स ने दिलवाई थी. तब से साइकिल के पैडल घुमाने का दौर अब तक जारी है. साइकिलिंग से जुड़े अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए एडीए उपाध्यक्ष चर्चित गौड़ ने कहा कि आज भी जब समय मिलता है मैं साइकिलिंग करने का मौका नहीं छोड़ता. साइकिलिंग न सिर्फ खुद को फिट रखने में मददगार है बल्कि शहर की आबोहवा सुधारने में भी ये कारगर है.


आगरा(ब्यूरो)। हर उम्र के लिए साइकिलएडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि बचपन में साइकिल को लेकर काफ क्रेज था। पैरेंट्स से जब पहली साइकिल मिली तो वो पल खास था। आज भी मेरे पास साइकि ल है। जब भी समय मिलता है, मैं साइकिल लेकर निकल पड़ता हूं। साइकिल से अच्छा और आसान एक्सरसाइज करने का कोई तरीका नहीं हो सकता। साइकिल पर पैडल घुमाने के साथ पूरे शरीर की एक्सरसाइज होती है। इस एक्सरसाइज की सबसे अच्छी बात ये है कि इस हर उम्र का व्यक्ति कर सकता है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक साइकिलिंग आसानी से कर सकते हैं। इसलिए हर किसी को साइकिलिंग करनी चाहिए।

पर्यावरण के लिए साइकिलिंग से अच्छा कुछ नहीं
एडीए उपाध्यक्ष चर्चित गौड़ के साथ उनकी पत्नी चंबल सेंक्चुरी की डीएफओ आरुषि मिश्रा को भी साइकिलिंग करना पसंद है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में अगर आम व्यक्ति अपना योगदान देना चाहता है, तो साइकिलिंग से अच्छा जरिया हो ही नहीं सकता। जितना साइकिलिंग को बढ़ावा मिलेगा उतना ही आबोहवा में सुधार होगा। जो नेचर के लिए काफी लाभदायक है। साइकिलिंग न खुद को स्वस्थ रखती है, बल्कि पर्यावरण की सेहत में भी सुधार लाती है।

Posted By: Inextlive