टीबी संक्रमण को रोकने के लिए अब टीबी मरीजों के परिवार के सदस्यों को टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी टीपीटी दी जाएगी. इस मूवमेंट को और तेजी से बढ़ाने के लिए गुरुवार को राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत होटल भावना क्लॉर्क इन में सरकारी क्षेत्र के डॉक्टरों की सीएमई आयोजित हुई. इसमें टीबी रोगियों के नोटिफिकेशन करने के बाद उनका उपचार करने और रोगी के परिवार के सदस्यों को क्षय रोग से बचाने के लिए टीबी प्रिवेंटिव थेरपी टीपीटी देने को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई. कार्यक्रम में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के डॉक्टरों ने प्रतिभाग किया.


आगरा। चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ। अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए विभाग की ओर से विभिन्न पहलुओं पर कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में टीबी रोगी के संपर्क में आने वाले परिवार के लोगों को भी टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जा रही है। उन्होंने बताया कि टीपीटी अब तक पांच साल से छोटे बच्चों को ही दी जाती थी लेकिन अब इसे वयस्कों को भी देना शुरू कर दिया गया है। इससे टीबी का संक्रमण अन्य लोगों में नहीं फैलेगा।

दो तरह की होती है टीबी
सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के डॉ। संतोष कुमार ने बताया कि टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु से होता है। इसके दो प्रकार हैं। पहला, पल्मोनरी टीबी, दूसरा एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी। पल्मोनरी टीबी में फेफड़े संक्रमित होते हैं। इसकी फैलने की आशंका रहती है। एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी में फेफड़ों के बजाय शरीर के अन्य अंगों पर असर होता है। यह नहीं फैलती है। पल्मोनरी टीबी रोगियों के संपर्क में आए लोगों को टीपीटी दी जा रही है। इसके तहत क्षय रोगी के परिवार के लोगों को छह महीने तक क्षय रोग की प्रतिरोधी दवाएं मौजूद परिवार के सदस्यों के आयु के हिसाब से दी जाएं।

यह रहे मौजूद
कार्यक्रम में राष्ट्रीय शहरी कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ। पीके शर्मा, शहरी स्वास्थ्य समन्वयक आकाश गौतम, जिला पीपीएम समन्वयक कमल सिंह, अरविंद कुमार यादव, शशिकांत पोरवाल, पंकज सिंह उपस्थित रहे।


टीबी मरीजों के संपर्क में आए लोगों को टीबी प्रिंवेंटिव थेरेपी दी जा रही है। इसी को लेकर डॉक्टर्स की सीएमई आयोजित करके उन्हें इसकी विस्तृत जानकारी दी गई.
-डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ

Posted By: Inextlive