आगरा. ब्यूरो पढ़ाई का जीवन में बहुत महत्व है. बिना पढ़ाई जीवन बेकार होता है. लेकिन कई बार बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता ऐसे में बेहद जरुरी है कि बच्चों को प्रोत्साहित किया जाएगा वहीं आप कहानी के जरिए अपने बच्चों को पढ़ाई का महत्व समझा सकते हैं.

मानसिक रूप से बनाएं मजबूत
संयुक्त परिवार में दादा-दादी बच्चों को कहानी सुनाते का काम करते थे, एकल परिवार में बच्चे खुद में उलझे नजर आते हैं, जिज्ञासा के चलते कई सवाल ऐसे होते हैं, जो उनके मन में रहते हैं, जब भी अपने पेरेंट्स से उन बातों को शेयर करने की कोशिश करते हैं तो पेरेंट्स की व्यस्तता के चलते उनको निराश होना पड़ता है। ऐसे में पेरेंट्स बच्चों को स्टोरीे के जरिए मानसिक रूप से मजबूत बना सकते हैं।

स्टोरी के जरिए अनुभव करें शेयर
स्टोरी टेलिंग के बहाने बच्चों के साथ एक बॉन्डिंग बनती है, इसमें हम उनसे किसी चीज की उम्मीद किए बिना उन्हें कहानी सुनाते हैं। यह कहानी या फिर बच्चे सुनाते हैं या फिर हम। कहानी हमारे निजी अनुभव की भी हो सकती है या फिर किसी से सुनी हुई भी। स्टोरी के जरिए आप अपने अनुभवों को भी बच्चों के साथ शेयर कर सकते हैं, जिससे वे भी पढ़ाई के महत्व को समझकर लाइफ में जायज मुकाम हासिल कर सकें।

सही और गलत का बताएं फर्क
स्टोरी टेलिंग के दर्जनों रूप हैं। जहां हम कहानी नए तरीके से मैसेज भेजते हैं बजाए उसे सीधे कहने के, जैसे अगर बच्चों को फूलों को तोडऩे के लिए रोका जाए तो वह नहीं मानते। मगर यही बात उन्हें कहानी से बताएं कि फूल तोडऩे से पौधे को दर्द होता है। इससे वह चीजों को सीरियसली लेते हैं। इसलिए हर बात को आसानी से समझाने के लिए स्टोरी टेलर से बेहतर कुछ नहीं है।


बच्चों ने यह सीखा
हर चीज को किसी न किसी स्पोर्ट की जरूरत होती है। अगर हम ट्रैफिक में फंस गए हैं तो उसका कोई कारण होता है। यूं ही कोई जाम में नहीं फंसता। स्टूडेंट यानिका ने अपनी लर्निंग पर कहा-मुझे स्केरी क्रो और बोट की कहानी पसंद आई। मैंने जाना कि हमें कभी घुटने नहीं टेकने चाहिए चाहे कुछ भी हो जाए। बजाए इसके सॉल्यूशन के बारे में सोचना चाहिए। हमें हमेशा कोशिश करनी चाहिए। भले ही हम किसी चीज को कर पा रहे हैं या नहीं।


बच्चों में दस से अठारह वर्ष की उम्र ऐसी होती है, जिसमें वो जिज्ञासू रहता है, ऐसे में जब उनके सवालों का उन्हें जवाब नहीं मिलता है तो वह तनाव महसूस करते हैं। स्टोरी एक बेहतर विकल्प है।
रुबी बघेल, काउंसलर, साथिया केन्द्र


बच्चों को सही और गलत की जानकारी होना बहुत आवश्यक है, पेरेंट्स अपनी बिजी लाइफ से कुछ समय निकाल कर उनको समझने के बाद कहानी के जरिए अपने अनुभवों को उनके साथ शेयर कर सकते हैं।
रचना सिंह, मनोवैज्ञानिक


एक समय था जब बच्चों को दादा और दादी ही कहानी के जरिए जीवन की राह दिखाते थे, लेकिन एकल परिवार मेें पेरेंट्स को समय नहीं मिलता जिससे बच्चों में सवाल, तनाव का रूप लेते हैं।
एम दुग्गल, पेरेंट्स


बच्चों का मन कोमल होता है, ऐसे में उनके मन में हर छोटी और बड़ी बात को लेकर जिज्ञासा बनी रहती है। पेरेंट्स को बच्चों के सवालों के जवाब देने चाहिए।
ज्ञान सिंह, अधिवक्ता

Posted By: Inextlive