सात समंदर पार फोन की घंटी बजती. कॉल रिसीव होने पर जैसे ही रिसीवर ने कहा हेलो ... इधर से रिप्लाई जाता हेलो.. मेम आई एम जैम्स डू यू नीड ए लोन ... कुछ इस तरह ही अमेरिकन को अपनी बातों फंसाकर लोन देने का सांझा देने वाले गैंग का पुलिस ने शनिवार को खुलासा किया है.

आगरा(ब्यूरो)। यह गैंग शास्त्रीपुरम क्षेत्र में संचालित था। सिकंदरा पुलिस ने खुलासा करते हुए कहा कि मास्टर माइंड ठगी की वारदात को अंजाम देने के लिए ऑनलाइन डाटा खरीदा था। सेंटर के संचालक समेत सात आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि यह गैंग अब अमेरिकन्स से करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है। पुलिस टीम ने संचालक समेत छह आरोपियों को गिरफ्तार कर, अमेरिकी दूतावास को साक्ष्य उपलब्ध कराए हैं।

कितनों से की ठगी, पता कर रही पुलिस
थाना प्रभारी सिकंदरा आनंद कुमार शाही ने बताया कि पुलिस ने आरोपी से मिले डाटा के आधार पर अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों को नाम और नंबरों की सूची उपलब्ध कराई। जिन्हें काल सेंटर से फोन किए गए थे। ताकि वहां पीडि़तों से संपर्क किया जा सके। यह पता किया जा सके कि उनसे कितने की ठगी हुई है। उनको लिस्टेड करने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी।

कॉलिंग की मिलती थी सैलरी
पुलिस उपायुक्त विकास कुमार ने बताया कि पुलिस, सर्विलांस और स्वाट टीम की संयुक्त कार्रवाई में काल सेंटर पकड़ा गया। इसका संचालक आवास विकास कॉलोनी निवासी अनुराग प्रताप है। उसने डियोसा एसेट के नाम से कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया था। छह स्नातकों को अपने कॉल सेंटर में 14 हजार रुपए महीने पर रखा हुआ था। शाम सात बजे से सुबह चार बजे तक कर्मचारी अमेरिकी लोगों को कॉल करते थे। सभी पर अनुराग की नजर रहती थी।

अमेरिका में एक्टिव गैंग के एजेंट
पुलिस उपायुक्त ने बताया कि काल सेंटर संचालक अनुराग के तार अमेरिका और गुजरात से जुड़े हैं। ठगी के बाद रकम पहले अमेरिका में सक्रिय एजेंट्स को मिलती थी। वह अनुराग को हवाला, बिटकॉइन के जरिए रकम भेजते थे। कॉल सेंटर से अमेरिकी नागरिकों को लोन का झांसा देकर फंसाया जाता था।

ऑनलाइन खरीदा अमेरिकी नागरिकों का डाटा
संचालक अनुराग पूर्व में कॉल सेंटर में काम कर चुका है। अनुराग ने पांच हजार अमेरिकी नागरिकों का डाटा ऑनलाइन खरीदा था। जिन्हें लोन की नीड थी। यह डाटा कर्मचारियों को दिया जाता था। वह इंटरनेट के माध्यम से अमेरिकी नागरिकों को फोन करते थे। जो अमेरिकी लोन के लेने के इच्छुक होते, कर्मचारी उनकी सूची अनुराग को देते थे। उनसे वह खुद बातचीत करता था। पकड़े गए छह कर्मचारियों को अनुराग 14 हजार रुपए महीने वेतन देता था। अवकाश न करने पर दो हजार रुपए बोनस देता था।

कर्मचारियों के थे अमेरिकन्स नेम
कॉल सेंटर में कर्मचारियों के नाम अमेरिकी रखे हुए थे। इसमें जेम्स एबेगलेन, जूस सोली नाम शामिल हैं। अनुराग ने कर्मचारियों को बता रखा था कि भारतीय नाम से अमेरिकी लोन लेने को तैयार नहीं होंगे। अनुराग डाटा से चुङ्क्षनदा नामों को निकालने के बाद उन्हें अमेरिका भेजता। वहां से ग्राहकों के बैंक स्टेटमेंट निकाले जाते थे। उनके खातों में बड़ी खरीदारी की प्रतीक्षा की जाती थी।

अरेस्ट किए आरोपी
-अनुराग प्रताप ङ्क्षसह, आशीष एस.लाल और यश पाराशर निवासी आवास विकास कालोनी सिकंदरा
-शिवम सागर निवासी बाईं का बाजार सिकंदरा
-अभ्युदय फौजदार निवासी जनकपुरी शाहगंज
- विलियम दास निवासी देवरी रोड ताजगंज।

बरामद किए उपकरण
पुलिस ने काल सेंटर से छह कंप्यूटर, तीन लैपटॉप, छह हार्ड डिस्क, तीन हेडफोन, एक पैन ड्राइव, नेटवर्किंग उपकरण, राउटर और केबिल बरामद की हैं।


पुलिस टीम ने किया पर्दाफाश
कॉल सेंटर में कर्मचारियों के नाम अमेरिकी रखे हुए थे। पुलिस ने कार्रवाई कर सचंालक समेत सात लोगों को अरेस्ट किया है।
विकास कुमार, डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस

Posted By: Inextlive