आगरा. आगरा कमिश्नरेट में कई थाने चौकी ऐसे स्थानों पर बने हैं जहां उनके लिए स्पेश पर्याप्त नहीं है जबकि कुछ एक किराए की बिल्डिंग में चल रहे हैं. थानों के पास अपनी जमीन नहीं है इसलिए आसपास खाली पड़े प्लॉट पर वाहनों को डंपिंग यार्ड बना डाला है. यह हाल शहर के थानों के अलावा पुलिस लाइन का है जहां सैकड़ों की संख्या में वाहन क बाड़ हो रहे हैं.

खड़े खड़े बेकार हो रहे वाहन
शहर के ज्यादातर पुलिस स्टेशन पर कबाड़ का ओवरलोड है। पुलिसकर्मियों व पब्लिक के बैठने की जगह भले न हो लेकिन कबाड़ को न केवल रखने की बल्कि उसकी सुरक्षा की दोहरी जिम्मेदारी अच्छी तरह निभाई जा रही है। यह कबाड़ लावारिस हैं, जो वर्षों से थाना परिसर में खड़े-खड़े सड़ रहा है। उनका अब तक निस्तारण नहीं हुआ है। इस संबंध में पुलिस डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस विकास कुमार ने आरटीओ अधिकारियों से बात की है।


दूसरे की जमीन पर कर रहे डंप
कमिशनरेट में कई थाने, चौकी ऐसे हैं जो अवैध बने हैं। थानों के पास अपनी जमीन नहीं है, इसलिए सामने खाली पड़े प्लॉट पर वाहनों को डंपिंग यार्ड बना डाला है। यह हाल सिकंदरा थाने व न्यू आगरा थाने व शहर के अन्य थानों का है। थाना परिसर मेें खड़े ऑटो, बाइक व कार के पुर्जे जंग खा चुके हैं। उनके टायर सड़ चुके हैं। इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। वहीं, पुलिस लाइन में जब्त लावारिस गाडिय़ों की भी भरमार है। अधिकारियों की सख्ती हुई तो वाहनों को थाने के पीछे शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन असल स्थिति वही है कि यहां भी गाडिय़ां जंग खा रही हंै। कईयों के पुर्जे भी गायब हो चुके हैं।

इस तरह होती है नीलामी
नियमानुसार लावारिस अवस्था में बरामद या जब्त वाहनों को 6 महीने बाद निस्तारण का प्रोसेस है। वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत पुलिस रिकॉर्ड में लेती है। गाड़ी का रिकॉर्ड मेंटेन कर कोर्ट में इसकी जानकारी दी जाती है। इसके बाद पुलिस आरटीओ ऑफिस से गाडिय़ों के मालिक का नाम पता लेती है। वाहन मालिक को नोटिस भेजा जाता है। जब गाडिय़ों पर क्लेम नहीं होता है, तो नीलामी की सूचना देकर नीलामी करा दी जाती है।
वाहन मालिक नहीं आते थाने
पुलिस के अनुसार जब्त किए गए वाहनों में किसी के मालिक का पता नहीं हैं, तो किसी का केस अभी तक कोर्ट में चल रहा है। इसके अलावा जो वाहन चोरी में जब्त किए गए थे वह आज तक थाने नहीं पहुंचे, कुछ ऐसे हैं। ऐसे में पुलिस थाने में जब्त वाहनों की संख्या भी बढ़ती जा रही हैं। यदि संबंधित अधिकारी का आदेश मिल जाए तो इन वाहनों की नीलामी की जा सकती है। इन वाहनों की कीमतें हजारों से लेकर लाखों रुपए तक हैं। कुछ वाहन तो अब चलने योग्य भी नहीं रहे। कई मामलों में जब्त किए वाहनों के प्रकरण का निराकरण न्यायालय में विचाराधीन हैं।

वाहनों की नीलामी को लिखा पत्र
थाना परिसर में जब्त वाहनों का अंबार लगा हुआ है, इसमें कई वाहन धूप बारिश के कारण वाहनों को नुकसान पहुंच रहा है। इस कारण वाहनों की हालत खराब हो रही है। लेकिन इन पर अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है। देखरेख के अभाव इनके कई पार्ट्स भी गायब हो गए है, तो कुछ वाहन पूरी तरह से नष्ट होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। पुलिस के अनुसार जब्त किए गए वाहनों की नीलामी के लिए आरटीओ को पत्र लिखा गया है। समक्ष अधिकारी से अनुमति मिलने पर ही नीलामी की जा सकती है।

समय पर नीलामी हो तो फायदा
यदि समय पर नीलामी होती है तो लोगों को यह वाहन कम दामों में मिल सकते हैं, लाखों रुपए का राजस्व मिलेगा। समय पर नीलामी नहीं होती है, तो थाने में पड़े ये वाहन खराब हो जाएंगे। इससे नीलामी में उचित राजस्व नहीं मिल पाएगा। वाहन की जितनी अच्छी हालत होगी, नीलामी में उतनी अधिक राशि मिलेगी।

वाहनों को छुड़ाने को नहीं वैध कागज
दरअसल, दुर्घटनाग्रस्त वाहन थाने में जमा किए जाते हैं। उसी तरह अवैध शराब ढोने वाले वाहन, चोरी और जुए के अड्डे पर छापे के बाद जब्त किए गए वाहन पुलिस स्टेशन परिसर में रखे जाते हैं। इन वाहनों को छुड़ाने के लिए आवश्यक कागजात की जरूरत पड़ती है लेकिन अनेक वाहनों के कागजात ही नहीं होते। इस कारण यह वाहन वापस नहीं जा पाते हैं।

न्यायिक अधिकारी को भेजा प्रस्ताव
थाने में खड़े वाहनों को नीलाम करने की पॉवर परिवहन विभाग के पास है, अगर मालिक 5 दिन में गाड़ी नहीं छुड़ाता है तो उसको नीलाम किया जा सकता है। ऐसे वाहन जिनका टैक्स बकाया था, वाहन स्वामियों ने वाहन नहीं छुड़ाए हैं, ऐसे 83 वाहन और 15 साल पुराने 93 वाहनों को नीलाम करने का प्रस्ताव अभियोजन अधिकारी के जरिए मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट कोर्ट को भेजा गया है, आगामी एक महीने नीलामी को अमल में लाने की उम्मीद है।
कपिल देव, आरटीओ


स्थिति पर एक नजर
-कमिश्नरेट में थानों की स्थिति
47
-शहर में थानों की स्थिति
18
-विभाग द्वारा सीज किए गए वाहनों की संख्या
83
-जब्त किए 15 साल पुराने वाहनों की संख्या
93

Posted By: Inextlive